श्री रावतपुरा सरकार विश्वविद्यालय रायपुर द्वारा डेटा पत्रकारिता, सत्यापन, डिजिटल जांच और ऑनलाइन सत्यापन पर कार्यशाला का किया गया आयोजन…
श्री रावतपुरा सरकार विश्वविद्यालय रायपुर द्वारा डेटा पत्रकारिता, सत्यापन, डिजिटल जांच और ऑनलाइन सत्यापन पर कार्यशाला आयोजित की गयी । जिसमे नेटवर्किंग, जिम्मेदार सूचना साझाकरण को बढ़ावा दिया गया । कार्यशाला में श्री रावतपुरा सरकार विश्वविद्यालय के पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग ने डेटा पत्रकारिता, सत्यापन, डिजिटल जांच और ऑनलाइन सत्यापन पर कार्यशाला का आयोजन किया, जो मूल रूप से गलत सूचना और फर्जी खबरों पर केंद्रित थी | कार्यशाला में जीएनआई इंडिया ट्रेनिंग नेटवर्क के ट्रेनर श्री विचित्रानंद पांडा ने छात्रों के साथ महत्वपूर्ण पहलुओं को साझा किया।
विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर एस.के.सिंह ने अपने विचार साझा करते हुए कहा कि गलत सूचना और फर्जी खबरें सामाजिक नींव को कमजोर करती हैं, अविश्वास को बढ़ावा देती हैं और सार्वजनिक चर्चा को विकृत करती हैं। वे ध्रुवीकरण को बढ़ावा देती हैं, संस्थानों में विश्वसनीयता कम करती हैं और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को खतरे में डालती हैं। गलत जानकारी सार्वजनिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकती है, घबराहट पैदा कर सकती है और निर्णय लेने में समझौता कर सकती है।
विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार डॉ. सौरभ कुमार शर्मा ने कहा कि फर्जी खबरों का हानिकारक प्रभाव तत्काल कार्रवाई की मांग करता है। यह विश्वास को ख़त्म करता है, तथ्यों को विकृत करता है और समाज को नुकसान पहुँचाता है। इसके प्रसार को रोकने, सूचना की अखंडता की रक्षा करने और एक स्वस्थ, सुविज्ञ सार्वजनिक चर्चा को बढ़ावा देने के लिए सामूहिक प्रयास जरूरी है।
कार्यशाला के वक्ता श्री विचित्रानंद पांडा ने छात्रों के साथ बातचीत कर उन्हें डेटा पत्रकारिता, सत्यापन, डिजिटल जांच और ऑनलाइन सत्यापन के बारे में विस्तार से बताया, जो अत्यधिक प्रभावशाली साबित हुआ। छात्रों ने डेटा विश्लेषण, तथ्य-जांच और नैतिक डिजिटल जांच में व्यावहारिक पहलुओं और महत्वपूर्ण तथ्यों को प्राप्त किया। कार्यशाला में नेटवर्किंग, जिम्मेदार सूचना साझाकरण को बढ़ावा दिया गया। प्रतिभागी बढ़ी हुई मीडिया साक्षरता से सशक्त हुए और अधिक सूचित डिजिटल परिदृश्य में योगदान देने के लिए तैयार हैं।
सहायक प्रोफेसर डॉ. संतोष कुमार ने भी बताया कि दुष्प्रचार समाज के लिए गंभीर खतरा पैदा करता है, विश्वास को खत्म करता है और कलह का बीजारोपण करता है। भ्रामक व्याख्यान जनता की राय में हेरफेर कर सकते हैं, चुनावों को प्रभावित कर सकते हैं और हिंसा भड़का सकते हैं। झूठी सूचना का प्रसार लोकतंत्र को कमजोर करता है, सामाजिक एकता को बाधित करता है, और सूचित निर्णय लेने में बाधा डालता है, जिससे समाज पर इसके प्रभाव का प्रतिकार करने के लिए सतर्क प्रयासों की आवश्यकता होती है।
श्री रावतपुरा सरकार विश्वविद्यालय के प्रति-कुलाधिपति श्री हर्ष गौतम ने पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग द्वारा आयोजित कार्यशाला की सराहना की।