कोलकाता की हुगली नदी पर दौड़ी देश की पहली अंडरवाटर मेट्रो ट्रेन…
कोलकाता । देश की पहली अंडरवाटर मेट्रो ट्रेन कोलकाता में संचालित किया गया। यह देश की पहली अंडरग्राउंड मेट्रो ट्रेन है जो हुगली नदी पर बसे दोनों शहरों को जोड़ेगी । जिसका उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कोलकाता में किया । पश्चिम बंगाल दौरे पर पहुंचने के बाद एक समारोह में इस अत्याधुनिक मेट्रो रेल सेवा देशवासियों को समर्पित करेंगे। कोलकाता की अंडरवाटर मेट्रो का निर्माण हुगली नदी के नीचे कराया गया है। कुछ दिनों पहले रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कोलकाता मेट्रो रेल सेवाओं की समीक्षा की थी। यात्रियों के लिए पूरी तरह बनकर तैयार हो चुकी अंडरवाटर मेट्रो रेल को प्रधानमंत्री बुधवार को देश को समर्पित कर देंगे।
कोलकाता के दो शहरों को जोड़ेगी
अंडर वॉटर मेट्रो टनल हावड़ा मैदान-एस्प्लेनेड सेक्शन के बीच में दौड़ेगी। कोलकाता मेट्रो हावड़ा मैदान-एस्प्लेनेड टनल भारत में किसी भी नदी के नीचे बनाया जाने वाला पहला ट्रांसपोर्ट टनल है। फरवरी, 2020 में तत्कालीन रेल मंत्री पीयूष गोयल ने साल्ट लेक सेक्टर वी और साल्ट लेक स्टेडियम को जोड़ने वाले कोलकाता मेट्रो के पूर्व-पश्चिम मेट्रो कॉरिडोर के पहले चरण का उद्घाटन किया था। 16.5 किलोमीटर लंबी मेट्रो लाइन हुगली के पश्चिमी तट पर स्थित हावड़ा को पूर्वी तट पर साल्ट लेक शहर से जोड़ती है। 10.8 किलोमीटर हिस्सा भूमिगत है। यह भारत की पहली ऐसी परिवहन परियोजना है, जिसमें मेट्रो रेल नदी के के नीचे बनी सुरंग से गुजरेगी।
मेट्रो ट्रेन की गहराई
बता दें कि ये अंडर वॉटर मेट्रो टनल हावड़ा मैदान-एस्प्लेनेड सेक्शन के बीच में दौड़ेगी। इस मेट्रो टनल को हुगली नदी के तल से 32 मीटर नीचे बनाया गया है। कोलकाता मेट्रो हावड़ा मैदान-एस्प्लेनेड टनल भारत में किसी भी नदी के नीचे बनाया जाने वाला पहला ट्रांसपोर्ट टनल है। माना जा रहा है कि यह अंडरग्राउंड मेट्रो 45 सेकेंड में हुगली नदी के नीचे 520 मीटर की दूरी तय करने में सफल रहेगी।
हावड़ा मैदान से एस्प्लेनेड तक 4.8 किलोमीटर का रूट बनकर तैयार हो गया है। इस रूट में 4 अंडरग्राउंड स्टेशन – हावड़ा मैदान, हावड़ा स्टेशन, महाकरण और एस्प्लेनेड हावड़ा स्टेशन शामिल हैं, जो जमीन से 30 किलोमीटर नीचे बने हुए हैं। ये दुनिया में सबसे गहराई में बनाया गया मेट्रो स्टेशन है। इसके पहले अभी तक लंदन और पेरिस में ही पानी के नीचे मेट्रो रूट बने हुए हैं।
कब से हुई इस प्रोजेक्ट की शुरुआत
बता दें कि साल 2010 को इस प्रोजेक्ट के निर्माण कार्य की शुरुवात हुई । इस टनल को बनाने का कॉन्ट्रैक्ट एफकॉन्स कंपनी को दिया गया था। एफकॉन्स ने अंडर वॉटर मेट्रो प्रोजेक्ट के लिए जर्मन कंपनी हेरेनकनेक्ट सेल बोरिंग मशीन (टीबीएम) मंगाईं थी। इन मशीनों के नाम प्रेरणा और रचना हैं, जो एफकॉन्स के एक कर्मचारी की बेटियों के नाम पर हैं।
