विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस का क्या है इतिहास और महत्त्व…
मीडिया को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहा जाता है। लेकिन पत्रकारिता बहुत जोखिम भरा पेशा होता है। क्योंकि दुनियाभर में आए दिन पत्रकारों पर जानलेवा हमले होते रहते हैं। मीडिया के महत्व को समझाने व इस पेशे के खतरों को देखते हुए हर साल 3 मई को विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता है। जिसकी 30वीं वर्षगांठ इस वर्ष मनाई जा रही है ।
उद्देश्य क्या है ?
इस दिन को मनाने का उद्देश्य प्रेस की स्वतंत्रता के सिद्धांतों का जश्न मनाना, मीडिया का मूल्यांकन करना और हमलों से उसकी रक्षा करना और साथ ही कर्तव्य के दौरान अपनी जान गंवाने वाले पत्रकारों को श्रद्धांजलि देना है। जिससे कि पत्रकारों के सम्मान को समझा जा सके। समाज में प्रेस की स्वतंत्रता के महत्व को उजागर करना और यह सुनिश्चित करना है कि जनता की जानकारी तक पहुंच हो और सरकार लोगों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का सम्मान करे। इस दिन का उद्देश्य दुनिया भर के पत्रकारों और मीडिया संगठनों के सामने आने वाली धमकियों, हिंसा और सेंसरशिप सहित चुनौतियों के बारे में जागरूकता को बढ़ाना भी है।
विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस का इतिहास
विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस की स्थापना 1991 में यूनेस्को के सामान्य सम्मेलन की सिफारिश के बाद की गई थी। इसे पहली बार 1994 में मनाया गया था। इस दिन का उद्देश्य प्रेस की स्वतंत्रता के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाना और श्रद्धांजलि देना है। उन पत्रकारों के लिए जिन्होंने कर्तव्य निभाते हुए अपनी जान गंवाई है साल 1991 में अफ्रीका के पत्रकारों ने प्रेस की आजादी के लिए पहली बार मुहिम छेड़ी थी। 3 मई को प्रेस की आजादी के सिद्धांतों को लेकर एक बयान जारी किया गया था, इसे डिक्लेरेशन ऑफ विंडहोक के नाम से जाना जाता है। इसके ठीक दो साल बाद 1993 में संयुक्त राष्ट्र की महासभा ने पहली बार विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस मनाने की घोषणा की।
थीम: विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस
विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस 2024 की थीम हर साल बदलती रहती है. इस बार विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस की थीम ‘ए प्रेस फॉर द प्लैनेट: जर्नलिज्म इन द फेस ऑफ द एनवायर्नमेंटल क्राइसिस’ है। जो विषय वैश्विक पर्यावरण संकट को संबोधित करने और पर्यावरणीय मुद्दों पर सार्थक कार्रवाई करने में पत्रकारिता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डालता है।
क्यों मनाया जाता है विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस ?
निर्भीक पत्रकारिता करने वालों को समय-समय पर धमकियां मिलती रहती हैं। ये धमकियां राजनीति से अधिक प्रेरित हैं रेत व भूमि माफिया से मिलने वाली धमकी हैं। पत्रकारों को कभी-कभी अपनी रिपोर्टिंग को विशिष्ट एजेंडे के साथ जोड़ने के दबाव का सामना करना पड़ता है, जिससे निष्पक्ष और वस्तुनिष्ठ कवरेज प्रदान करने की उनकी क्षमता प्रभावित होती है। पत्रकारिता की अखंडता बनाए रखने और जीवंत लोकतंत्र बनाए रखने के लिए पत्रकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है। गिलर्मो कैनो एक ऐसे संपादक है जो मीडिया की स्वतंत्रता और पत्रकारिता के महत्व को उजागर करने में विशेष भूमिका निभाई थी। गिलर्मो कैनो ने कई विवादास्पद सच्चाइयों को उजागर करने के लिए बड़े जोखिम उठाए उन्होंने अपनी जान की परवाह किए बिना आम लोगों के सामने सच्चाई पेश करने के लिए संघर्ष किया। उनकी प्रेरणा और योगदान का सम्मान करने के लिए, ‘गिलर्मो कैनो वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम अवार्ड’ का जन्म हुआ।
भारत में प्रेस की स्वतंत्रता
भारत में प्रेस की स्वतंत्रता का एक समृद्ध इतिहास है। हाल के वर्षों में पत्रकारों को डराने-धमकाने और गिरफ्तार करने की घटनाए बढ़ी हैं। भारत में प्रेस की स्वतंत्रता की रैंकिंग भी पिछले कुछ वर्षों में गिरी है। भारत में पत्रकारों को काम करते समय कई शारीरिक खतरों और सुरक्षा चिंताओं का सामना करना पड़ता है। संवेदनशील मुद्दों पर रिपोर्टिंग करना, भ्रष्टाचार को उजागर करना और सत्ता में बैठे लोगों से निडर होकर सवाल करना उन्हें धमकियों, हिंसा या उत्पीड़न के खतरे में डाल सकता है।
यह दिन प्रेस की स्वतंत्रता के मूलभूत सिद्धांतों और मीडिया को उनकी स्वतंत्रता पर हमलों से बचाने के लिए समर्पित है। यह सुनिश्चित करना है कि जनता की जानकारी तक पहुंच हो और सरकार लोगों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का सम्मान करे। इस दिन का उद्देश्य दुनिया भर के पत्रकारों और मीडिया संगठनों के सामने आने वाली धमकियों, हिंसा और सेंसरशिप सहित चुनौतियों के बारे में जागरूकता बढ़ाना भी है।