December 7, 2024

जानिए विश्व आदिवासी दिवस का इतिहास और महत्व…

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International Day of the World’s Indigenous Peoples : विश्व आदिवासी दिवस पर संस्कृति और सभ्यता को और सशक्त बनाने के लिए 9 अगस्त को 42 साल पहले संयुक्त राष्ट्र संघ ने विश्व आदिवासी दिवस घोषित किया था। यह दिन दुनिया भर के करीब 90 से अधिक देशों में निवास करने वाले जनजाति आदिवासियों को समर्पित है, जिसका मुख्य उद्देश्य आदिवासियों के अधिकारों और अस्तित्व के संरक्षण के लिए जागरूकता फैलाना है।

भारत में करीब 104 मिलियन आदिवासी रहते हैं, जो देश की कुल आबादी का लगभग 8% है। देश में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, राजस्थान, उड़ीसा में सबसे अधिक जनजाति आदिवासी आबादी निवास करती है। जागरूकता का ही परिणाम है कि जनजाति जिले बांसवाड़ा और डूंगरपुर लोकसभा चुनावों सहित चार विधानसभा क्षेत्र से भारत आदिवासी पार्टी के जनप्रतिनिधि आदिवासी समाज का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।


शुरुआत कब से हुई आदिवासी दिवस मनाने की?

विश्व आदिवासी दिवस मनाने की शुरुआत साल 1982 में हुई थी। जिसमें संयुक्त राष्ट्र महासभा ने आदिवासी लोगों के अधिकारों को बढ़ावा देने के लिए 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस घोषित किया था। आदिवासी समुदाय सदियों से सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय चुनौतियों का सामना कर रहा है। इस दिन को मनाकर हम आदिवासियों के योगदान को याद करते हैं और उनके अधिकारों के लिए काम करने का संकल्प लेते हैं।

हर साल प्रदेश के बांसवाड़ा, डूंगरपुर, प्रतापगढ़, उदयपुर सहित अन्य जिलों में बड़े स्तर पर विश्व आदिवासी दिवस का आयोजन परंपरा रुप से मनाया जाता आ रहा है। प्रदेश के बांसवाड़ा जिले में सबसे अधिक 76.38 फीसदी आदिवासी समाज निवास करता है तो वहीं उसके बाद डूंगरपुर जिले में 70.82, प्रतापगढ़ जिले में 63.42 और उदयपुर में में 47.86 फीसदी आबादी आदिवासी समाज की है।

इस दिन का महत्व

संयुक्त राष्ट्र द्वारा आदिवासी लोगों के अधिकारों के महत्व को उजागर करने के लिए ही इस दिन को मनाने की शुरूआत इसीलिए की गई क्योंकि संयुक्त राष्ट्र की यह कोशिश है कि आदिवासी लोगों के जंगलों को, उनके घर को उनसे ना छीना जाए, उनके पर्यावरण के साथ खिलवाड़ ना किया जाए। इस साल विश्व स्वदेशी दिवस पर स्वदेशी लोगों के ‘स्वैच्छिक अलगाव और प्रारंभिक संपर्क में स्वदेशी लोगों के अधिकारों की रक्षा करने’ के महत्व पर जोर दिया जा रहा है।

इस दिवस का इतिहास

इस दिन को मनाने की शुरूआत साल 1994 में हुई थी। दिसंबर, 1994 में संयुक्त राष्ट्र ने यह निर्णय लिया था कि विश्व के स्वदेशी लोगों का अंतरराष्ट्रीय दिवस हर साल 9 अगस्त के दिन से मनाया जाएगा। इस दिन की आवश्यक्ता को देखते हुए इसे मनाने का प्रस्ताव रखा गया था और प्रस्ताव पारित हुआ था। दुनिया भर में पहला अंतर्राष्ट्रीय आदिवासी दिवस 9 अगस्त 1995 को मनाया गया था।

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