दुनिया का सबसे बड़ा न्यूक्लियर फ्यूज़न रिएक्टर बना फ्रांस में, जिसमे भारत का सबसे अहम योगदान…

World’s Largest Nuclear Reactor : दुनिया का सबसे बड़ा न्यूक्लियर फ्यूजन रिएक्टर तैयार हो गया है। इंटरनेशनल थर्मोन्यूक्लियर एक्सपेरिमेंटल रिएक्टर (ITER) ने फ्रांस में इस रिएक्टर को असेंबल किया है। इसमें 19 बहुत बड़ी कॉइल हैं, जो कई टॉरॉयडल मैग्नेट में लूप की गई हैं। इसे 2020 में अपना पहला फुल टेस्ट शुरू करने के लिहाज से तैयार किया गया था। लेकिन 2024 में बनने के बाद भी साइंटिस्ट्स का कहना है कि यह कम से कम 2039 में जाकर चालू होगा। भारत ने भी इसे बनाने में अपना योगदान दिया है। रिएक्टर में मेड-इन-इंडिया क्रायोस्टेट लगा है, जो दुनिया का सबसे बड़ा ‘फ्रिज’ है। साइंटिस्ट्स ने इस रिएक्टर में आखिरी मैग्नेटिक कॉइल को इंस्टॉल कर दिया है।
15 साल तक करना पड़ेगा इंतजार
ITER के तौर पर जाना जाने वाला दुनिया का सबसे बड़ा फ्यूजन रिएक्टर निर्धारित 9 साल बाद, 2034 तक चालू नहीं होगा। इसके लिए अभी 15 साल का इंतजार और करना पड़ेगा। एनर्जी प्रोडक्शन करने वाले फ्यूजन रिएक्शन इस प्रोजेक्ट का लक्ष्य हैं, और ये 2039 तक नहीं आएंगे। ITER के डायरेक्टर जनरल पिएत्रो बारबास्ची ने हाल ही में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि मैन्युफैक्चरिंग फॉल्ट, COVID-19 महामारी और अपनी तरह की पहली मशीन की मुश्किल ने इसे बनाने की प्रक्रिया को धीमा किया।
कार्बन फ्री एनर्जी प्रोडक्शन
दुनिया भर में कार्बन फ्री एनर्जी प्रोडक्शन के लिए बेहतर तरीकों की तलाश जारी है, ऐसे में न्यूक्लियर फ्यूजन रिएक्शन एक बढ़िया सॉल्यूशन पेश करते हैं, जिसे जरूरत पूरी होने पर बंद किया जा सकता है जिसे मांग के अनुसार इस्तेमाल किया जा सकता है। इस क्षेत्र में हाल ही में मिली कामयाबी ने दिखाया कि न्यूक्लियर फ्यूजन रिएक्टर से बिजली पैदा करना मुमकिन है। 30 से ज्यादा देश फ्रांस में इंटरनेशनल थर्मोन्यूक्लियर एक्सपेरिमेंटल रिएक्टर (ITER) बनाने के लिए सहयोग कर रहे हैं।
ITER को इंतजार करना होगा क्योंकि इसके सदस्य – चीन, यूरोपियन यूनियन, भारत, जापान, साउथ कोरिया, रूस और संयुक्त राज्य अमेरिका, एक योजना पर विचार कर रहे हैं। उनमें से कुछ ITER के जैसी टाइमलाइन पर प्रोटोटाइप पावर प्लांट का प्लान बना रहे हैं, जिसके लिए फंड की जरूरत होगी। साइंस डॉट ऑर्ग के मुताबिक, कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी, लॉस एंजिल्स के एक फ्यूजन साइंटिस्ट ट्रॉय कार्टर कहते हैं कि मुझे लगता है कि इस जानकारी को देखते हुए आपको फ्यूजन पर किसी भी नेशनल स्ट्रेटेजी को अपडेट करना होगा।
भारत ने बनाया सबसे बड़ा ‘फ्रिज’
न्यूक्लियर फ्यूजन रिएक्टर का भारत एक अहम सदस्य देश है। रिएक्टर को ठंडा रखने के लिए भारत ने दुनिया का सबसे बड़ा सस्टेनलेस-स्टील हाई-वैक्यूम प्रेशर चैंबर बनाया है। यह एक क्रायोस्टेट है, जिसकी ऊंचाई 30 मीटर और चौड़ाई भी 30 मीटर है। यह तकरीबन 10 मंजिला क्रायोस्टेट है, जो रिएक्टर के टेंपरेचर को काबू में रखेगा। आप इसे दुनिया का सबसे बड़ा फ्रिज मान सकते हैं। न्यूक्लियर रिएक्टर के सही काम करने के लिए यह क्रायोस्टेट काफी जरूरी है।
ITER की लागत बढ़ी
बारबास्ची ने कहा कि ITER की लागत, जिसका पहले से ही करीब 1.81 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा होने का अनुमान है, नए शेड्यूल के मुताबिक लगभग 45,260 करोड़ रुपये बढ़ जाएगी। लेकिन उन्होंने ITER की कुल लागत पर अटकलें लगाने से इनकार कर दिया क्योंकि ज्यादातर मशीन योगदान के तौर पर दी जाती हैं। बारबास्ची के मुताबिक उन्हें नहीं पता कि सदस्य देशों ने इन मशीनों पर कितना खर्च किया है। दुनिया का सबसे बड़ा रिएक्टर बनाने के बारे में 1980 के दशक में सोचा गया। 2006 में ITER के तहत सदस्य देश एक साथ आए। 2010 में निर्माण शुरू हुआ और सभी सदस्य देशों के बीच कॉन्ट्रैक्ट हुए।
