दिन की शुरुवात को तरोताजा करने वाली चाय की शुरुवात हुई कहाँ से है?…
दिन की शुरुआत ही चाय के कप के साथ ही होती है। इसलिए चाय हमारे दिनचर्या का एक अहम हिस्सा है। यह चाय लोगों के जीवन का इतना अहम हिस्सा बन चुकी है कि अगर उन्हें समय से चाय न मिले, तो उनका किसी भी काम में मन तक नहीं लगता है। गर्मी हो या सर्दी चाय के शौकीन हर मौसम में इसे पीना पसंद करते हैं। भारत में चाय अभी से ही नही बहुत समय से जुड़ा हुआ है साथ ही चाय का इतिहास भारत से ही जुड़ा हुआ है। लेकिन असली मायने इसके बिल्कुल विपरीत है।
भारत में चाय की शुरुआत कैसे हुई ?
बता दें कि अंग्रेज चाय को बिट्रेन से भारत लेकर आए थे। कई बार यह कहावत सुनी जाती रही है कि अंग्रेज तो चले गए, लेकिन अंग्रेजी यहीं छोड़ गए। अंग्रेजी के अलावा वह चाय भी हमारे यहां छोड़ गए हैं। भारत में चाय के इतिहास की, तो देश में चाय की शुरुआत की कहानी काफी मशहूर है। साल 1834 में जब गवर्नर जनरल लॉर्ड बैंटिक भारत आए, तब असम में कुछ लोगों को चाय की पत्तियों को उबालकर दवाई की तरह पीते हुए देखा। इसके बाद बैंटिक ने असम के लोगों को चाय की जानकारी दी और इस तरह भारत में चाय की शुरुआत हुई।
चाय के बागान 1835 में शुरू हुए
इसके बाद साल 1835 में असम में चाय के बाग लगाए गए और फिर 1881 में इंडियन टी एसोसिएशन की स्थापना की गई। इससे भारत ही नहीं, बल्कि अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में भी चाय के उत्पादन को फैलाया गया। भारत में उगने वाली यह चाय अंग्रेजों की कमाई का एक अच्छा जरिया बन गई थी। क्योकि भारत में उगाई जाने वाली चाय को विदेशों में भेजकर बड़े पैमाने पर अच्छी कमाई करने लगे थे। तो भारत में चाय का इतिहास ऐसा रहा है ।
चाय की खोज गलती से हुई
चाय का इतिहास करीब 5000 साल पुराना है यह बात बेहद कम लोग ही जानते होंगे । बता दें कि चाय का इतिहास चीन से जुड़ा है। माना जाता है कि 2732 बीसी में चीन के शासक शेंग नुंग ने गलती से चाय की खोज की थी। दरअसल, एक बार राजा के उबलते पानी में कुछ जंगली पत्तियां गिर गई, जिसके बाद अचानक पानी की रंग बदलने लगा और पानी से अच्छी खुशबू आने लगी। जब राजा ने इस पानी को पिया तो उन्हें इसका स्वाद काफी पसंद आया है। साथ ही इसे पीते ही उन्हें ताजगी और ऊर्जा का अहसास है और इस तरह गलती से चाय की शुरुआत हुई, जिसे राजा ने चा.आ नाम दिया था।
इस तरह दुनिया को चाय मिली थी, जिसे आज भी पंसद किया जा रहा है, साथ ही इसका प्रचलन भी बढ़ता जा रहा है। समय के साथ चाय के साथ नए नए एक्सपेरिमेंट भी किए जा रहे हैं। जिसमे चाय के और भी रूप के साथ नये – नये स्वाद भी देखने को मिल रहे है ।