September 17, 2024

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाने के लिए 8 मार्च का दिन ही क्यों चुनते है ?…

0

International women’s day :  प्राचीन काल में जैसा कि कहा जाता था “यत्र नार्यस्तु पुज्यंते रमन्ते तत्र देवता” अर्थात्  इतिहास काल से भारतीय समाज में नारियों की पूजा की जाती रही है और महिलाओं के सम्मान के लिए ही यह दिवस मनाने का निर्णय लिया गया । जिसे मनाने के लिए 8 मार्च का दिन चुना गया । इसी के साथ पूरे विश्व में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाने लगा ।

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस का महत्व क्या है ?

महिलाओं की उन्नति और विकास को बढ़ावा देना भी इस दिन का मकसद है। साल 1977 में यूनाइटेड नेशंस जनरल असेंबली ने 8 मार्च को महिला दिवस घोषित किया था । इसके बाद से ही अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाने लगा। हालांकि, इस दिन को मनाने की नींव 1909 में ही रख दी गई थी । महिलाओं को पुरुषों के बराबर सम्मान देने और उन्हें अपने अधिकारों के प्रति जागरूक करना इस दिन को मनाने का मकसद है। महिलाओं के हौसलों को बुलंद करने और समाज में फैले असमानता को दूर करने के लिए इस दिन का काफी महत्व है।

8 मार्च को क्यों मनाया जाता है ?

1910 में क्लारा जेटकिन नाम की एक महिला ने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की बुनियाद रखी थी । अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस या महिला दिवस, कामगारों के आंदोलन से निकला था, जिसे बाद में संयुक्त राष्ट्र ने भी सालाना जश्न के तौर पर मान्यता दी। इस दिन को ख़ास बनाने की शुरुआत आज से 115 बरस पहले यानी 1908 में तब हुई, जब क़रीब पंद्रह हज़ार महिलाओं ने न्यूयॉर्क शहर में एक परेड निकाली। उनकी मांग थी कि महिलाओं के काम के घंटे कम हों। तनख़्वाह अच्छी मिले और महिलाओं को वोट डालने का हक़ भी मिले। एक साल बाद अमरीका की सोशलिस्ट पार्टी ने पहला राष्ट्रीय महिला दिवस मनाने का एलान किया। इसे अंतरराष्ट्रीय बनाने का ख़याल सबसे पहले क्लारा ज़ेटकिन नाम की एक महिला के ज़हन में आया था।


क्लारा एक वामपंथी कार्यकर्ता थीं। वो महिलाओं के हक़ के लिए आवाज़ उठाती थीं। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाने का सुझाव, 1910 में डेनमार्क की राजधानी कोपेनहेगेन में कामकाजी महिलाओं के अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में दिया था। उस सम्मेलन में 17 देशों से आई 100 महिलाएं शामिल थीं और वो एकमत से क्लारा के इस सुझाव पर सहमत हो गईं। पहला अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 1911 में ऑस्ट्रिया, डेनमार्क, जर्मनी और स्विटज़रलैंड में मनाया गया। इसका शताब्दी समारोह 2011 में मनाया गया। तो, तकनीकी रूप से इस साल हम 112वां अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाने जा रहे हैं।

महिला दिवस मनाने की शुरुआत

इस वजह से 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाने की शुरुआत हुई। बाद में 1975 में संयुक्त राष्ट्र ने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस को मान्यता दे दी। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस तो 1917 में जाकर तय हुआ था, जब रूस की महिलाओं ने ‘रोटी और अमन’ की मांग करते हुए, ज़ार की हुक़ूमत के ख़िलाफ़ हड़ताल की थी। इसके बाद ज़ार निकोलस द्वितीय को अपना तख़्त छोड़ना पड़ा था। सके बाद बनी अस्थायी सरकार ने महिलाओं को वोट डालने का अधिकार दिया था।

महिला दिवस 2024 की थीम क्या है ?

हर साल अंतरराष्‍ट्रीय महिला दिवस को एक थीम के साथ सेलिब्रेट किया जाता है। साल 2024 में इस दिन को एक ऐसी दुनिया,जहां हर किसी को बराबर का हक और सम्मान मिले थीम के साथ मनाया जाएगा। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का मकसद महिला सशक्तिकरण की तरफ एक कदम है। महिलाओं की उन्नति और विकास को बढ़ावा देना भी इस दिन का मकसद है। साल 1977 में यूनाइटेड नेशंस जनरल असेंबली ने 8 मार्च को महिला दिवस घोषित किया था। इसके बाद से ही अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाने लगा। हालांकि, इस दिन को मनाने की नींव 1909 में ही रख दी गई थी। इस साल महिला दिवस की “कैंपेन थीम (Campaign Theme)” के बारे में जानिए यहां और साथ ही यह भी कि इस खास थीम का अर्थ क्या है