इस प्रोजेक्ट की सबसे बड़ी दो चुनौतियां यहीं थीं कि खुदाई के लिए सही मिट्टी का चुनाव कैसे होगा और दूसरा टीबीएम की सेफ्टी कोलकाता में हर 50 मीटर की दूरी पर अलग-अलग तरह की मिट्टी मिलती है। टनल के लिए सही जगह की पहचान के लिए मिट्टी के सर्वे में ही 5 से 6 महीने गुजर गए थे और 3 से 4 बार सर्वे किए जाने के बाद तय किया गया कि हावड़ा ब्रिज से हुगली नदी के तल से 13 मीटर नीचे की मिट्टी पर टनल बनाई जा सकती हैऔर इसके बनने की प्रक्रिया प्रारंभ की गयी ।
निर्माण
- यह ट्रेन नदी की सतह से 26 मीटर नीचे स्थित यह सुरंग ट्रेनों को नदी के तल से 16 मीटर नीचे संचालित करने की अनुमति देती है, जो नदी के नीचे यात्रा करने वाली मेट्रो ट्रेनों के भारत के पहले उद्यम को प्रदर्शित करती है।
- यह पहल कोलकाता में यातायात की भीड़ को काफी हद तक कम करने के लिए तैयार है, जो सड़क परिवहन के लिए एक स्थायी और कुशल विकल्प पेश करेगी।
- रेल मंत्रालय ने बताया कि पूर्व-पश्चिम मेट्रो मार्ग का 10.8 किलोमीटर भूमिगत होगा, जिसके पूरक 5.75 किलोमीटर ऊंचे खंड होंगे। भूमिगत और ऊंचे रास्तों के इस मिश्रण से शहर में शहरी गतिशीलता में भारी सुधार होने की उम्मीद है।
भारत की पहली अंडरवाटर मेट्रो ट्रेन के महत्वपूर्ण तथ्य
- कोलकाता मेट्रो ने अप्रैल 2023 में एक मील का पत्थर हासिल किया, जब इसके रेक ने भारत में पहली बार जल स्तर से 32 मीटर नीचे एक सुरंग के माध्यम से हुगली नदी के तल के नीचे एक परीक्षण यात्रा पूरी की।
- हावड़ा मैदान और एस्प्लेनेड के बीच 4.8 किलोमीटर की दूरी तक फैला यह खंड ईस्ट-वेस्ट मेट्रो कॉरिडोर का एक महत्वपूर्ण खंड बनाता है, जो आईटी हब साल्ट लेक सेक्टर V जैसे प्रमुख क्षेत्रों को जोड़ता है।
- ईस्ट-वेस्ट मेट्रो के कुल 16.6 किलोमीटर में से, 10.8 किलोमीटर में एक भूमिगत गलियारा शामिल है, जिसमें हुगली नदी के नीचे अभूतपूर्व सुरंग भी शामिल है।
- मेट्रो का खंड, जिसमें छह स्टेशन हैं, जिनमें से तीन भूमिगत हैं, यात्रियों के लिए बेहतर पहुंच का वादा करता है, जो रणनीतिक रूप से शहर के व्यस्त क्षेत्रों की सेवा प्रदान करता है।
- मेट्रो ट्रेन से नदी के नीचे 520 मीटर की दूरी को केवल 45 सेकंड में पार करने की उम्मीद की जाती है, यह न केवल गति प्रदान करती है बल्कि परिवहन का एक निर्बाध और समय-कुशल तरीका भी सुनिश्चित करती है, जिससे कोलकाता की कनेक्टिविटी और शहरी गतिशीलता में वृद्धि होती है।
यह महत्वाकांक्षी परियोजना न केवल परिवहन आवश्यकताओं को संबोधित करती है, बल्कि कोलकाता में यातायात की भीड़ और वायु प्रदूषण के लंबे समय से चले आ रहे मुद्दों से भी निपटती है, जो एक हरित, अधिक कुशल शहरी वातावरण का वादा करती है।