जानिए क्या है हिट एंड रन पर बनाये गये नए कानून…
हिट एंड रन : हिट एंड रन का सीधा सा अर्थ है कि दुर्घटना के बाद ड्राइवर का गाड़ी के साथ मौके से भाग जाना। अगर किसी गाड़ी से किसी को टक्कर लग गई घायल की मदद करने के बजाय ड्राइवर गाड़ी को लेकर फरार हो जाता है तो ऐसे केस हिट एंड रन में गिने जाते हैं।केंद्र सरकार ने हाल ही में संसद में नया हिट एंड रन विधेयक पास किया है। इस बिल को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की मंजूरी भी मिल चुकी है। अब यह भारतीय न्याय संहिता के तहत नया कानून बन चुका है। इस नए कानून में जो प्रावधान जोड़े गए हैं ।
क्या है ‘हिट एंड रन’ का पुराने कानून
हिट एंड रन के पुराने कानून के मुताबिक अब तक हादसा होने पर ड्राइवरों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 279 यानी लापरवाही से वाहन चलाने, 304ए यानी लापरवाही से मौत और 338 यानी जान जोखिम में सजा के साथ जुर्माना भी भरने का प्रावधान है। ऐसे मामलों में ड्राइवर को जमानत भी मिल जाती थी और अधिकतम दो साल की सजा का प्रावधान था। कि दुर्घटना में घायल व्यक्ति को अगर एक्सीडेंट करने वाला समय पर अस्पताल पहुंचा देता है तो उसकी जान बच जाती है। हालांकि, एक्सीडेंट के बाद मौके से भागने के केस को हिट एंड रन कहा जाता है। ऐसी ही केस में सख्ती का प्रावधान किया गया है।
हिट एंड रन का नया प्रावधान
हिट एंड रन के मामलों में विदेश की तर्ज पर सख्त प्रावधान लाया गया है। इसे लाने से पहले विदेश की तरह बेहतर सड़क और परिवहन व्यवस्था सुनिश्चित करने पर ध्यान दिया जाना चाहिए था। ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस (AIMTC) ने कहा है कि नए नियमों के कारण ड्राइवर नौकरी छोड़ रहे हैं। देशभर में पहले से ही 25-30 फीसदी ड्राइवरों की कमी है। ऐसे कानून ड्राइवरों की किल्लत को और बढ़ाएंगे। देश की अर्थव्यवस्था में रोड ट्रांसपोर्टरों और ड्राइवरों का बड़ा योगदान है। नए कानून के अनुसार, ‘हिट एंड रन’ मामलों में 10 साल तक की सजा के रूप में जेल और सात लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है।
मकसद क्या है नया हिट एंड रन कानून का,सरकार ने क्यों लाये नए कानून ?
केंद्र सरकार की ओर से हिंट एंड रन कानून में संशोधन करने के पीछे अहम वजह यह है प्रतिवर्ष सड़क हादसों में हो रही बढ़ोतरी को रोकना। ऐसा देखने में आता है कि देशभर में हर वर्ष सबसे ज्यादा मौते सड़क हादसों में ही होती है। इनमें ट्रक की टक्कर या फिर तेज रफ्तार कारों से मौत के आंकड़े कहीं ज्यादा हैं । लिहाजा सरकार ने इस कानून में अहम बदलाव किया है।