September 16, 2024

अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस : अलग-अलग संस्कृतियों के बीच संवाद, समृद्धि और एकता को बढ़ाने का है माध्यम

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उद्देश्‍य : अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस के मायने न केवल दुनिया के सभी डांसर्स को प्रोत्साहित करना है, इसके साथ ही लोगों को डांस के माध्यम से होने वाले फायदों के बारे में भी बताना है। जिससे नृत्य कला के माध्यम से विभिन्न संस्कृतियों के बीच संवाद को बढ़ावा मिलता है, जिससे समृद्धि और एकता का वातावरण बनता है।

कैसे हुई थी शुरुआत?

इस दिन को मनाने की शुरुआत 1982 में हुई थी, जो अंतरराष्ट्रीय रंगमंच संस्थान (ITI) की अंतरराष्ट्रीय नृत्य समिति की ओर से की आयोजित की गई थी। आईटीआई एक गैर-सरकारी संगठन है, जो संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (UNESCO) का ही एक हिस्सा है। अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस को नृत्य के जादूगर जीन जॉर्जेस नोवेरे को समर्पित किया गया है।


कौन थे जॉर्जेस नोवेरे ?

बता दें कि जॉर्जेस नोवेरे एक मशहूर बैले मास्टर थे, जिन्हें फादर ऑफ बैले के नाम से भी जाना जाता है। जिसका जन्म  29 अप्रैल 1727 को हुआ था। साल 1982 में आईटीआई की नृत्य समिति की ओर से जॉर्जेस नोवरे के जन्मदिन 29 अप्रैल को अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस मना कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करने से की थी। जिसके बाद से हर साल 29 अप्रैल को अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस मनाया जाने लगा। जॉर्जेस नोवेरे ने ‘लेटर्स ऑन द डांस’ नाम की एक किताब भी लिखी थी, जिसमें नृत्य से जुड़ी एक-एक बारीकियों को दर्शाया गया हैं। जिसके बारे में कहा जाता है कि इस किताब को पढ़कर कोई भी नृत्य करना सीख सकता है।

अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस क्या है?

नृत्य न केवल मनोरंजन का एकमात्र साधन नहीं है, बल्कि यह भावनाओं को व्यक्त करने, संस्कृतियों को जोड़ने और स्वस्थ जीवन जीने का एक शानदार तरीका भी है। जो विभिन्न प्रकार के होते हैं, जिनमें से कुछ लोकप्रिय प्रकारों में शामिल हैं: भरतनाट्यम, कथक, लावणी, साल्सा, हिप हॉप, जैज़ आदि। इसी अद्भुत कला का सम्मान करने के लिए हर साल 29 अप्रैल को अंतर्राष्ट्रीय नृत्य दिवस मनाया जाता है। इस दिन नृत्य कला के महत्व को सार्वजनिक रूप से मान्यता और प्रतिष्ठा देने का मुख्य उद्देश्य होता है।

महत्व

इस दिवस का महत्व नृत्य कला के सामाजिक, सांस्कृतिक, और मानवता के हिसाब से बहुत अधिक है। क्योकि यह एक महत्वपूर्ण दिन है जो नृत्य कला के महत्व को प्रस्तुत करता है और इसे समर्थन करता है। नृत्य कला के माध्यम से विभिन्न संस्कृतियों के बीच संवाद को बढ़ावा मिलता है, जिससे समृद्धि और एकता का वातावरण बनता है। इस दिन के माध्यम से नृत्य कला के प्रति लोगों की जागरूकता बढ़ती है और नृत्य कला को उच्चतम स्तर पर मान्यता दी जाती है।

रोचक तथ्य

  • अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस का पहला आयोजन 29 अप्रैल 1982 को किया गया था।
  • जीन-जॉर्जेस नोवेरे को “बैले के पिता” के रूप में भी जाना जाता है।
  • यह तारीख फ्रांसीसी बैले मास्टर और कोरियोग्राफर जीन-जॉर्जेस नोवेरे की जयंती के साथ मेल खाती है।
  • इस दिन का आयोजन मौरीस बेजार्ट नामक नृत्यकार ने किया था।
  • शास्त्रीय और लोक नृत्य भारत में दो सबसे लोकप्रिय नृत्य रूप हैं।
  • कई देशों में अपने-अपने राष्ट्रीय नृत्य दिवस भी होते हैं।

भारत के प्रमुख नृत्य कौन – कौन से है ?

