Foundation course day-9 – श्री रावतपुरा सरकार इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड रिसर्च कॉलेज में विकलांगता कौशल, शिक्षण पद्धति व बायोकैमिकल वेस्ट के प्रबंधन पर हुई चर्चा…
नवा रायपुर। श्री रावतपुरा सरकार इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड रिसर्च कॉलेज में चल रहे फाउंडेशन कोर्स के नौवें दिन विकलांगता कौशल, शिक्षण पद्धति, जैविक खतरनाक सामग्री का प्रबंधन और सुरक्षित निपटान व मरीजों और सहकर्मियों के साथ स्थानीय भाषा का उपयोग कैसे करना है ? इस विषय पर समझाया गया कॉलेज में आये हुए डॉ की टीम के द्वारा, जिससे लोगों में जागरूकता लायी जा सके।
क्या है मतलब विकलांगता कौशल का?
विकलांगता कौशल का मतलब है उन विशेष क्षमताओं और ज्ञान का सेट जो किसी व्यक्ति को विकलांगता से संबंधित मुद्दों को समझने, समर्थन करने और प्रबंधित करने में सक्षम बनाता है। इसमें कई महत्वपूर्ण पहलू शामिल हैं-
विकलांगता के प्रति संवेदनशीलता विकसित करना महत्वपूर्ण है, ताकि हम लोगों की जरूरतों और अनुभवों को बेहतर तरीके से समझ सकें। विकलांगता की विभिन्न प्रकारों (जैसे शारीरिक, मानसिक, और संज्ञानात्मक विकलांगता) के बारे में जानकारी होना ज़रूरी है। यह समझना कि कैसे सभी को समावेशी वातावरण में शामिल किया जा सकता है, ताकि कोई भी व्यक्ति अलग-थलग न पड़े। विकलांग व्यक्तियों के साथ प्रभावी संवाद करना और उनकी जरूरतों को समझना, जैसे कि श्रवण बाधित व्यक्तियों के लिए सांकेतिक भाषा का उपयोग करना। यह जानना कि विभिन्न समर्थन प्रणालियाँ (जैसे शैक्षिक, चिकित्सीय और सामाजिक) कैसे काम करती हैं और कैसे इनका उपयोग किया जा सकता है। विकलांगता से संबंधित कानूनों और नीतियों की जानकारी, जैसे कि विशेष शिक्षा अधिनियम, आरक्षण नीतियाँ, आदि।
शिक्षण की पद्धति पर हुई चर्चा
शिक्षण पद्धति वह दृष्टिकोण और तकनीकें हैं जिनका उपयोग शिक्षा और प्रशिक्षण के लिए किया जाता है। यह न केवल शिक्षकों द्वारा सिखाने के तरीकों को दर्शाती है, बल्कि यह छात्रों के सीखने के अनुभव को भी प्रभावित करती है।
1. शिक्षण की शैली: जैसे कि संवादात्मक, व्यावहारिक, और दृश्यात्मक शिक्षण, जो छात्रों की भिन्न आवश्यकताओं के अनुसार होती हैं। शिक्षकों को यह समझना चाहिए कि कौन सी शैली उनके छात्रों के लिए सबसे प्रभावी है।
2. छात्र-केंद्रित शिक्षा : इस पद्धति में छात्रों को सीखने की प्रक्रिया में सक्रिय रूप से शामिल किया जाता है। इससे वे अपने ज्ञान और कौशल को बेहतर तरीके से विकसित कर सकते हैं।
3. संवेदनशीलता और विविधता: विभिन्न पृष्ठभूमियों और क्षमताओं वाले छात्रों के लिए उपयुक्त शिक्षा का प्रावधान करना। इसमें विकलांगता वाले छात्रों के लिए विशेष समर्थन शामिल हो सकता है।
4. प्रौद्योगिकी का उपयोग : आज के डिजिटल युग में, तकनीकी उपकरणों का उपयोग शिक्षण में किया जाता है, जैसे कि ऑनलाइन संसाधन, शैक्षिक सॉफ़्टवेयर और इंटरैक्टिव प्लेटफार्म।
5. संपर्क और संवाद : शिक्षकों और छात्रों के बीच खुला संवाद होना चाहिए, जिससे छात्रों की चिंताओं और सवालों को सुना जा सके।
6. अंतरिक्ष और वातावरण : सीखने का वातावरण भी महत्वपूर्ण है। एक सकारात्मक और सहयोगी वातावरण छात्रों की सीखने की क्षमता को बढ़ा सकता है।
बायोकैमिकल वेस्ट का प्रबंधन और सुरक्षित निपटान कैसे करे ?
