“साइबर शिक्षा फॉर साइबर सुरक्षा- अर्न एण्ड लर्न” युवाओ के लिए दोहरा लाभ

युवाओं को डिजिटल दुनिया के लिये जरूरी साइबर सुरक्षा के ज्ञान से सशक्त करने और उस ज्ञान को व्यापक समाज तक पहुँचाने के लिए और युवाओ को दोहरा लाभ देने के लिए की गयी व्यापक पहल इस अवसर पर क्विक हील की ऑपरेशनल एक्सीलेंस की चीफ और क्विक हील फाउंडेशन की चेयरपर्सन, सुश्री अनुपमा काटकर उपस्थित थीं, जिन्होंने प्रोग्राम का उद्घाटन किया। क्विक हील टेक्नोलॉजीज लिमिटेड ने अपनी सीएसआर इकाईं – क्विक हील फाउंडेशन के माध्यम से आज असम के बारपेटा में अपनी महत्वपूर्ण जिसे साइबर शिक्षा फॉर साइबर सुरक्षा- अर्न एण्ड लर्न’ नाम दिया गया । इस कार्यक्रम के अंतर्गत प्रशिक्षित होने वाले 40 वालंटीयर्स नजदीकी स्कूलों और कॉलेजों में सक्रिय रूप से जागरूकता फैलाएंगे साथ ही लगभग 40,000 विद्यार्थियों और 10,000 ग्रामीणों तक पहुँचेंगे और सुनिश्चित करेंगे कि उन्हें ऑनलाइन सुरक्षा का महत्व और अपनी सुरक्षा के उपाय को समझाया जा सके ।
इन बातो का रखे ध्यान
दो कारक प्रमाणीकरण वाला अकाउंट चुनें ,एक स्ट्रोंग पासवर्ड बनाएं,अपने कंप्यूटर को सुरक्षित और इसे अद्यतन रखें,ईमेल के माध्यम से क्लिक करने से बचें, सुरक्षित लोकेशन से ही अपने अकाउंट को एक्सैस करे,जब आपका कार्य हो जाए तो हमेशा लॉग आउट करें,अकाउंट नोटिफ़िकेशन को सेट करें
आज इंटरनेट हमारे दैनिक जीवन के अभिन्न अंगों में से एक है। यह हमारे दैनिक जीवन के अधिकांश पहलुओं को प्रभावित करता जा रहा है। साइबरस्पेस हमें वर्चुअल रूप से दुनिया भर के करोड़ों ऑनलाइन उपयोगकर्त्ताओं से जोड़ता है। साइबर सुरक्षा का मतलब ऑनलाइन स्पेस में सुरक्षा करना होता है। इसलिए, यह आपके द्वारा अपने ऑनलाइन सामाजिक और वीडियो गेमिंग खातों पर उपयोग की जाने वाली सुरक्षा सेटिंग्स या आपके द्वारा अपने परिवार के उपकरणों पर उपयोग किए जाने वाले सॉफ़्टवेयर को संदर्भित कर सकता है।
जैसे-जैसे भारत का इंटरनेट आधार बढ़ता जा रहा है (वर्ष 2025 तक 900 करोड़ से अधिक इंटरनेट उपयोगकर्त्ता होने के अनुमान के साथ), साइबर खतरों में भी चिंताजनक रूप से वृद्धि होती ही जा रही है। डिजिटल प्रौद्योगिकी की प्रगति के साथ साइबर अपराधों का परिष्करण भी बढ़ रहा है। तो यह अनिवार्य है कि भारत अपने साइबरस्पेस में विद्यमान खामियों पर सूक्ष्मता से विचार करे और एक अधिक व्यापक साइबर-सुरक्षा नीति के माध्यम से उन्हें समग्र रूप से संबोधित करे।
साइबर सुरक्षा है क्या ?
