यूजीसी की नई पहल: विश्वविद्यालय अब विभाजन की विभीषिका समझाने के लिए आएंगी आगे,यूजीसी ने जारी किया पत्र…

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने 1947 में हुए विभाजन की विभीषिका से लोगों को अवगत कराने के लिए एक बड़ी पहल की है। यूजीसी ने इस संबंध में देशभर के सभी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को एक पत्र जारी किया है। इस पत्र के द्वारा विश्वविद्यालयों को कहा गया है कि वे लोगों को विभाजन की विभीषिका से अवगत कराएं। यूजीसी की इस पहल के बाद अब विभिन्न विश्वविद्यालयों के माध्यम से 14 अगस्त 1947 को हुई विभाजन की विभीषिका को याद किया जाएगा।
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बता दें की यूजीसी ने विश्वविद्यालयों को विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस पर विभिन्न आयोजन करने के लिए यह आधिकारिक पत्र जारी किया है। यूजीसी के अध्यक्ष प्रो. एम. जगदीश कुमार ने कहा कि प्रधानमंत्री ने पिछले साल 14 अगस्त को 1947 में विभाजन के दौरान लाखों भारतीयों के कष्टों और बलिदानों की देश को याद दिलाने के लिए ‘विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस’ के रूप में मनाने की घोषणा की थी. इसका उद्देश्य यह है कि हम सामाजिक विभाजन, असामंजस्य के जहर को दूर करें और एकता, सामाजिक सद्भाव और मानव सशक्तिकरण की भावना को और मजबूत करें।
यूजीसी के सचिव प्रोफेसर रजनीश जैन द्वारा जारी किए गए इस पत्र में विभिन्न विश्वविद्यालयों से कहा गया है कि जैसा कि आप जानते हैं कि प्रधानमंत्री ने 15 अगस्त, 2021 को अपने भाषण में 14 अगस्त को ‘विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस के रूप में याद करने की घोषणा की थी। आजादी का अमृत महोत्सव के इस वर्ष में, जब देश को स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूरे हो रहे हैं, पूरे देश में विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस के तौर पर याद किया जा रहा है। विभाजन के पीड़ित लाखों लोगों की पीड़ा और दर्द को प्रकाश में लाने के लिए विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस की परिकल्पना की गई है।
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यूजीसी के अनुसार यह देश को पिछली सदी में मानव आबादी के सबसे बड़े विस्थापन की याद दिलाने के लिए है, जिसने बड़ी संख्या में लोगों के जीवन की हानि हुई थी। विभाजन प्रभावित लोगों की पीड़ाओं को प्रदर्शित करने के लिए भारतीय ऐतिहासिक अनुसंधान परिषद (आईसीएचआर) और इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (आईजीएनसीए) द्वारा संयुक्त रूप से एक प्रदर्शनी आयोजित की गई है. यह प्रदर्शनी, अंग्रेजी और हिंदी में वेबसाइट पर डिजिटल प्रारूप में उपलब्ध है।
यूजीसी ने अपने जारी पत्र में कहा की, सभी विश्वविद्यालयों और उनके कॉलेजों से अनुरोध है कि प्रदर्शनी को 10 से 14 अगस्त, 2022 के दौरान प्रमुख स्थानों पर प्रदर्शित करें, जहां बड़ी संख्या में लोग इसे देख सकें। मुद्दे की संवेदनशीलता को समझते हुए, यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि प्रदर्शनी को उस संयम और गंभीरता के साथ प्रदर्शित किया जाए जिसकी वह हकदार है।
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