चीन को पीछे छोड़कर भारत बना कच्चे तेल की मांग में वृद्धि का सबसे बड़ा केंद्र…
अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी । पेरिस में स्थित एक अंतर्राष्ट्रीय अंतरसरकारी संगठन है जिसने भारत ऊर्जा सप्ताह में जारी रिपोर्ट ‘2030 तक भारतीय तेल बाजार परिदृश्य’ में कहा, भारत में तेल की मांग 2023 के 54.8 लाख बैरल प्रतिदिन (बीपीडी) से बढ़कर 2030 में 66.4 लाख बीपीडी पहुंच जाएगी। और इसके साथ ही भारत 2027 में वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल की मांग में वृद्धि का सबसे बड़ा केंद्र बन जाएगा। चीन को पीछे छोड़कर भारत यह उपलब्धि हासिल कर लेगा ।
स्वच्छ ऊर्जा और विद्युतीकरण पर बड़े जोर के बावजूद दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था में परिवहन एवं उद्योग की खपत वृद्धि को गति देगी। रिपोर्ट में आईईए के आंकड़े घरेलू और निर्यात के लिए कच्चे तेल को ईंधन में बदलने से संबंधित हैं। पेट्रोलियम मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, घरेलू खपत करीब 50 लाख बीपीडी है। आईईए के निदेशक (ऊर्जा बाजार एवं सुरक्षा) ने कहा, भारत करीब 12 लाख बीपीडी की वृद्धि दर्ज करने की राह पर है। 2030 तक इसके 66 लाख बीपीडी के स्तर तक पहुंचने का अनुमान है।
देश बनेगा हरित हाइड्रोजन उत्पादन में आत्मनिर्भर
ऊर्जा के क्षेत्र में निरंतर प्रगति के बीच हरित हाइड्रोजन को लेकर भारत में बड़ी उम्मीद जगी है। भारत पेट्रोलियम ने भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र संग मिलकर स्वदेशी इलेक्ट्रोलाइजर का निर्माण किया है। भारत पेट्रोलियम के महाप्रबंधक, बीना रिफाइनरी में हाइड्रोजन से ऊर्जा का उत्पादन शुरू हो गया है। कोचीन रिफाइनरी में 500 किलोवॉट क्षमता का हरित हाइड्रोजन रिफिलिंग प्लांट लगाया जा रहा है। पीएम मोदी ने हरित हाइड्रोजन पर समीक्षा की है। इलेक्ट्रोलाइजर की मदद से भारत हरित हाइड्रोजन में भी आत्मनिर्भर बनेगा।
त्वरित हरित ऊर्जा कदमों के बावजूद 2030 तक भारत की तेल मांग तीव्र गति से बढ़ेगी। भारत की वृद्धि दर 2027 में चीन से आगे निकल जाएगी। जैसा कि विकसित देशों और चीन में तेल की मांग धीमी हो गई है, भारत वृद्धि का सबसे बड़ा स्रोत बन गया है। भारत वर्तमान में अमेरिका और चीन के बाद कच्चे तेल का तीसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता है। वह अपनी तेल जरूरतों का 85 प्रतिशत आयात करता है और घरेलू उत्पादन में गिरावट के कारण यह निर्भरता बढ़ने की संभावना है। भारत अब और 2030 के बीच वैश्विक तेल मांग में वृद्धि का सबसे बड़ा स्रोत बन जाएगा, जबकि विकसित अर्थव्यवस्थाओं तथा चीन में शुरू में वृद्धि धीमी और बाद में इसके उलट रहने का अनुमान है।’’
शहरीकरण, औद्योगीकरण, गतिशीलता और पर्यटन के लिए तैयार एक अमीर मध्यम वर्ग का उदय, साथ ही स्वच्छ खाना पकाने तक अधिक पहुंच प्राप्त करने के प्रयास, तेल की मांग में बढ़ावा देंगे।मांग में वृद्धि का सबसे बड़ा स्रोत डीजल/गैसऑयल है, जो देश की मांग में लगभग आधी वृद्धि और 2030 तक कुल वैश्विक तेल मांग वृद्धि के छठे हिस्से से अधिक है ।