भारत एवं स्वीडन ने की “पर्यावरण शिखर सम्मेलन स्टॉकहोम प्लस 50” से पूर्व उद्योग ट्रांजीशन वार्ता की मेजबानी…

भारत ने बुधवार को महत्वपूर्ण पर्यावरण शिखर सम्मेलन स्टॉकहोम प्लस 50 से पहले इस बात पर बल दिया कि यह 50 साल की सहयोगी कार्रवाई का जश्न मनाने का वक़्त है और साथ ही यह आत्मनिरीक्षण करने का भी है कि क्या प्राप्त किया गया है और अभी क्या किया जाना है। स्टॉकहोम प्लस 50 एक वैश्विक पर्यावरण बैठक है जो 2 और 3 जून को 1972 में मानव पर्यावरण पर संयुक्त राष्ट्र के पहले सम्मेलन के उपलक्ष्य में आयोजित की जाएगी।
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वहीं पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा, “विकासशील दुनिया को न केवल एक औद्योगिक ‘संक्रमण’ की आवश्यकता है, बल्कि एक औद्योगिक पुनर्जागरण – उद्योगों का एक फूल जो स्वच्छ वातावरण के साथ-साथ रोजगार और समृद्धि पैदा करेगा। विकसित देशों को शुद्ध-शून्य और निम्न कार्बन उद्योग की दिशा में अपने ऐतिहासिक अनुभवों के साथ वैश्विक संक्रमण में नेतृत्व करना चाहिए।” उन्होंने संयुक्त पहल के एक भाग के रूप में उद्योग संक्रमण संवाद में कहा, “जब हम सहयोगात्मक कार्यो के 50 वर्षो का जश्न मनाते हैं, उस समय, क्या प्राप्त किया गया है और क्या किया जाना बाकी है, इस पर आत्मनिरीक्षण करना महत्वपूर्ण है।”
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लीडआईटी पहल उन क्षेत्रों पर विशेष ध्यान देती है जो वैश्विक जलवायु कार्रवाई में प्रमुख हितधारक हैं और विशिष्ट हस्तक्षेप की आवश्यकता है।
पर्यावरण मंत्री यादव ने कहा कि इस उच्चस्तरीय संवाद (लीडआईटी के) ने संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन ‘स्टॉकहोम प्लस 50’ में योगदान दिया है, जिसका विषय ‘सभी की समृद्धि के लिए एक स्वस्थ ग्रह-हमारी जिम्मेदारी, हमारा अवसर’ है, जो इसके लिए एजेंडा भी निर्धारित करेगा। बता दें की कार्यक्रम को स्वीडन की जलवायु और पर्यावरण मंत्री अन्निका स्ट्रैंडहॉल ने भी संबोधित किया।
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