Tokamak डिजाइन पर बेस्ड है न्यूक्लियर रिएक्टर
लगभग एक दशक बाद इसके चालू होने की उम्मीद थी। यह प्रोजेक्ट डोनट के आकार के रिएक्टर पर निर्भर करता है, जिसे टोकामक कहा जाता है, जिसमें मैग्नेटिक फील्ड में हाइड्रोजन न्यूक्लाई का एक प्लाज्मा होता है जो फ्यूज होने और एनर्जी छोड़ने के लिए गर्म होता है। पार्टिकल बीम और माइक्रोवेव प्लाज्मा को 15 करोड़ डिग्री सेल्सियस तक गर्म करते हैं। यह सूरज के कोर के तापमान से 10 गुना ज्यादा है। जबकि कुछ मीटर दूर सुपरकंडक्टिंग मैग्नेट को -269 डिग्री सेल्सियस तक ठंडा किया जाना चाहिए, जो कि जीरो डिग्री से कुछ ऊपर है।
पृथ्वी से 2.80 लाख गुना पावरफुल मैग्नेटिक फील्ड
प्रोडक्शन में दुनिया की सबसे पावरफुल चुम्बक लगी है। यह पृथ्वी को सुरक्षित रखने वाली मैग्नेटिक फील्ड से 2,80,000 गुना ज्यादा पावरफुल मैग्नेटिक फील्ड पैदा कर सकती है। आईटीईआर का प्लाज्मा करंट 1.5 करोड़ एम्पीयर तक पहुंच जाएगा, जो कि दुनिया में अब तक कहीं पर भी बने टोकामक के लिए एक रिकॉर्ड है।
दुनिया भर में साइटों पर कॉम्प्लैक्स कंपोनेंट्स के निर्माण से कई समस्याएं पैदा हुईं। 2016 में कंस्ट्रक्शन शेड्यूल को 2025 तक बढ़ा दिया गया। फिर जनवरी 2022 में फ्रांसीसी न्यूक्लियर सेफ्टी अथॉरिटी (ASN) ने कंस्ट्रक्शन रोक दिया। ASN के अधिकारी ITER के सिमुलेशन से राजी नहीं थे कि फ्यूजन रिएक्शन से पैदा होने वाले घातक हाई-एनर्जी न्यूट्रॉन से मजदूरों को सही तौर पर बचाया जा सकेगा। ये रिएक्टर को खुद में रेडियोएक्टिव बनाते हैं। एक्स्ट्रा शील्डिंग समेत डिजाइन में बदलाव से कंक्रीट की नींव ओवरलोड होने का भी खतरा है।
ASN को भरोसे में लेने की कवायद
ASN यह भरोसा भी चाहती थी कि नौ सेक्शन से बना टोकामक लीक नहीं होगा। जब साउथ कोरियाई मैन्युफैक्चरर्स ने पहले दो 11 मीटर लंबे सेक्शन भेजे तो उनके इंटरफेस डिजाइन जरूरी मिलीमीटर मानक को पूरा नहीं करते थे। ITER इंजीनियरों का मानना था कि वे चालाकी से वेल्डिंग करके भरपाई कर सकते हैं, लेकिन ASN को भरोसा नहीं था। किसी भी रिसाव से रेडियोएक्टिव ट्रिटियम निकल सकता है। यह एक भारी हाइड्रोजन आइसोटोप है जो फ्यूजन के फ्यूल में से एक है।
ITER के टोकामक प्रोग्राम मैनेजर एलेसेंड्रो बोनिटो-ओलिवा कहते हैं कि हमें जो परिणाम मिल रहे हैं, वे बहुत अच्छे हैं। उन्हें उम्मीद है कि इस महीने या अगस्त की शुरुआत में मरम्मत किए जाने वाले पहले सेक्शन का काम पूरा हो जाएगा। एक बार मरम्मत पूरी हो जाने के बाद डिटेल्स ASN को मंजूरी के लिए भेजी जाएंगी। न्यूट्रॉन सेफ्टी के मुद्दे को हल करने के लिए मैनेजरों ने सावधानीपूर्वक ऑपरेशन शुरू करने का प्लान बनाया है, ताकि वे रियल डेटा हासिल कर सकें, और बिजली और न्यूट्रॉन के लेवल को बढ़ाने से पहले अपने मॉडल को मान्य कर सकें। ITER को ट्रिटियम और ड्यूटेरियम के मिक्स का फ्यूल दिया जाएगा, जो हाइड्रोजन का एक और आइसोटोप है।
2 लाख घर होंगे रौशन
5 साल बाद ऑपरेटर ज्यादा पावरफुल ड्यूटेरियम-ट्रिटियम फ्यूल के साथ एक मिनट से भी कम समय के छोटे फ्यूजन धमाके करेंगे, जो ITER को अपनी खपत से 10 गुना ज्यादा बिजली पैदा करने के लक्ष्य को हासिल करने का मौका देगा। जब ऑपरेटर ASN इंस्पेक्टर्स को दिखाएंगे कि परमाणु संयंत्र सुरक्षित है, तो वे किसी भी चालू पावर प्लांट के लिए जरूरी लगातार बर्निंग की प्रक्रिया शुरू कर सकते हैं।
एक प्रेस रिलीज में कहा गया कि जब ITER फ्यूजन रिएक्टर चालू हो जाएगा, तो फ्यूजन रिएक्टर अपने चरम पर 500 मेगावाट थर्मल बिजली पैदा करेगा। ग्रिड से जुड़ने पर यह लगातार 200 मेगावाट बिजली पैदा करेगा, जो 2,00,000 घरों को बिजली देने के लिए काफी है।