’70वें नेशनल फिल्म अवॉर्ड्स’ में बॉलीवुड एक्टर मिथुन चक्रवर्ती को मिला दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड…

नई दिल्ली। भारतीय सिनेमा की दुनिया के सबसे सम्मानित अवॉर्ड्स समारोह ’70वें नेशनल फिल्म अवॉर्ड्स’ का आयोजन किया गया । आखिरकार वो वक्त आ गया, जिसका लंबे समय से इंतजार था। जिसमे 8 अक्टूबर 2024 को बॉलीवुड एक्टर मिथुन चक्रवर्ती को दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड से सम्मानित किया गया है। यह सम्मान राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के हाथों उन्हें सम्मानित किया गया। जिन्होंने करीब 350 से अधिक फिल्मों में काम किया है। मिथुन ने अपनी अदाकारी से न सिर्फ भारत में बल्कि देश से बाहर भी अपना नाम रोशन करने में सफल रहे है। अवॉर्ड के लिए जाते हुए एक्टर ने इस सम्मान पर खुशी जताते हुए कहा, ‘अभी तक इसे स्वीकार नहीं कर पाया हूं, अभी तक उसी खुमार में हूं लेकिन इतनी बड़ी इज्जत…थैंक यू बोल सकता हूं भगवान को। जितनी तकलीफें उठाई भगवान ने शायद मुझे सूद के साथ उसे वापस कर दीं।’
नेशनल अवॉर्ड मिलने के बाद जताई ख़ुशी
मिथुन चक्रवर्ती ने इस अवॉर्ड को लेते हुए खुशी जताते हुए कहा, ‘डायलॉग देते तो पढ़ देता, स्पीच देने को बोला है, क्या बोलूंगा कुछ समझ नहीं आ रहा है। बस इतना ही कहूंगा कि इस मंच पर मैं पहले तीन बार आ चुका हूं आपलोगों की दुआ से। लेकिन सबसे पहली बार जब मिला था नेशनल अवॉर्ड तो उसके इतने किस्से हैं कि मैंने किसी को नहीं बताए हैं। जब वो मिला तो लोग कहने लगे कि अरे आपको नेशनल अवॉर्ड मिला। तो मेरा दिमाग खराब हो गया कि मैंने कुछ बड़ा कर दिया। नेशनल अवॉर्ड मिलने के बाद दिमाग तो खराब हो गया था। मैं खुद को अल पचीनो समझने लगा।
मैं डायरेक्टर-प्रोड्यूसर के ऑफिस में जाकर ऊबासी लेने लगा था। मैं कहता था कि फिल्म की स्टोरी मेरे घर भेज देना। फिर एक प्रोड्यूसर ने मुझे मारा एक लात और बोला कि निकल यहां से। फिर समझ में आया कि अब कोई काम नहीं देगा। मुझे एक्टर तो सबने बाद में मान लिया। लेकिन मेरे रंग के कारण लोगों ने मुझे खूब ताने मारे। लोग राह चलते मुझे कालिया बुलाते थे। मैंने सोचा कि रंग तो बदल नहीं सकता। मैंने भगवान से कहा कि भगवान रंग तो नहीं बदल सकता। तो मैंने डांस करना शुरू किया, अपने पैरों को रुकने नहीं दिया। लोग मेरे रंग को भूल गए और मैं बन गया से*सी, डस्की, बंगाली बाबू।’
खुद सो जाना पर सपने को सोने नहीं देना
आगे कहा, ‘मैं भगवान से बहुत शिकायत करता था कि तुमने नाम दी, शोहरत दी पर इतनी तकलीफ क्यों दे रहा है। क्योंकि मुझे सब मिला तो नहीं कुछ भी थाली में परोसकर नहीं मिला। लेकिन आज इस अवॉर्ड के मिलने के बाद मैंने शिकायत करना छोड़ दिया। थैंक यू भोलेनाथ। कोलकाता में मेरा एक पुराना मंदिर है। कितने साल मैंने उस मंदिर का सेवा किया। मैंने उनको थैंक यू कहा, क्योंकि भगवान आपने मुझे सूद के साथ सब वापस कर दिया।’
