आईएनएस जटायु की मदद से समुद्री डकैतों के नापाक मंसूबों पर भी नकेल कसेगी भारतीय नौसेना…
मिनिकॉय। लक्षद्वीप में सुरक्षा बढ़ाने के लिए एक नया नौसैनिक अड्डा तैयार किया गया है। जिसमे आईएनएस जटायु की मदद से समुद्री डकैतों के नापाक मंसूबों पर भी नकेल कसी जा सकेगी। नौसेना के प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार ने आईएनएस जटायु को तैनात किया है। भारतीय नौसेना ने जलीय सुरक्षा को और मजबूत बनाने की दिशा में कदम बढ़ाए हैं। इस तैनाती से सुरक्षा को और मजबूत बनाया जा सकेगा। आईएनएस जटायु को तैनात किए जाने के बाद नौसेना की परिचालन क्षमता और भी मजबूत हो जायेगी। जिसकी शुरुवात बुधवार को लक्षद्वीप द्वीप समूह के मिनिकॉय में नौसैनिक अड्डे से की गयी। आइएनएस जटायु नाम के इस अड्डे की मदद से नौसेना पश्चिम अरब सागर में प्रभावी निगरानी की जाएगी।
कहाँ हुआ स्थापित नौसेनिक अड्डा
लक्षद्वीप के मिनिकॉय में मौजूद नौसेना की टुकड़ी को “आईएनएस जटायु” के रूप में औपचारिक रूप से स्थापित किया जाएगा। यह लक्षद्वीप द्वीपसमूह में सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करने के भारतीय नौसेना के प्रयासों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। हालांकि, 1980 के दशक से ही लक्षद्वीप के सबसे दक्षिणी द्वीप मिनिकॉय में भारतीय नौसेना की मौजूदगी रही है, लेकिन आईएनएस जटायु को द्वीपसमूह में नौसेना का दूसरा पूर्ण अड्डा माना गया। इससे पहले, 2012 में कवरत्ती में आईएनएस द्वीप रक्षक को पहले नौसेना अड्डे के रूप में स्थापित किया गया था।
समुद्री डकैती विरोधी और मादक द्रव्य विरोधी अभियानों को रोकने में भी आईएनएस जटायु बेहद कारगर सिद्ध होगा। नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार ने जटायु को तैनात किया। आईएनएस जटायु को कमांडेंट व्रत बघेल की कमान में शामिल किया गया है। आईएनएस जटायु को कमीशन (जलावतरण) करने के बाद मिनिकॉय में नौसेना प्रमुख ने कहा, इस पोत का नामकरण महाकाव्य रामायण से प्रेरित है। उन्होंने बताया कि पौराणिक कथाओं के मुताबिक जटायु ने माता सीता के अपहरण को रोकने की कोशिश की थी।
आईएनएस जटायु के नाम के पीछे ‘स्वयं से पहले सेवा’ का उदाहरण
एडमिरल आर हरिकुमार ने कहा कि जटायु पहले शख्स थे, जिन्होंने माता सीता के अपहरण को रोकने के लिए प्रतिक्रिया दी। खुद की जान खतरे में डालकर स्वयं से पहले सेवा का उदाहरण दिया। इस आधार पर नौसेना के पोत- आईएनएस जटायु का नाम सुरक्षा निगरानी और निस्वार्थ सेवा की भावना से बेहद उपयुक्त है।
प्रभावी तरीके से होगी राष्ट्रीय हितों की रक्षा
नौसेना प्रमुख ने कहा कि आईएनएस जटायु पूरे क्षेत्र में समुद्री डोमेन के बारे में अच्छी जागरूकता बनाए रखने में मददगार साबित होगी। भारतीय नौसेना को इससे स्थितिजन्य जागरूकता और सूचना मिलेगी। अंडमान में पूर्व में आईएनएस बाज़ और अब पश्चिम में आईएनएस जटायु नौसेना की आंख और कान के रूप में काम करेंगे। नौसेना हमारे राष्ट्रीय हितों की और प्रभावी तरीके से रक्षा कर सकेगी।
हिंद महासागर क्षेत्र में निगरानी और युद्ध क्षमताओं में महत्वपूर्ण वृद्धि करते हुए भारतीय नौसेना ने बुधवार को अपने नये शामिल एमएच 60आर सीहॉक बहुद्देश्यी हेलिकॉप्टरों के पहले दस्ते को अपने बेड़े में शामिल कर लिया। हिंद महासागर क्षेत्र में सीहॉक की तैनाती भारतीय नौसेना की समुद्री मौजूदगी को मजबूत करेगी, संभावित खतरों को दूर करेगी और रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण क्षेत्र में एक सुरक्षित माहौल सुनिश्चित करेगी। आईएनएएस 334 ‘सीहॉक्स’ नौसैनिक वायु स्क्वाड्रन को नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार की उपस्थिति में कोच्चि में आईएनएस गरुड़ में एक समारोह में शामिल किया गया था।
आईएनएस जटायु क्यों रखा गया है यह नाम ?
“रामायण में, जटायु ‘प्रथम प्रतिक्रियाकर्ता’ थे, जिन्होंने सीता के अपहरण को रोकने की कोशिश की, यहां तक कि अपने स्वयं के जीवन को खतरे में डालकर, स्वयं से पहले सेवा का उदाहरण दिया। जटायु ने भगवान राम को जो जानकारी दी, उसने महत्वपूर्ण स्थितिजन्य जागरूकता प्रदान की, जिससे खोज सफल हुई। इसलिए इस इकाई का नाम जटायु रखना इसकी एक उपयुक्त मान्यता है सुरक्षा निगरानी और निस्वार्थ सेवा प्रदान करने की भावना प्रदान करता है इसी तरह यह इकाई पूरे क्षेत्र में अच्छी समुद्री डोमेन जागरूकता बनाए रखने के लिए भारतीय नौसेना को स्थितिजन्य जागरूकता प्रदान करेगी। अंडमान में पूर्व में आईएनएस बाज़ और अब पश्चिम में आईएनएस जटायु आंख और कान के रूप में काम करेंगे। नौसेना हमारे राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए सदैव तत्पर है ।