नये शिक्षण सत्र में नई शिक्षा नीति पूर्ण रूप से हो जाएगी लागू…
रायपुर। शिक्षण सत्र 2024-25 में नई शिक्षा नीति (एनईपी) के तहत स्कूलों में पढ़ाई शुरू करने की तैयारी की जा रही है। जिसके तहत सरकारी स्कूलों में 6 की जगह 3 साल की उम्र से प्रवेश दिया जाएगा। नर्सरी से पहली और दूसरी कक्षा (3 से 8 वर्ष) तक बच्चों की पढ़ाई-लिखाई जादुई पिटारा के माध्यम से कराई जाएगी। स्कूली शिक्षा में पढ़ाई का पैटर्न भी बदला जाएगा, अब 10+2 की जगह में 5 3 3 4 पैटर्न में पढ़ाई पूरी कराई जाएगी। 3 से 8 साल यानी 5 साल बच्चा नर्सरी से लेकर दूसरी कक्षा तक की पढ़ाई बालबाड़ी और प्राथमिक स्कूलों में पूरी करेगा। फिर कक्षा 3, 4 और 5 की पढ़ाई 3 साल में बच्चा पूरी करेगी। इसके बाद 6वीं से 8वीं यानी 3 साल की पढ़ाई होगी।
इसके बाद अंत में 9वीं से 12वीं यानी 4 साल की हाई स्कूल औैर हायर सेकंडरी कक्षाओं की पढ़ाई पूरी करेगा। इस तरह एनईपी के तहत स्कूलों की पढ़ाई को 5 3 3 4 पैटर्न में बांटकर शिक्षा कराने की योजना है। अब तक सरकारी स्कूलों में 6 वर्ष की आयु पर कक्षा पहली में बच्चों को प्रवेश देने का नियम था यानी 1 से10 तक पढ़ाई 10 वर्ष फिर 11वीं व 12वीं की पढ़ाई 2 वर्षए जो एनईपी लागू होने पर पूरी तरह बदल जाएगा।
जादुई पिटारे की पढ़ाई 3 से 8 साल के बच्चों के लिए
छत्तीसगढ़ में वर्तमान में कुल 9491 बालबाड़ी खोली जा चुकी है। इन बालबाडिय़ों में नर्सरी और कक्षा 1 व 2 में जादुई पिटारे के माध्यम से पढ़ाई लिखाई कराई जा सकेगी, जिसमें 3 से 8 वर्ष तक के बच्चे शामिल होंगे। स्कूल शिक्षा विभाग के सचिव द्वारा सभी बालबाड़ी और प्राथमिक शाला के शिक्षकों को राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 की महत्वपूर्ण उद्देश्यों में से एक और प्रमुख जादुई पिटारा खेल आधारित शिक्षण संसाधन प्रणालीद्ध से शिक्षा सत्र 2024-25 से क्रियान्वयन व संचालन के निर्देश दिए गए है।
आंगनबाडिय़ों को बदलकर किया जाएगा बालबाड़ी
नई शिक्षा नीति में बदलाव के तहत आंगनबाड़ियो को अब बालबाड़ियो में बदला जाएगा और शिक्षा विभाग में शामिल किया जाएगा। जिससे 3 से 6 वर्ष तक के बच्चों को नर्सरी की शिक्षा देने में सुविधा होगी। पूरे प्रदेश में बालबाड़ियो को खोलकर बच्चों को नर्सरी की पढ़ाई कराने की योजना है। नई शिक्षा नीति के अनुसार जादुई पिटारा अत्याधुनिक बालकेंद्रित शिक्षण दर्शन पर आधारित है। 3 से 6 साल के उम्र के बच्चों को नर्सरी ए लोअर किंडरगार्डन (एलकेजी) और अपर किंडरगार्डन (यूकेजी) की शिक्षा दी जाएगी। इसमें पुस्तकों का प्रयोग बहुत कम किया जाएगा।
विभिन्न सामग्री प्लेबुक, खिलौने, पहेलियां, पोस्टर, प्लेकार्ड, वर्कशीट जैसी सामग्री के माध्यम से नई शिक्षण तकनीक के विभिन्न पहलुओं से शिक्षकों और मैदानी अधिकारियों के माध्यम से बालबाड़ियो व प्राथमिक शाला में पढ़ाई कराई जाएगी।