March 26, 2025

रूस का सर्वोच्च राष्ट्रीय पुरस्कार पाने वाले पहले भारतीय नेता बने पीएम मोदी…

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मॉस्को। पीएम मोदी का रूस दौरा समाप्त हो चुका है। साथ ही इस दौरे पर दोनों देशों के बीच कई अहम फैसले लिए गए। पीएम मोदी और रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने 22वीं द्विपक्षीय वार्ता में आर्थिक संबंधों को और अधिक मजबूत बनाने तथा आपसी व्यापार को वर्ष 2030 तक 100 अरब डॉलर तक बढ़ाने का लक्ष्य निर्धारित किया। दोनों देशों ने संपर्क सुविधाएं बढ़ाने के लिए चेन्नई वल्दिवस्तक समुद्री गलियारे पर भी बातचीत की। दोनों नेताओं ने भारत यूरेशिया आर्थिक संघ व्यापार समझौते को आगे बढ़ाने का भी फैसला किया।

रूसी सेना में कार्यरत भारतीय नागरिकों की होगी वापसी

रूसी सेना में कार्यरत भारतीय नागरिकों की सुरक्षित स्वेदश वापसी का रास्ता पीएम मोदी द्वारा मुद्दा उठाए जाने के साथ  ही उनकी भर्ती बंद करने पर मास्को तैयार हो गया है। भारत की मांग पर रूस ने सहमति जताई है। पीएम मोदी ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ अनौपचारिक मुलाकात के दौरान यह मुद्दा प्रमुखता से उठाया था।


शिखरवार्ता के दौरान दोनों देशों ने सहयोग के 9 दस्तावेजों को स्वीकार किया। इनमें रूस के सदूर पूर्व में सहयोग तथा ध्रुवीय अनुसंधान संबंधी करार शामिल हैं। दोनों पक्षों ने औषधि व्यापार को बढ़ावा देने के साथ ही व्यापारिक संगठनों के बीच सहयोग संबंधी करार भी किए।

100 अरब डॉलर का व्यापार करने का लक्ष्य दोनों देशो के मध्य

भारत और रूस के बीच वर्ष 2030 तक व्यापार का लक्ष्य 100 अरब डॉलर करने पर सहमति बनाई जा रही हैं। दोनों देशों ने विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग के लिए नौ समझौतों पर हस्ताक्षर किए। विदेश सचिव विनय मोहन क्वात्रा ने बताया कि बैठक के दौरान दोनों नेताओं के बीच वार्ता आर्थिक सहयोग पर केंद्रित रही। भारत और रूस ने प्रसार भारती और टीवी नोवोस्ती के बीच प्रसारण के क्षेत्र में सहयोग पर भी हस्ताक्षर किए। इसमें दोनों देशों के बीच राजनीतिक और आर्थिक क्षेत्र, बड़े पैमाने पर व्यापार, पूंजी संबंध, ऊर्जा, विज्ञान और प्रौद्योगिकी सहयोग, रक्षा और सुरक्षा से सम्बद्ध अधिकारी भी शामिल थे।

रूस का सर्वोच्च राष्ट्रीय पुरस्कार

पीएम ने दौरे के दौरान ​रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भारत-रूस संबंधों को बढ़ावा देने के लिए पीएम मोदी के दिए हुए योगदान के लिए क्रेमलिन के सेंट एंड्रयू हॉल में आयोजित एक विशेष समारोह में, उन्हें रूस के सर्वोच्च राष्ट्रीय पुरस्कार “द ऑर्डर ऑफ सेंट एंड्रयू द एपोस्टल” से सम्मानित किया। इस पुरस्कार की घोषणा 2019 में की गई थी।

इस पुरस्कार स्वीकार करते हुए, पीएम ने इसे भारत के लोगों और भारत व रूस के बीच मित्रता के पारंपरिक बंधन को समर्पित किया। साथ ही आगे कहा कि यह सम्मान दोनों देशों के बीच विशेष और विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी को प्रदर्शित करता है। ‘‘ऑर्डर ऑफ सेंट एंड्रयू द एपोसल पुरस्कार प्राप्त करके सम्मानित महसूस कर रहा हूं। मैं इसे भारत की जनता को समर्पित करता हूं।” बता दें कि इस पुरस्कार की शुरुआत 300 साल पहले हुई थी। बता दें कि पीएम मोदी इस पुरस्कार से सम्मानित होने वाले पहले भारतीय नेता हैं। रूस और भारत के संबंध दशकों से बेहद अच्छे रहे हैं। मगर अब यह दोस्ती और मजबूत हो गई है। यही कारण है कि रूस ने अपने सर्वोच्च पुरस्कार से पीएम मोदी को सम्मानित किया है।

इस सम्मान का क्या महत्व है?

वर्ष 1698 में यीशू के प्रथम प्रचारक और रूस के संरक्षक संत सेंट एंड्रयू के सम्मान में जार पीटर द ग्रेट द्वारा स्थापित ‘ऑर्डर ऑफ सेंट एंड्रयू द एपोसल’ रूस का सर्वोच्च राजकीय सम्मान होता है। यह एक ही वर्ग में प्रदान किया जाता था और केवल सबसे उत्कृष्ट नागरिक या सैन्य योग्यता के लिए प्रदान किया जाता था। इसका उपयोग सदियों से रूस में औपचारिक आयोजनों के लिए किया जाता रहा है। यह एक ही वर्ग में प्रदान किया जाता है और केवल सबसे उत्कृष्ट नागरिक या सैन्य योग्यता के लिए दिया जाता है।

कितने लोगों को मिला है यह सम्मान अब तक

यह 1917 से पहले 1,000 से अधिक लोगों को दिया गया था। उनमें से लगभग आधे विदेशी नागरिक थे। 1917 की अक्टूबर क्रांति के बाद इसे देना बंद कर दिया गया। 1 जुलाई 1998 को राष्ट्रपति बोरिस येल्तसिन के आदेश से ऑर्डर ऑफ सेंट एंड्रयू द एपोस्टल को रूस के सर्वोच्च राज्य पुरस्कार के रूप में बहाल किया गया था। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को अपने देश के अत्यंत प्रतिष्ठित नागरिक सम्मान ‘द ऑर्डर ऑफ सेंट एंड्रयू द अपोसल’ से आधिकारिक रूप से सम्मानित किया।

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