लता मंगेशकर को पसंद नहीं ये चीज, इसलिए सिगिंग में बनाया करियर…
स्वर कोकिला लता मंगेशकर ने कैंडी ब्रीच हॉस्पिटल में अंतिम सांस ली. उन्होंने अपने पूरे करियर में लगभग 30 हजार से ज्यादा गानों को अपनी आवाज दी है. लेकिन बहुत कम लोगों को पता होगा कि उन्होंने बहुत कम उम्र में नाटकों और फिल्मों में छोटी-छोटी भूमिकाएं निभाई हैं.
पांच साल की उम्र में लगा मंगेशकर ने मराठी भाषा में अपने पिता के संगीत नाटकों में एक अदाकारा के रूप में काम करना शुरू कर दिया था.
मंगेशकर पर लिखी किताब में लेखक यतींद्र मिश्रा ने नाट्यमंच पर गायिका की शुरुआत का जिक्र किया है. उन्होंने ‘लता: सुर गाथा’ में लिखा है, पिता पंडित दीनानाथ मंगेशकर की नाटक कंपनी ‘बलवंत संगीत मंडली’ ने अर्जुन और सुभद्रा की कहानी पर आधारित नाटक ‘सुभद्रा’ का मंचन किया. पंडित दीनानाथ ने अर्जुन की भूमिका निभाई जबकि नौ वर्षीय लता ने नारद की भूमिका निभाई.
उन्होंने अपने पिता की फिल्म ‘गुरुकुल’ में कृष्ण की भूमिका निभाई. साल 1942 में जब लता मंगेशकर के पिता की हृदय रोग से मृत्यु हो गई तब फिल्म अभिनेता-निर्देशक और मंगेशकर परिवार के करीबी दोस्त, मास्टर विनायक दामोदर कर्नाटकी ने उन्हें एक अभिनेत्री और गायिका के रूप में अपना करियर शुरू करने में मदद की.