April 30, 2025

टाटा समूह के पूर्व अध्यक्ष पद्म विभूषण रतन टाटा का 86 साल की उम्र में हुआ निधन…

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नई दिल्ली। भारत के सुप्रसिद्ध उद्योगपति टाटा समूह के पूर्व अध्यक्ष पद्म विभूषण रतन नवल टाटा का 9 अक्टूबर, 2024 को निधन हो गया। जो कि उम्र संबंधी परेशानियों की वजह से मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में भर्ती कराए गए थे, जहां उन्होंने अंतिम सांस ली। उन्होंने समूह का हिस्सा होते हुए समूह को नई बुलंदियों तक पहुंचाया। साल 2000 में उन्हें भारत सरकार ने पद्मभूषण और साल 2008 में उन्हें पद्म विभूषण पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उनके द्वारा नैनो कार से लेकर जगुआर तक लिए गए निर्णयों ने लोगों का नजरिया बदला।

टाटा के दो मुख्य मुख्य ट्रस्ट हैं- सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट और सर रतन टाटा ट्रस्ट।  इन दोनों ट्रस्टों की संयुक्त रूप से टाटा समूह की मूल कंपनी टाटा संस में करीब 52 फीसदी हिस्सेदारी है। टाटा संस की टाटा समूह की कंपनियों का संचालन करता है। यह समूह विमानन से लेकर एफएमसीसी तक के पोर्टफोलियो को संभालता है। देश और दुनिया के बड़े उद्योगपतियों में शुमार रतन टाटा का मुंबई के एक अस्पताल में निधन हो गया। रतन टाटा अपने पीछे एक बहुत बड़ी विरासत छोड़ गए हैं.एक अनुमान के मुताबिक टाटा समूह की कुल संपत्ति करीब 165 अरब अमेरिकी डॉलर की है।


रतन टाटा, टाटा संस के अध्यक्ष कब बने

Ratan Tata Biography: जब जेआरडी टाटा ने 1991 में टाटा संस के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया, तो उन्होंने रतन टाटा को अपना उत्तराधिकारी नियुक्त किया। उन्हें कई कंपनियों के प्रमुखों से कड़े प्रतिरोध का सामना करना पड़ा, जिन्होंने अपनी-अपनी कंपनियों में दशकों तक काम किया था। टाटा ने सेवानिवृत्ति की आयु निर्धारित करके उनकी जगह लेना शुरू कर दिया। उन्होंने प्रत्येक कंपनी के लिए समूह कार्यालय में रिपोर्ट करना अनिवार्य कर दिया। उनके नेतृत्व में टाटा संस की अतिव्यापी कंपनियों को एक समन्वित इकाई के रूप में सुव्यवस्थित किया गया।

उनके 21 वर्षों के कार्यकाल के दौरान राजस्व 40 गुना से अधिक तथा लाभ 50 गुना से अधिक बढ़ा। उन्होंने टाटा टी को टेटली, टाटा मोटर्स को जगुआर लैंड रोवर तथा टाटा स्टील को कोरस का अधिग्रहण करने में मदद की, जिससे यह संगठन मुख्यतः भारत-केंद्रित समूह से वैश्विक व्यवसाय में परिवर्तित हो गया। उन्होंने टाटा नैनो कार की भी संकल्पना तैयार की थी। कार की कीमत ऐसी रखी गई थी, जो औसत भारतीय उपभोक्ता की पहुंच में थी। 75 वर्ष की आयु पूरी होने पर रतन टाटा ने 28 दिसंबर 2012 को टाटा संस के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया। साइरस मिस्त्री को उनका उत्तराधिकारी नामित किया गया, हालांकि, निदेशक मंडल और कानूनी प्रभाग ने 24 अक्टूबर 2016 को उन्हें हटाने के लिए मतदान किया और रतन टाटा को समूह का अंतरिम अध्यक्ष बनाया गया।

