January 24, 2025

पिछले 12 ‎सालों से अब तक सबसे ज्यादा 1161 करोड़ ‎रुपए की एफडी करवाई तिरुमाला तिरूपति में…

0

तिरूपति। दुनिया के सबसे अमीर मंदिर ट्रस्ट ‎‎तिरुमाला तिरूपति देवस्थानम ने इस साल 1161 करोड़ ‎रुपए की एफडी कराई है। पिछले 12 ‎सालों में यहां सबसे ज्यादा है। यह ट्रस्ट दुनिया का सबसे अमीर‎ मंदिर ट्रस्ट है। ट्रस्ट‎ देश का एकमात्र हिंदू धार्मिक ट्रस्ट है,‎ जो पिछले 12 सालों में साल दर साल ‎‎लगातार 500 करोड़ रुपए या उससे‎ ज्यादा की रकम जमा कर रहा है।‎ 2012 तक, ट्रस्ट का फिक्स डिपॉजिट ‎‎4820 करोड़ रुपए था।‎ इसके बाद तिरुपति ट्रस्ट ने 2013 ‎से 2024 के बीच 8467 करोड़ रुपए ‎की रकम जमा की है।

यह देश के ‎किसी भी मंदिर ट्रस्ट के लिए सबसे ‎ज्यादा है। ट्रस्ट की बैंकों में कुल‎एफडी 13,287 करोड़ रुपए हो गई है।‎ इसके अलावा मंदिर ट्रस्ट की ओर से ‎संचालित कई ट्रस्ट जिसमें श्री ‎वेंकटेश्वर नित्य अन्नप्रसादम ट्रस्ट, श्री‎ वेंकटेश्वर प्राणदानम ट्रस्ट आदि है,‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎‎ जिन्हें भक्तों से पर्याप्त दान मिलता है।‎ उनकी करीब 5529 करोड़ रुपए की‎फिक्स डिपॉजिट हो गई है।‎


साल में ब्याज पर इतना पैसा कमाता है ट्रस्ट

सभी बैंकों और ट्रस्टों में तिरुपति‎ ट्रस्ट की नकदी 18817 करोड़ रुपए ‎तक हो गई। जो इतिहास से लेकर अब ‎तक की सबसे बड़ी रकम है। ट्रस्ट अपनी एफडी पर ब्याज के ‎रूप में सालाना लगभग 1,600 करोड़‎ रुपए की राशि कमाता है। हाल ही में 1,031 किलोग्राम ‎सोने की जमा के बाद, बैंकों में मंदिर‎ का सोना भंडार भी बढ़कर 11,329‎ किलोग्राम हो गया है।‎

टीटीडी के अनुसार, बैंकों में कुल एफडी 13287 करोड़ रुपये तक जमा हो गई है, मंदिर ट्रस्ट की ओर से संचालित कई ट्रस्ट जिसमें श्री वेंकटेश्वर नित्य अन्नप्रसादम ट्रस्ट, श्री वेंकटेश्वर प्राणदानम ट्रस्ट आदि है, जिन्हें भक्तों से पर्याप्त दान मिल रहा है। उनकी करीब 5529 करोड़ रुपये की फिक्स डिपॉजिट हो गई है। बैंकों और इसके कई ट्रस्टों में तिरुपति ट्रस्ट की नकदी कैश 18817 करोड़ रुपये तक हो गई है, जो टीटीडी के इतिहास में अब तक की सबसे बड़ी रकम है।

खास बातें क्या है ?

यहां बालों का दान किया जाता है : जो व्यक्ति अपने मन से सभी पाप और बुराइयों को यहां छोड़ जाता है, उसके सभी दुःख देवी लक्ष्मी खत्म कर देती हैं। इसलिए यहां अपनी सभी बुराइयों और पापों के रूप में लोग अपने बाल छोड़ जाते हैं।

भक्तों को नहीं दिया जाता तुलसी पत्र : सभी मंदिरों में भगवान को चढ़ाया गया तुलसी पत्र बाद में प्रसाद के रूप में भक्तों को दिया जाता है। अन्य वैष्णव मंदिरों की तरह यहां पर भी भगवान को रोज तुलसी पत्र चढ़ाया तो जाता है, लेकिन उसे भक्तों को प्रसाद के रूप में नहीं दिया जाता। पूजा के बाद उस तुलसी पत्र को मंदिर परिसर में मौजूद कुएं में डाल दिया जाता है।

भगवान विष्णु को कहते हैं व्यंकटेश्वर :  यह मेरूपर्वत के सप्त शिखरों पर बना हुआ है, इसकी सात चोटियां शेषनाग के सात फनों का प्रतीक कही जाती हैं। इन चोटियों को शेषाद्रि, नीलाद्रि, गरुड़ाद्रि, अंजनाद्रि, वृषटाद्रि, नारायणाद्रि और व्यंकटाद्रि कहा जाता है। इनमें से व्यंकटाद्रि नाम की चोटी पर भगवान विष्णु विराजित हैं और इसी वजह से उन्हें व्यंकटेश्वर के नाम से जाना जाता है।

सिर्फ शुक्रवार को होते हैं पूरी मूर्ति के दर्शन

मंदिर में बालाजी के दिन में तीन बार दर्शन होते हैं। पहला दर्शन विश्वरूप कहलाता है, जो सुबह के समय होता है। दूसरा दर्शन दोपहर को और तीसरा दर्शन रात को होता है। भगवान बालाजी की पूरी मूर्ति के दर्शन केवल शुक्रवार को सुबह अभिषेक के समय ही किए जा सकते हैं।

भगवान बालाजी ने यहीं दिए थे रामानुजाचार्य को साक्षात दर्शन : यहां पर बालाजी के मंदिर के अलावा और भी कई मंदिर हैं, जैसे- आकाश गंगा, पापनाशक तीर्थ, वैकुंठ तीर्थ, जालावितीर्थ, तिरुच्चानूर। ये सभी जगहें भगवान की लीलाओं से जुड़ी हुई हैं। श्रीरामानुजाचार्य लगभग डेढ़ सौ साल तक जीवित रहे और उन्होंने सारी उम्र भगवान विष्णु की सेवा की, जिसके फलस्वरूप यहीं पर भगवान ने उन्हें साक्षात दर्शन दिए थे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

इन्हें भी पढ़े