साथ ही बताया कि जैविक खतरनाक सामग्री (Biomedical Waste) का सही प्रबंधन और निपटान स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसके लिए एक अनुशासित और संगठित प्रक्रिया की आवश्यकता होती है। जिससे सभी सामग्री को उनके प्रकार के अनुसार वर्गीकृत करना चाहिए, जैसे – खून और शरीर के तरल पदार्थ : इन्हें लाल बैग में रखा जाना चाहिए। सुई और धारदार वस्तुएं – इन्हें कड़े कंटेनर में निपटाया जाना चाहिए। मिश्रित सामग्री – इन्हें उचित ढंग से अलग किया जाना चाहिए।
व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण का उपयोग : जैसे दस्ताने, मास्क, और गॉगल्स का सही उपयोग किया जाना चाहिए। हैंडलिंग के बाद हाथों की सफाई और उपकरणों की उचित सफाई सुनिश्चित करें।
निपटान के तरीके का किया वर्णन
जैविक उपचार कुछ प्रकार के जैविक कचरे को कीटाणु रहित करने के लिए भौतिक या रासायनिक विधियों का उपयोग करना। सुरक्षित स्थानों पर उचित तरीके से निपटान।भारत में जैविक खतरनाक सामग्री के प्रबंधन के लिए विभिन्न नियम और दिशा-निर्देश का पालन करना, स्थानीय स्वास्थ्य प्राधिकरणों के साथ समन्वय करना और समय-समय पर निरीक्षण सुनिश्चित करना।
प्रशिक्षण और जागरूकता
सभी स्टाफ और स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को जैविक खतरनाक सामग्री के प्रबंधन के बारे में नियमित रूप से प्रशिक्षण देना चाहिए। जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करना ताकि सभी लोग निपटान के महत्व और सही प्रक्रियाओं को समझें।
मरीजों और सहकर्मियों के साथ स्थानीय भाषा का उपयोग कैसे करे ?
स्थानीय भाषा का उपयोग स्वास्थ्य देखभाल में मरीजों और सहकर्मियों के साथ बातचीत के दौरान कई महत्वपूर्ण लाभ प्रदान करता है-
जब मरीज अपनी मातृभाषा में बात करते हैं, तो वे अपनी स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं और चिंताओं को बेहतर तरीके से व्यक्त कर पाते हैं। यह संवाद में स्पष्टता लाता है और गलतफहमी को कम करता है। स्थानीय भाषा का उपयोग करने से स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं और मरीजों के बीच विश्वास और समझ का एक मजबूत रिश्ता बनता है। इससे मरीज को यह महसूस होता है कि उनके स्वास्थ्य के प्रति ध्यान दिया जा रहा है। जब स्वास्थ्य कार्यकर्ता स्थानीय भाषा का उपयोग करते हैं, तो यह दिखाता है कि वे मरीज की संस्कृति और पृष्ठभूमि का सम्मान करते हैं। यह संवेदनशीलता मरीजों के साथ बेहतर संबंध बनाने में मदद करती है।
स्वास्थ्य संबंधी जानकारी को स्थानीय भाषा में उपलब्ध कराने से अधिक से अधिक लोग समझ पाते हैं और स्वास्थ्य सेवाओं का बेहतर उपयोग कर सकते हैं। यह स्वास्थ पर शिक्षा को बढ़ावा देता है, जैसे कि रोगों की रोकथाम और सहकर्मियों के साथ स्थानीय भाषा में बातचीत करना टीमवर्क को बढ़ावा देता है। यह एक सहयोगात्मक वातावरण बनाने में मदद करता है, जहां सभी लोग खुलकर अपनी राय और विचार साझा कर सकते हैं। मरीजों को उनकी भाषा में जानकारी देना कानूनी और नैतिक रूप से भी आवश्यक है, ताकि उन्हें उनके अधिकार और विकल्पों के बारे में सही जानकारी मिल सके।
फाउंडेशन कोर्स के नौवें दिन इस सफल आयोजन के लिए श्री रावतपुरा सरकार इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड रिसर्च कॉलेज डीन कुंदन गेडाम व श्री रावतपुरा सरकार ग्रुप ऑफ़ इंस्टिट्यूशन के कार्यकारी निदेशक एस एस बजाज ने शुभकामनाएं दी।