रतन टाटा के कार्य

  • शिक्षा, चिकित्सा और ग्रामीण विकास के समर्थक होने के नाते रतन टाटा ने चुनौतीपूर्ण क्षेत्रों में बेहतर जल उपलब्ध कराने के लिए न्यू साउथ वेल्स विश्वविद्यालय के इंजीनियरिंग संकाय को सहयोग दिया।
  • टाटा शिक्षा एवं विकास ट्रस्ट ने 28 मिलियन डॉलर का टाटा छात्रवृत्ति कोष प्रदान किया था, जिससे कॉर्नेल विश्वविद्यालय भारत के स्नातक छात्रों को वित्तीय सहायता प्रदान कर सके। वार्षिक छात्रवृत्ति से एक समय में लगभग 20 छात्रों को सहायता मिलती थी।
  • टाटा समूह की कंपनियों और टाटा चैरिटीज ने 2010 में हार्वर्ड बिजनेस स्कूल (एचबीएस) को एक कार्यकारी केंद्र के निर्माण के लिए 50 मिलियन डॉलर का दान दिया था।
  • टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) ने संज्ञानात्मक प्रणालियों और स्वचालित वाहनों पर शोध हेतु कार्नेगी मेलन विश्वविद्यालय (सीएमयू) को 35 मिलियन डॉलर का दान दिया था। यह किसी कंपनी द्वारा दिया गया अब तक का सबसे बड़ा दान है और 48,000 वर्ग फुट की इमारत को टीसीएस हॉल कहा जाता है।
  • टाटा समूह ने 2014 में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, बॉम्बे को 950 मिलियन डॉलर का ऋण दिया गया और टाटा सेंटर फॉर टेक्नोलॉजी एंड डिज़ाइन (टीसीटीडी) का गठन किया गया। यह संस्थान के इतिहास में अब तक प्राप्त सबसे बड़ा दान था।
  • टाटा ट्रस्ट्स ने भारतीय विज्ञान संस्थान, न्यूरोसाइंस सेंटर को अल्जाइमर रोग के कारणों के अंतर्निहित तंत्र का अध्ययन करने तथा इसके शीघ्र निदान और उपचार के लिए तरीके विकसित करने हेतु 750 मिलियन रुपये का अनुदान भी प्रदान किया।
  • टाटा समूह ने संसाधन-विवश समुदायों की चुनौतियों का समाधान करने के लिए मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी) में एमआईटी टाटा सेंटर ऑफ टेक्नोलॉजी एंड डिजाइन की भी स्थापना की, जिसका प्रारंभिक फोकस भारत पर था।

रतन टाटा कितने ट्रस्ट में शामिल रहे

टाटा ने अपना उत्तराधिकारी नहीं बनाया था। ऐसे में उनके ट्रस्ट ट्रस्टियों में से ही एक अध्यक्ष का चुनाव किया जाएगा। टाटा समूह के दो मुख्य मुख्य ट्रस्ट हैं- सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट और सर रतन टाटा ट्रस्ट। इन दोनों ट्रस्टों की संयुक्त रूप से टाटा समूह की मूल कंपनी टाटा संस में करीब 52 फीसदी हिस्सेदारी है। टाटा संस की टाटा समूह की कंपनियों का संचालन करता है. यह समूह विमानन से लेकर एफएमसीसी तक के पोर्टफोलियो को संभालता है। दोनों ट्रस्टों में कुल 13 ट्रस्टी हैं। इनमें से लोग दोनों ट्रस्टों में ट्रस्टी हैं। इनमें पूर्व रक्षा सचिव विजय सिंह, ऑटोमोबाइल क्षेत्र के दिग्गज वेणु श्रीनिवासन,रतन टाटा के सौतेले भाई और ट्रेंट के चेयरमैन नोएल टाटा, व्यवसायी मेहली मिस्त्री और वकील डेरियस खंबाटा के नाम शामिल हैं।

इन ट्रस्टों में शामिल अन्य लोगों ने सिटी इंडिया के पूर्व सीईओ परमीत झावेरी सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट और रतन टाटा के छोटे भाई जिमी टाटा और जहांगीर अस्पताल के सीईओ जहांगीर एचसी जहांगीर सर रतन टाटा ट्रस्ट के ट्रस्टी हैं।

कैसे चुने जाते हैं इन ट्रस्टों के चेयरमैन ?