साइबर सुरक्षा या सूचना प्रौद्योगिकी सुरक्षा कंप्यूटर, नेटवर्क, प्रोग्राम और डेटा को अनाधिकृत पहुँच या हमलों से बचाने की तकनीकें हैं जो साइबर-भौतिक प्रणालियों और महत्त्वपूर्ण सूचना अवसंरचना के दोहन पर लक्षित हैं।
साइबर खतरों के प्रकार
रैनसमवेयर : इस प्रकार का मैलवेयर कंप्यूटर डेटा को हाईजैक कर लेता है और फिर उसे पुनर्स्थापित करने के लिये भुगतान (आमतौर पर बिटकॉइन के रूप में) की मांग करता है।
ट्रोजन हॉर्स : ट्रोजन हॉर्स अटैक एक दुर्भावनापूर्ण प्रोग्राम का उपयोग करता है जो एक वैध प्रतीत होने वाले प्रोग्राम के अंदर छिपा होता है।
जब उपयोगकर्त्ता संभवतः निर्दोष और वैध प्रोग्राम को निष्पादित करता है तो ट्रोजन के अंदर गुप्त रूप से शामिल मैलवेयर का उपयोग सिस्टम में बैकडोर को खोलने के लिये किया जा सकता है जिसके माध्यम से हैकर्स कंप्यूटर या नेटवर्क में प्रवेश कर सकते हैं।
क्लिकजैकिंग : यह इंटरनेट उपयोगकर्त्ताओं को दुर्भावनापूर्ण सॉफ्टवेयर वाले लिंक पर क्लिक करने या अनजाने में सोशल मीडिया साइटों पर निजी जानकारी साझा करने के लिये लुभाने का कृत्य है।
डिनायल ऑफ सर्विस (DOS) हमला: यह किसी सेवा को बाधित करने के उद्देश्य से कई कंप्यूटरों और मार्गों से वेबसाइट जैसी किसी विशेष सेवा को ओवरलोड करने का जानबूझकर कर किया जाने वाला कृत्य है।
मैन इन मिड्ल अटैक’: इस तरह के हमले में दो पक्षों के बीच संदेशों को पारगमन के दौरान ‘इंटरसेप्ट’ किया जाता है।
क्रिप्टोजैकिंग : क्रिप्टोजैकिंग शब्द क्रिप्टोकरेंसी से निकटता से संबद्ध है। क्रिप्टोजैकिंग वह स्थिति है जब हमलावर क्रिप्टोकरेंसी माइनिंग के लिये किसी और के कंप्यूटर का उपयोग करते हैं।
‘ज़ीरो डे वल्नेरेबिलिटी : ज़ीरो डे वल्नेरेबिलिटी मशीन/नेटवर्क के ऑपरेटिंग सिस्टम या ऐप्लीकेशन सॉफ़्टवेयर में व्याप्त ऐसा दोष है जिसे डेवलपर द्वारा ठीक नहीं किया गया है और ऐसे हैकर द्वारा इसका दुरुपयोग किया जा सकता है जो इसके बारे में जानता है।
आगे की राह
साइबर-जागरूकता: शिक्षा साइबर-अपराधों की रोकथाम के बारे में सूचना के प्रसार के लिये महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों में से एक है और युवा आबादी साइबरस्पेस में अपनी भागीदारी के बारे में जागरूक होने तथा साइबर सुरक्षा के लिये और साइबर अपराध रोकने के लिये एक पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करने के लिये बल गुणक के रूप में कार्य कर सकती है।
सुरक्षित वैश्विक साइबरस्पेस के लिये टेक-डिप्लोमेसी: उभरते सीमा-पार साइबर खतरों से निपटने के लिये और एक सुरक्षित वैश्विक साइबरस्पेस की ओर आगे बढ़ने के लिये भारत को उन्नत अर्थव्यवस्थाओं तथा प्रौद्योगिकी-उन्मुख लोकतंत्रों के साथ अपनी राजनयिक साझेदारी को सुदृढ़ करना चाहिये।
साइबर सुरक्षा: पुलिस और लोक व्यवस्था राज्य सूची के विषय हैं, इसलिये राज्यों को यह सुनिश्चित करना चाहिये कि साइबर अपराध से निपटने के लिये विधि प्रवर्तन पूर्ण सक्षम है।
आईटी अधिनियम और अन्य प्रमुख कानून केंद्रीय रूप से अधिनियमित किये जाते हैं, इसलिये केंद्र सरकार कानून प्रवर्तन के लिये सार्वभौमिक वैधानिक प्रक्रियाएँ विकसित कर सकती है।इसके साथ ही, केंद्र और राज्यों को आवश्यक साइबर अवसंरचना विकसित करने के लिये पर्याप्त धन का निवेश करना चाहिये।
अनिवार्य डेटा संरक्षण मानदंड: व्यक्तिगत डेटा से संलग्न सभी सरकारी और निजी एजेंसियों के लिये अनिवार्य डेटा सुरक्षा मानदंडों का पालन करना आवश्यक होना चाहिये।
मानदंडों का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिये संबंधित प्राधिकारों को नियमित रूप से डेटा सुरक्षा ऑडिट करना चाहिये।
इसकी मदद से लोगों के बीच डिजिटल व्यवहारों पर जागरूकता पैलाने साइबर सुरक्षा के प्रति तत्परता को मजबूत करने का काम किया जाएगा।भारत में 250 सर्वाधिक पिछड़े जिलों में से एक बारपेटा को वर्ष 2006 से पिछड़ा क्षेत्र अनुदान निधि प्रोग्राम (बीआरजीएफ) का लाभ मिल रहा है।