December 8, 2024

ओलंपिक में भाग लेने वाली भारत की पहली महिला जिमनास्ट दीपा करमाकर ने किया संन्‍यास का एलान…

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नई दिल्ली। ओलंपिक में भाग लेने वाली भारत की पहली महिला जिमनास्ट दीपा करमाकर ने सोमवार को सोशल मीडिया पर अपने मैसेज साझा करते हुए संन्यास की घोषणा कर दी है। साथ ही दीपा ने भविष्य में कोच या मेंटर की भूमिका निभाने के संकेत दिए हैं। बहुत सोचने के बाद यह फैसला लेते हुए दीपा करमाकर ने अपनी पोस्‍ट में लिखा, “बहुत विचार करने के बाद मैंने जिम्नास्टिक से संन्यास लेने का फैसला लिया है। यह निर्णय मेरे लिए आसान नहीं था, लेकिन अब सही समय लगता है। जिमनास्टिक मेरे जीवन का एक बड़ा हिस्सा रहा है और मैं इसके लिए आभारी हूं।”

दीपा करमाकर की खेलों का सफर

भारत की दीपा कर्माकर ने उज्बेकिस्तान के ताशकंद में एशियन जिमनास्टिक चैंपियनशिप 2024 में महिलाओं के वॉल्ट अपरेटस में स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रच दिया। यह पहली बार है जब कोई भारतीय जिमनास्ट एशियन चैंपियनशिप में किसी स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीतने में सफल रहा है। इससे पहले, भारतीय जिमनास्ट कॉन्टिनेंटल चैंपियनशिप में चार पदक, सभी कांस्य पदक जीतने में सफल रहे थे। दीपा कर्माकर ने साल 2015 में महिलाओं के वॉल्ट इवेंट में तीसरे स्थान पर जगह बनाई थी। साल 2006 में मेंस फ्लोर एक्सरसाइज में आशीष कुमार और प्रणति नायक, 2019 और 2022 में महिलाओं के वॉल्ट इवेंट भारत के लिए अन्य पदक विजेता रहे हैं।


ताशकंद में महिलाओं के वॉल्ट फाइनल में, 30 वर्षीय ओलंपियन ने 13.566 का औसत स्कोर हासिल किया और डेमोक्रेटिक पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ कोरिया की किम सोन-हयांग (13.466) और जो क्योंग-ब्योल (12.966) से आगे रहीं। इससे पहले शुक्रवार को दीपा कर्माकर ताशकंद में 46.166 के स्कोर के साथ ऑल-राउंड वर्ग में 16वें स्थान पर रहीं और जिमनास्टिक में भारत के लिए पेरिस 2024 ओलंपिक कोटा सुरक्षित करने में नाकाम रहीं। 50.398 के साथ तीसरे स्थान पर रहीं फिलीपींस की एम्मा मालाबुयो ने ताशकंद प्रतियोगिता में दांव पर लगा एकमात्र ओलंपिक कोटा हासिल किया।

अपने बेहतरीन प्रदर्शनों से लोगों को प्रेरित किया

भारतीय जिमनास्टिक में दीपा की पहले से ही प्रभावशाली पदकों की सूंची में अब वॉल्ट स्वर्ण पदक भी जुड़ गया है। वह ओलंपिक में प्रतिस्पर्धा करने वाली पहली भारतीय महिला जिमनास्ट भी हैं और रियो 2016 में महिलाओं के वॉल्ट में अविश्वसनीय प्रदर्शन के साथ चौथे स्थान पर रहीं – यह ग्रीष्मकालीन खेलों में किसी भी जिमनास्ट द्वारा अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन रहा है। उन्होंने तुर्किये के मेर्सिन में 2018 एफआईजी विश्व कप में महिलाओं की वॉल्ट में स्वर्ण पदक भी जीता, और ग्लोबल जिमनास्टिक इवेंट में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय जिमनास्ट बनीं।

ओलंपिक में शिरकत करने वाली भारत की पहली महिला जिम्नास्ट बनी 31 साल की दीपा रियो ओलंपिक की वॉल्ट स्पर्धा में चौथे स्थान पर रहीं थी और सिर्फ 0.15 अंक से कांस्य पदक जीतने से चूक गईं थी। लेकिन उन्होंने अपने बेहतरीन प्रदर्शनों से कई लोगों को प्रेरित किया। कर्माकर 6 साल की उम्र से ही जिमनास्टिक में प्रशिक्षण शुरू कर दिया था। इसके बाद 14 वर्ष की उम्र में ही उन्होंने जूनियर नेशनल जीतते हुए अपनी नज़र अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गड़ा ली थी।

दीपा ने सहयोगियों को दिया धन्यवाद

ओलंपियन दीपा ने कहा, मैं अपने कोच बिश्वेर नंदी सर और सोमा मैम को धन्यवाद बोलना चाहती हूं, जिन्होंने मुझे पिछले 25 साल से गाइड किया और मेरी सबसे बड़ी ताकत बने। मुझे जो समर्थन मिला उसके लिए त्रिपुरा सरकार, जिम्नास्टिक्स महासंघ, भारतीय खेल प्राधिकरण और अन्य लोगों को बहुत धन्यवाद देना चाहती हूं। अंत में मेरे परिवार को जो हमेशा मेरे साथ थे, मेरे अच्छे और बुरे दिनों में। दीपा ने लिखा, मैं भले ही संन्यास ले रही हूं, लेकिन जिम्नाटिक्स से मेरा रिश्ते कभी नहीं टूटेगा। मैं चाहती हूं कि मैं इस खेल को कुछ वापस दे सकूं। शायद मेंटर, कोच, मेरे जैसे और बाकी लड़कियों का समर्थन करके। एक बार फिर मेरे सफर का हिस्सा बनने के लिए सभी का धन्यवाद।

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