भारतीय जन नाट्य संघ कर रहा बच्चों को मोबाइल की दुनिया से अलग रचनात्मक गतिविधियों से जोड़ने की पहल…
भारतीय जन नाट्य संघ( इप्टा) ने बच्चों को गर्मी की छुट्टी में मोबाइल की दुनिया से अलग रचनात्मक गतिविधियों से जोड़ने की पहल की है। इसमें उन्हें नाटक की विधा से जोड़ने नाट्य प्रशिक्षण शिविर की शुरूआत की गई । दस दिनों तक चलने वाले इस बाल नाट्य शिविर का शुभारंभ स्थानीय विवेकानंद स्कूल में 10 मई मंगलवार को किया गया। बता दें की शिविर में अनुभवी रंगकर्मी नाटक और इससे जुड़ी बारीकियों से बच्चों को अवगत कराएंगे। शिविर का उद्घाटन विवेकानंद आश्रम के प्रमुख स्वामी तन्मयानंद ने किया। मुख्य अतिथि स्वामी तन्मयानंद ने कहा कि इंटरनेट की दुनिया में यह देखना बहुत महत्वपूर्ण है कि हमें अच्छाई को ही ग्रहण करना है। महापुरुषों की जीवनियां हमारे लिए बहुत प्रेरणादायक हैं। इसलिए हमें महापुरुषों की जीवनी भी पढ़नी चाहिए उनके जीवन का अनुसरण भी करना चाहिए।
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वहीं शिविर की शुरुआत करते हुए इप्टा अध्यक्ष अंजनी कुमार पांडे ने शिविर के उद्देश्यों से अवगत कराते हुए बताया कि पिछले कई सालों से बच्चे मोबाइल और इंटरनेट की दुनिया में खोए हुए हैं। उन्हें वास्तविक दुनिया की सुंदरता से और भारतीय साहित्य में अच्छे नाटकों से परिचित कराने के लिए इस शिविर की शुरुआत की गई है। इसमें बच्चे गीत संगीत और नाट्य विधा से परिचित होंगे इप्टा के वरिष्ठ सदस्य वेदप्रकाश अग्रवाल ने इस तरह की कार्यशाला को बच्चों के व्यक्तित्व के विकास में एक महत्वपूर्ण पड़ाव निरूपित किया।
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उन्होंने बताया कि इस तरह की कार्यशाला से बच्चों के व्यक्तित्व में परिवर्तन आता है। बच्चे बहुमुखी प्रतिभा के धनी बनते हैं। इप्टा के वरिष्ठ सदस्य प्रीतपाल सिंह ने बच्चों को संबोधित करते हुए कहा कि जीवन सफलता हासिल करने में अनुशासन बहुत महत्वपूर्ण है। इस तरह की कार्यशाला में बच्चों को अनुशासन की सीख सबसे पहले दी जाती है। नाट्य प्रशिक्षण देने वाले रंगकर्मी और इप्टा के पूर्व सचिव कृष्णानंद तिवारी ने बच्चों को नाट्य विधा में पारंगत होने के लिए अपनी आवाज अपने शारीरिक भाव भंगिमा पर नियंत्रण रखने की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि मौन रहकर मूक भाषा भी बहुत प्रभावी होती है। मूक भाषा का अभिनय बहुत जबरदस्त होता है । कार्यशाला की शुरुआत करते हुए सबसे पहले बच्चों से फार्म भर उनका रजिस्ट्रेशन कराया गया।