यूनिवर्सिटी मात्र ज्ञानार्जन ही नहीं विभिन्न संस्कृतियों का संगम स्थल भी है: डॉ. सुशील त्रिवेदी…

रायपुर। श्री रावतपुरा सरकार यूनिवर्सिटी के तीन दिवसीय दीक्षारंभ समारोह के द्वितीय दिवस में मुख्य अतिथि डॉ. सुशील त्रिवेदी, पूर्व आई.ए.एस. एवं विशिष्ट अतिथि प्रो. एस.के. पाण्डेय, लोकपाल एस.आर.यू उपस्थित रहें।
कार्यक्रम का आरंभ औपचारिक दीप प्रज्वलन और राज्य गीत के साथ हुआ, तत्पश्चात अतिथियों का स्वागत उद्बोधन करते हुए यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रो. एस.के.सिंह ने नवागंतुक विद्यार्थियों को कुलाधिपति रविशंकर महाराज के अमृत वचन सुनाते हुए कहा कि शिक्षा का मुख्य उद्देश्य मानव मष्तिष्क की असीम क्षमताओं को जागृत करना तथा उसमें नव विचारों का सृजन करना है। दीक्षारंभ विभिन्न परिवेशों और संस्कृतियों से आए हुए विद्यार्थियों के समाजीकरण का माध्यम है।
प्राचीन भारतीय शिक्षा पद्धति से अवगत करवाया
प्रो. एस.के. पाण्डेय ने अपने विशिष्ट उद्बोधन में विद्यार्थियों को अध्ययन एवं शोध के साथ चरित्र निर्माण पर विशेष बल दिया। उन्होंने प्राचीन भारतीय शिक्षा पद्धति की उपलब्धियों को उद्धृत करते हुए विद्यार्थियों की तुलना बीज से की, जिसे अंकुरित होने से लेकर विकास की प्रक्रिया में जितना उचित वातावरण और देखभाल दिया जाता है वे उतने ही होनहार वृक्ष बनते हैं।
यूनिवर्सिटी मात्र ज्ञानार्जन ही नहीं विभिन्न संस्कृतियों का संगम स्थल भी है
डॉ. सुशील त्रिवेदी ने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि 21वीं शताब्दी की आवश्यकताओं के अनुरूप हमें युवा पीढ़ी को तकनिकी शिक्षा, सामाजिक शिक्षा एवं वैज्ञानिक ज्ञान तो देना ही है, किन्तु उन्हें तकनीकी की दासता से भी बचाना है। अति आकांक्षाओं से उत्पन्न बेचैनी के कारण युवा साथियों में स्वाभिमान और नैतिक आत्मबल में कमी आती है। यूनिवर्सिटी मात्र ज्ञानार्जन ही नहीं विभिन्न संस्कृतियों का संगम स्थल भी है यह विद्यार्थियों के मध्य सामंजस्य बढ़ा कर एक सहअस्तित्व आधारित मनोवृत्ति का सृजन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। शिक्षा विद्यार्थी और आचार्य दोनों के परस्पर विकास का एक मात्र साधन है।
अंत में प्रो. आर. आर. एल. बिरली, डीन एकेडमिक द्वारा धन्यवाद ज्ञापित किया गया। मंच का संचालन डॉ. सागर साहू और डॉ. सिन्दूरा भार्गव के द्वारा किया गया ।