टाटा ट्रस्ट के प्रमुख का चुनाव ट्रस्टियों में से बहुमत के आधार पर होता है। विजय सिंह और वेणु श्रीनिवास इन दोनों ट्रस्टों के उपाध्यक्ष हैं। लेकिन इनमें से किसी एक के प्रमुख चुने जाने की संभावना अपेक्षाकृत कम है। जिस व्यक्ति को टाटा ट्रस्ट का प्रमुख बनाए जाने की अधिक संभवाना है, वो है 67 साल के नोएल टाटा। नोएल की नियुक्ति से पारसी समुदाय भी खुश होगा। रतन टाटा पारसी थे। इससे यह भी सुनिश्चित होगा कि एक पारसी है इस संगठन का नेतृ्त्व करे। इस ट्रस्ट ने वित्त वर्ष 2023 में 470 करोड़ रुपये से अधिक का दान दिया था।

रतन टाटा को मिले पुरस्कार

वर्ष
नाम
पुरस्कार देने वाला संगठन
2000
पद्म भूषण
भारत सरकार
2008
पद्म विभूषण
भारत सरकार
2001
मानद डॉक्टर ऑफ बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन
ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी
2004
ओरिएंटल रिपब्लिक ऑफ उरुग्वे का पदक
उरुग्वे सरकार
2004
मानद डॉक्टर ऑफ टेक्नोलॉजी
एशियाई प्रौद्योगिकी संस्थान
2005
अंतर्राष्ट्रीय विशिष्ट उपलब्धि पुरस्कार
बी’नाई बी’रिथ इंटरनेशनल
2005
मानद डॉक्टर ऑफ साइंस
वारविक विश्वविद्यालय.
2006
मानद डॉक्टर ऑफ साइंस
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मद्रास
2006
जिम्मेदार पूंजीवाद पुरस्कार
विज्ञान और प्रौद्योगिकी की प्रेरणा और मान्यता के लिए (FIRST)
2007
मानद फैलोशिप
लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स एंड पॉलिटिकल साइंस
2007
कार्नेगी परोपकार पदक
कार्नेगी एंडोमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस
2008
मानद डॉक्टर ऑफ लॉ
कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय
2008
मानद डॉक्टर ऑफ साइंस
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान बॉम्बे
2008
मानद डॉक्टर ऑफ साइंस
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान खड़गपुर
2008
मानद नागरिक पुरस्कार
सिंगापुर सरकार
2008
मानद फैलोशिप
इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी
2008
प्रेरित नेतृत्व पुरस्कार
प्रदर्शन थियेटर
2009
मानद नाइट कमांडर ऑफ़ द ऑर्डर ऑफ़ द ब्रिटिश एम्पायर (KBE)
महारानी एलिजाबेथ द्वितीय
2009
2008 के लिए इंजीनियरिंग में आजीवन योगदान पुरस्कार
भारतीय राष्ट्रीय इंजीनियरिंग अकादमी
2009
इतालवी गणराज्य के ऑर्डर ऑफ मेरिट के ग्रैंड ऑफिसर
इटली सरकार
2010
मानद डॉक्टर ऑफ लॉ
कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय
2010
हैड्रियन पुरस्कार
विश्व स्मारक कोष
2010
ओस्लो बिजनेस फॉर पीस पुरस्कार
बिजनेस फॉर पीस फाउंडेशन
2010
लीजेंड इन लीडरशिप अवार्ड
येल विश्वविद्यालय
2010
मानद डॉक्टर ऑफ लॉज
पेप्परडाइन विश्वविद्यालय
2010
शांति के लिए व्यापार पुरस्कार
बिजनेस फॉर पीस फाउंडेशन
2010
वर्ष का बिजनेस लीडर
एशियाई पुरस्कार
2012
मानद फेलो
रॉयल एकेडमी ऑफ इंजीनियरिंग
2012
डॉक्टर ऑफ बिज़नेस की मानद उपाधि
न्यू साउथ वेल्स यूनिवर्सिटी
2012
ग्रैंड कॉर्डन ऑफ़ द ऑर्डर ऑफ़ द राइजिंग सन
जापान सरकार
2013
विदेशी सहयोगी
राष्ट्रीय इंजीनियरिंग अकादमी
2013
दशक के परिवर्तनकारी नेता
भारतीय मामले भारत नेतृत्व सम्मेलन 2013
2013
अर्न्स्ट एंड यंग एंटरप्रेन्योर ऑफ द ईयर – लाइफटाइम अचीवमेंट
अर्न्स्ट एंड यंग
2013
बिजनेस प्रैक्टिस के मानद डॉक्टर
कार्नेगी मेलन विश्वविद्यालय
2014
मानद डॉक्टर ऑफ बिजनेस
सिंगापुर प्रबंधन विश्वविद्यालय
2014
सयाजी रत्न पुरस्कार
बड़ौदा मैनेजमेंट एसोसिएशन
2014
मानद नाइट ग्रैंड क्रॉस ऑफ़ द ऑर्डर ऑफ़ द ब्रिटिश एम्पायर (GBE)
महारानी एलिजाबेथ द्वितीय
2014
मानद डॉक्टर ऑफ लॉज
यॉर्क विश्वविद्यालय, कनाडा
2015
ऑटोमोटिव इंजीनियरिंग के मानद डॉक्टर
क्लेम्सन विश्वविद्यालय
2015
सयाजी रत्न पुरस्कार
बड़ौदा मैनेजमेंट एसोसिएशन, ऑनोरिस कॉसा, एचईसी पेरिस
2016
लीजन ऑफ ऑनर के कमांडर
फ़्रांस सरकार
2018
मानद डॉक्टरेट
स्वानसी विश्वविद्यालय
2021
असम बैभव
असम सरकार