हर क्षेत्र में अलग – अलग धर्म संस्कृति के लोग निवासरत है । जिसकी अपनी परम्पराएँ व लोक नृत्य कलाएं उसकी सांस्कृतिक धरोहर का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। इन नृत्य कलाओं के माध्यम से भारतीय संस्कृति, परंपरा, और विरासत का समृद्ध विवर्ण प्रदर्शित होता है। जिसके माध्यम से अपनी विरासत को समझते हैं और उसे आगे बढ़ाने का प्रयास करते हैं।

भारत के प्रमुख नृत्य कलाएं हैं:-

भरतनाट्यम : भारत का एक प्राचीन और सम्मानित शास्त्रीय नृत्य है, जिसकी उत्पत्ति तमिलनाडु में हुई थी। यह नृत्य अपनी जटिल भावों, लयबद्ध तालमेल और आकर्षक संगीत के लिए जाना जाता है। पूरे विश्व में लोकप्रिय यह पारंपरिक नृत्य दया, पवित्रता व कोमलता के लिए जाना जाता है।

कथक : उत्तर प्रदेश से प्रारंभ हुई यह नृत्य भगवान कृष्ण और राधा की प्रेम कहानी को दर्शाता है, और राधा की नटवरी भावनाओं को अभिव्यक्त करता है। बता दें कि कथक का नाम संस्कृत शब्द कहानी व कथार्थ से प्राप्त होता है।

कथकली : केरल राज्य का 17वीं शताब्दी में उभरा हुआ एक शास्त्रीय नृत्य नाटक है जो अपनी आकर्षक वेशभूषा, मुखौटों, इशारों के माध्यम से कहानियों को प्रदर्शित करता है। यह नृत्य हिंदू महाकाव्यों, पौराणिक कथाओं और लोककथाओं से प्रेरित है, और इसमें कलाकार नृत्य, गायन और अभिनय का मिश्रण पेश करते हैं।

भक्ति और प्रेम समर्पित नृत्य

ओडिसी : ओडिसी, भारत के उड़ीसा राज्य का एक प्रमुख शास्त्रीय नृत्य है जो भगवान कृष्ण के प्रति भक्ति और प्रेम को दर्शाता है, और उनकी लीलाओं और दिव्य चरित्र को चित्रित करता है। ओडिसी नृत्य में चेहरे के भाव, हाथों के इशारे और मुद्राएं बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। नृत्यक विभिन्न भावनाओं को व्यक्त करने के लिए इनका उपयोग करते हैं, जैसे कि खुशी, उदासी, क्रोध और प्रेम।

भांगड़ा: यह पंजाब का एक लोकप्रिय नृत्य है, जो अपनी ऊर्जावान धुनों, समूह नृत्य के लिए प्रसिद्ध है। यह नृत्य फसल कटाई के मौसम से जुड़ा हुआ है और इसे पारंपरिक रूप से पुरुषों द्वारा किया जाता था, हालांकि अब महिलाएं भी इसमें भाग लेती हैं।

लावणी: लावणी, भारत के पश्चिम में स्थित महाराष्ट्र राज्य का एक लोकप्रिय नृत्य है जो अपनी आकर्षक धुनों, ऊर्जा, लय और भावपूर्ण प्रस्तुति के लिए प्रसिद्ध है। लावणी की उत्पत्ति 18वीं शताब्दी के आसपास हुई थी। माना जाता है कि यह ग्रामीण इलाकों में शुरू हुआ था और धीरे-धीरे शहरों में लोकप्रिय हो गया। लावणी शब्द “लावण्य” से आया है, जिसका अर्थ है सुंदरता। यह नृत्य महिलाओं की सुंदरता को दर्शाता है।

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