क्या होता है ड्राई आइस, कितना खतरनाक हो सकता है सेहत के लिए…

दिल्ली। ड्राई आइस या जिसे सूखी बर्फ़ भी कहते हैं वो कॉर्बन डाइऑक्साइड का ठोस रूप होता है। इसे न्यूनतम तापमान क़रीब -78 डिग्री सेल्सियस में रखा जाता है। जिसका इस्तेमाल चीज़ों को फ्रीज़ या ठंडा करने के लिए किया जाता है और ये सामान्य बर्फ़ की तरह गीली नहीं होती है। आमतौर पर ड्राई आइस सुरक्षित होती है लेकिन उसका तापमान कम होने की वजह से अगर ये त्वचा के संपर्क में आती है तो फ्रोस्टबाइट या कोल्ड बर्न (ठंड की वजह से त्वचा जल जाना) जैसी समस्या हो सकती है।
ड्राई आइस, सामान्य बर्फ़ की तरह ही सफ़ेद दिखती है लेकिन आमतौर पर इस्तेमाल होने वाली बर्फ़ पानी (एचटूओ) को एक तापमान पर जमा कर बनाई जाती है लेकिन ड्राई आइस कार्बन डाइऑक्साइड का ठोस प्रकार होता है और हवा से रिएक्शन की वजह से इससे धुआँ निकलता रहता है। ”जब सामान्य बर्फ पिघलती है तो वो पानी बन जाती है और पानी को जलाने पर वाष्प निकलती है लेकिन ड्राई आइस जब पिघलती है तो वो पानी बनने की बजाए सीधा गैस बनती है। अगर किसी बंद जगह पर ये ज़्यादा मात्रा में रह जाए तो नुक़सानदेह हो सकती है।”
ड्राई आइस का इस्तेमाल किसलिए होता है?
ड्राई आइस का उपयोग लंबे समय तक चीज़ों को सरंक्षित करने के लिए भी होता है। ड्राई आइस का इस्तेमाल औद्योगिक ज़रूरतों के लिए होता था क्योंकि ये बेहतरीन कूलिंग एजेंट होता है। इसका इस्तेमाल खाद्य पदार्थों को सरंक्षित करने के लिए भी होने लगा क्योंकि इससे तापमान -30 डिग्री सेंटीग्रेट तक ले जाया जा सकता है।
लिक्विड नाइट्रोजन और ड्राई आइस, ड्राई आइसइमेज स्रोत,GETTYIMAGES, इमेज कैप्शन का इस्तेमाल भी होता है।
गुरुग्राम के रेस्टोरेंट में बीमार होने का मामला हुआ
गुरुग्राम के रेस्टोरेंट में पांच लोगों के माउथ फ़्रेशनर खाकर बीमार होने का मामला सामने आया है। खाना खाने के बाद रेस्टोरेंट के वेटर ने उन्हें माउथ फ़्रेशनर ऑफर किया, जिसे केवल पांच लोगों ने खाया। माउथ फ़्रेशनर खाने के बाद पांच लोगों का मुंह जलने लगा और ख़ून निकलने लगा। छठवें व्यक्ति ने माउथ फ़्रेशनर नहीं खाया क्योंकि उनके गोद में बच्चा था और इस व्यक्ति ने ज़ोर देकर जब वेटर से पूछा कि क्या खिलाया है तो उसने एक पॉलिथिन दिखाया। माउथ फ़्रेशनर खाकर पांच लोगों की तबीयत बिगड़ते देख उन्हें गुरुग्राम स्थित निजी आरवे अस्पताल में भर्ती कराया गया और डॉक्टर को पॉलिथिन दिखाया गया जिसमें माउथ फ़्रेशनर दिया गया था। अस्पताल के डॉक्टर ने पॉलिथिन में मौजूद चीज़ को ड्राई आइस बताया और इन लोगों ने उस पॉलिथिन को अस्पताल को दे दिया।
ड्राई आइस कितना खतरनाक हो सकता है ?
ड्राई आइस को बिना दस्ताने पहने इस्तेमाल नहीं करना चाहिए क्योंकि इससे त्वचा जल सकती है।”ड्राई आइस बहुत ठंडी होती है ऐसे में पेट में जाते ही वो वहां छेद बना देती है। जो काफ़ी जानलेवा हो सकता है. वहीं इसकी गैस अगर फेफड़ों में जाती है तो इससे बेहोशी हो सकती है ” ड्राई आइस की कितनी मात्रा नुक़सान देह हो सकती है ये कहना मुश्किल है लेकिन उदाहरण से समझें तो अगर बच्चा 30 ग्राम का टुकड़ा खा लेता है तो वो नुक़सान देह हो सकता है क्योंकि जहां वो जाता है वहां की त्वचा को चीर देता है ।
रेस्टोरेंट में जहां खाने की चीज़ों को आकर्षित दिखाने के लिए धुंआ दिखाकर इसका इस्तेमाल होता है वहीं शादियों या समारोह में दुल्हन या दूल्हे की एंट्री के समय फॉग के ज़रिए एक इफ़ेक्ट बनाने के लिए भी इसका इस्तेमाल किया जा रहा है। लेकिन अगर बंद कमरे में ड्राई आइस के धुएं का इस्तेमाल होता है तो इससे शरीर में ऑक्सीजन की कमी हो सकती है, कार्बन डाइऑक्साइड का स्तर बढ़ सकता है और बेहोशी जैसी हालत हो सकती है।