मिथुन बोले, ‘आज के यंग लड़के आ रहे हैं, उनके लिए कहना चाहूंगा कि यंग टैलेंट बहुत हैं, लेकिन उनके पास पैसों की कमी है। जैसे मेरे साथ था। मैं कहूंगा कि तुम हिम्मत मत हारना, सपना खूब देखना। खुद सो जाना पर सपने को सोने नहीं देना। क्योंकि अगर मैं बन सकता हूं तो सब बन सकते हैं।’
‘KGF 2’ से लेकर ‘गुलमोहर’ जैसी फिल्मे भी राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों की लिस्ट में
बता दें कि अगस्त में ही राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों की घोषणा हुई थी। इस लिस्ट में जिन फिल्मों और कलाकारों को चुना गया था उनमें प्रशांत नील की फिल्म ‘KGF 2’ का भी नाम शामिल है। बताया जा रहा है कि इस फिल्म को दो कैटिगरी में अवॉर्ड दिया गया है। वहीं मनोज बाजपेयी को उनकी सीरीज ‘गुलमोहर’ के लिए नेशनल अवॉर्ड्स से सम्मानित किया गया है। इस लिस्ट में रणबीर कपूर स्टारर ‘ब्रह्मास्त्र’ के लिए प्रीतम को भी सम्मानित किया जा रहा है। उन्हें बेस्ट म्यूजिक डायरेक्टर का नेशनल अवॉर्ड दिया गया है। इन सबके अलावा ऋषभ शेट्टी को ‘कांतारा’ के लिए बेस्ट एक्टर और नित्या मेनन, मानसी पारेख को बेस्ट एक्ट्रेस का नेशनल अवॉर्ड दिया जा रहा है।
बेस्ट सपोर्टिंग एक्ट्रेस का अवॉर्ड नीना गुप्ता को
इस समारोह में नीना गुप्ता को बेस्ट सपोर्टिंग एक्ट्रेस का अवॉर्ड, ‘ऊंचाई’ के लिए दिया गया। ‘गुलमोहर’ के लिए स्पेशल मेंशन अवॉर्ड मनोज बाजपेयी को मिला। वहीं ‘पोन्नियिन सेल्वन’ के लिए मणिरत्नम को बेस्ट तमिल फिल्म का अवॉर्ड मिला। नॉन फीचर फिल्म कैटेगरी में ‘फुरसत’ के लिए बेस्ट म्यूजिक का अवॉर्ड विशाल भारद्वाज को मिला।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भारतीय सिनेमा में उत्कृष्ट उपलब्धियों के लिए दिया सम्मान
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 8 अक्टूबर 70वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार समारोह की अध्यक्षता की, जिसमें वर्ष 2022 के लिए भारतीय सिनेमा में उत्कृष्ट उपलब्धियों का सम्मान किया गया। इस समारोह में सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव और राज्य मंत्री डॉ. एल. मुरुगन भी शामिल हुए। अपने संबोधन में राष्ट्रपति मुर्मू ने फिल्म उद्योग में चक्रवर्ती के महत्वपूर्ण योगदान की सराहना की और इस बात पर जोर दिया कि पुरस्कृत फिल्में सकारात्मक सामाजिक बदलाव को दर्शाती हैं।
मिथुन चक्रवर्ती का करियर
मिथुन चक्रवर्ती का जन्म 16 जून 1950 को हुआ। मिथुन का जन्म कोलकाता में एक बंगाली हिंदू परिवार में हुआ था। उन्होंने अपनी स्नातक की पढ़ाई एफटीआईआई, पुणे से पूरी की। मिथुन चक्रवर्ती ने अपने अभिनय करियर की शुरुआत मृणाल सेन द्वारा निर्देशित फिल्म ‘मृगया’ से की थी। फिल्म ‘डिस्को डांसर’ में मिथुन का अभिनय और डांस काफी लोकप्रिय हुआ था। इस फिल्म से मिथुन को ‘डिस्को डांसर’ के नाम से जाना जाने लगा। अभिनय क्षेत्र के साथ-साथ मिथुन ने राजनीतिक क्षेत्र में भी अपना दबदबा कायम रखा है। फिलहाल वह भारतीय जनता पार्टी में सक्रिय हैं। मिथुन चक्रवर्ती को पद्म भूषण, पद्मश्री पुरस्कार भी मिल चुका है। साथ ही यह उनका चौथा राष्ट्रीय पुरस्कार है।