पारसी को प्राथमिकता

एक ऐतिहासिक तय्थ यह भी है कि केवल पारसियों ने ही टाटा ट्रस्ट की कमान संभाली है। हालांकि कुछ के नाम में टाटा नहीं लगा था और उनका ट्रस्ट के संस्थापक परिवार से कोई सीधा रिश्ता नहीं था। अगर नोएल टाटा इन ट्रस्टों के प्रमुख चुने जाते हैं तो वे सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट के 11वें अध्यक्ष और सर रतन टाटा ट्रस्ट के छठे अध्यक्ष बनेंगे। नोएल चार दशक से अधिक समय से टाटा समूह से जुड़े हुए हैं। वो ट्रेंट, टाइटन और टाटा स्टील समेत छह प्रमुख कंपनियों के बोर्ड में हैं। उन्हें 2019 में सर रतन टाटा ट्रस्ट का ट्रस्टी नियुक्त किया गया था। वो 2022 में सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट के बोर्ड में शामिल किए गए थे।

टाटा का कार्यकाल पूरा हो जाने के बाद माना जाता था कि वो टाटा संस के चेयरमैन का पद संभालेंगे। लेकिन उस पर नोएल के बहनोई साइरस मिस्त्री को बैठा दिया गया। टाटा संस से साइरस मिस्त्री के निकाले जाने के बाद टाटा संस के अध्यक्ष की कमान टीसीएस के सीईओ एन चंद्रशेखरन ने संभाली। नोएल और रतन टाटा कभी एक साथ नजर नहीं आए। दोनों ने अपने बीच दूरी बनाए रखी.हालांकि रतन टाटा के अंतिम दिनों में अपने सौतेले भाई से रिश्ते काफी मधुर हो गए थे।

वहीं रतन टाटा के जाने के बाद टाटा के समूह की जिम्मेदारी किसके कंधे होगी उसमें कई नाम शामिल है। नोएल टाटा रतन टाटा के सौतेले भाई सबसे आगे है। सिर्फ नोएल टाटा पर ही नही टाटा की नई पीढ़ी के कंधों पर टाटा समूह की जिम्मेदारी होगी। रतन टाटा ने अपनी निजी बचत स्नैपडील, टीबॉक्स और कैशकरो डॉट कॉम में निवेश की। उन्होंने ओला कैब्स, शियोमी, नेस्टवे और डॉगस्पॉट में भी निवेश किया।

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