इस साल अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की “कैंपेन थीम इंस्पायर इंक्लुजन (Inspire Inclusion) है”। इंस्पायर इंक्लुजन का अर्थ है महिलाओं के महत्व को समझने के लिए लोगों को जागरूक करना।  इस थीम का अर्थ महिलाओं के लिए एक ऐसे समाज के निर्माण को बढ़ावा देना भी है । जहां महिलाएं खुद को जुड़ा हुआ महसूस कर सकें, सशक्त महसूस कर सकें। अगर किसी क्षेत्र विशेष में, जैसे किंसी कंपनी में महिलाएं नहीं हैं, तो इंस्पायर इंक्लुजन कैंपेन के तहत मकसद यह है कि पूछा जाए कि अगर महिलाएं नहीं हैं तो क्यों नहीं हैं। अगर महिलाओं के साथ किसी तरह का भेदभाव हो रहा है तो उस भेदभाव को खत्म करना जरूरी है। अगर महिलाओं के साथ अच्छा बर्ताव नहीं होता है तो उसके खिलाफ कदम उठाना जरूरी है और यह हर बार करना जरूरी है । यही इंस्पायर इंक्लुजन है।

महिला दिवस की विशेषता

  1. महिलाओं के विचारों को सुना जाए और उन्हें सम्मिलित महसूस हो इसका ध्यान रखा जाए
  2. महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाना
  3. विविध प्रतिभाओं को भर्ती करना, उन्हें रखना और विकसित (Develop) करने पर ध्यान देना
  4. नेतृत्व, निर्णय लेने और व्यवसाय में महिलाओं और लड़कियों का समर्थन करना
  5. महिलाओं और लड़कियों की जरूरतों को पूरा करने वाला बुनियादी ढांचे का निर्माण करना
  6. महिलाओं और लड़कियों को उनके स्वास्थ्य के बारे में जानकारीपूर्ण निर्णय लेने में मदद करना
  7. कृषि और खाद्य सुरक्षा में महिलाओं और लड़कियों को शामिल करना
  8. महिलाओं और लड़कियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और प्रशिक्षण तक पहुंच प्रदान करना
  9. खेल में महिलाओं और लड़कियों की भागीदारी और उपलब्धि को बढ़ाना
  10. महिलाओं और लड़कियों की रचनात्मक और कलात्मक प्रतिभा को बढ़ावा देना
  11. महिलाओं और लड़कियों की उन्नति का समर्थन करने वाले अन्य क्षेत्रों को संबोधित करना, शामिल करना

लोग इस दिन जामुनी रंग के कपड़े क्यों पहनते हैं?

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की पहचान अक्सर जामुनी रंग से होती है क्योंकि इसे ‘इंसाफ़ और सम्मान’ का प्रतीक माना जाता है। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की जामुनी, हरा और सफ़ेद अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के रंग हैं। ‘जामुनी रंग इंसाफ़ और सम्मान का प्रतीक है । हरा रंग उम्मीद जगाने वाला है, तो वहीं सफ़ेद रंग शुद्धता की नुमाइंदगी करता है।’हालांकि इस रंग से जुड़ी परिकल्पना को लेकर विवाद भी है। महिला अधिकार कार्यकर्ता कहते हैं , “महिला दिवस से ताल्लुक़ रखने वाले इन रंगों की शुरुआत 1908 में ब्रिटेन में महिलाओं के सामाजिक और राजनीतिक संघ (WSPU) से हुई थी।”

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस को औपचारिक मान्यता 1975 में उस वक़्त मिली, जब संयुक्त राष्ट्र ने भी ये जश्न मनाना शुरू कर दिया। संयुक्त राष्ट्र ने इसके लिए पहली थीम 1996 में चुनी थी, जिसका नाम ‘गुज़रे हुए वक़्त का जश्न और भविष्य की योजना बनाना’ था। आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस, समाज में, सियासत में, और आर्थिक क्षेत्र में महिलाओं की तरक़्क़ी का जश्न मनाने का दिन बन चुका है। जबकि इसके पीछे की सियासत की जो जड़ें हैं, उनका मतलब ये है कि हड़तालें और विरोध प्रदर्शन आयोजित करके औरतों और मर्दों के बीच उस असमानता के प्रति जागरूकता फैलाना है, जो आज भी बनी हुई है। जब क्लारा जेटकिन ने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाने का सुझाव दिया था, तो उनके ज़हन में कोई ख़ास तारीख़ नहीं थी।

_Advertisement_
_Advertisement_

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

इन्हें भी पढ़े