छत्तीसगढ़ : भारी बारिश से सुकमा-बीजापुर के स्कूल बंद, कोंटा बना टापू, दर्जनों गांव में भरा बाढ़ का पानी…
प्रदेश में दक्षिण बस्तर के सुकमा और बीजापुर जिले में पिछले एक सप्ताह से हो रही बारिश ने आमजन के जीवन में कोहराम मचा दिया है। बता दें की यहां पिछले दिनों हालत ज्यादा बिगड़ गए हैं। सुकमा जिले के कोंटा नगर में भी सबरी नदी की बाढ़ का पानी घुस गया। राष्ट्रीय राजमार्ग पर कोंटा से पांच किलोमीटर दूर फंदीगुड़ा के समीप पानी भरने से कोंटा नगर चारों ओर से पानी से घिरकर टापू बन गया है।
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दूसरी तरफ बीजापुर जिले की भोपानपटनम तहसील के गोदावरी-इंद्रावती नदी के तटीय क्षेत्र के लगभग दर्जन गांवों में बाढ़ का पानी भर गया है। तारलागुड़ा, चंदूर, कांडला, रामपेटा, कोत्तूर आदि गांवों में स्थित पोटाकेबिन, आश्रम-छात्रावास बच्चों से खाली करा लिए गए हैं। बाढ़ से घिरे कांडला के ग्रामीणों को गांव छोड़कर समीप स्थित पहाड़ी पर चले जाने की खबर है। दोनों जिलों के करीब चार सौ स्कूलों को बंद करना पड़ा है।
बता दें की मध्य बस्तर के लिए 14 जुलाई का दिन थोड़ा राहत भरा रहा। अल्पवर्षा के कारण इंद्रावती नदी का जलस्तर जो बुधवार को यहां जगदलपुर स्थित पुराना पुल पर खतरे के निशान 8.3 मीटर तक पहुंच गया था, उतरने लगा है। शाम को यहां जलस्तर चेतावनी स्तर सात मीटर से नीचे चला गया था।
वहीं बीजापुर जिले के ग्राम पंचायत संडरापल्ली के आश्रिम ग्राम यापला में पानी की मात्रा अधिक होने से तालाब कभी भी फूट सकता है। बुधवार को ही यहां तालाब की मेड़ में दरार आ गई थी। गुरुवार सुबह मेड़ की काफी मिट्टी बहने से तालाब से पानी का रिसाव तेज हो गया है।
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स्कूलों को बंद करने की मिली छूट –
स्थानीय शिक्षा प्रशासन को स्कूलों का संचालन करने अथवा नहीं करने को लेकर निर्णय लेने की छूट दे दी गई है। सुकमा का तेलंगाना, आंध्रप्रदेश से और बीजापुर का महाराष्ट्र से सड़क संपर्क लगातार चौथे दिन कटा रहा। मौसम विभाग ने दक्षिण बस्तर में शुक्रवार को भी मध्यम से भारी वर्षा होने का पूर्वानुमान जारी किया है। प्रशासन की टीमें लगातार बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में राहत और बचाव कार्य में जुटी हैं। लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुुंचाने का काम जारी है।
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