आखिर स्टैग बीटल क्या है जिसकी कीमत है इतनी महंगी?…
Stag Beetle : दुनियाभर में लोग घरों से कई प्रकार के कीड़ों को मारने के लिए कई तरह के तरीके अपनाते हैं लेकिन क्या आप जानते है ? एक कीट ऐसे कीड़े के बारे में जिसे लोग ना सिर्फ घर में रखना चाहते हैं बल्कि ऊंची कीमत में खरीदते भी है। इस कीट का नाम स्टैग बीटल है और ये दुनिया के सबसे महंगे कीटों में से एक माना जाता है। एक स्टैग बीटल की कीमत 75 लाख रुपए तक होती है। स्टैग बीटल की खासियत की वजह से बाकी कीटो से अलग व महंगा बनाती हैं। क्योंकि ये काफी दुर्लभ हैं जिसका उपयोग दवाईयों में भी किया जाता है। वहीं इसे लोग लकी चार्म भी मानते हैं। ऐसे में इसे किसी भी कीमत पर खरीदने को तैयार रहते हैं।
कैसा है ये स्टैग बीटल?
स्टैग बीटल बहुत ही आकर्षक कीड़ा होता है जो काफी बड़ा होता हैं। इसके पिछले हिस्से पर सींग होते हैं। इनका रंग ज्यादातर काला होता हैं हालांकि ये दूसरे रंगों में भी जैसे भूरे, हरे और पीले भी होते हैं। स्टैग बीटल का नाम इसके सींग के आकार की वजह से मिला है। जिसे हिरण भृंग कहते हैं। क्योंकि ये महाशंखों जैसा दिखाई देता है। ये आमतौर पर लकड़ी की खुदाई करते हैं और अपने शिकार को खोजने के लिए रात में उड़ते हैं। इनके पास तेज और शक्तिशाली डंक होते हैं जिनका इस्तेमाल उनकी रक्षा और शिकार के लिए किया जाता है।
साइंटिफिक डेटा जर्नल क्या कहते है ?
साइंटिफिक डेटा जर्नल में पब्लिश एक रिसर्च में कहा गया है कि ये कीट वन पारिस्थितिकी तंत्र में महत्वपूर्ण सैप्रॉक्सिलिक समूह के प्रतिनिधि हैं। लंदन स्थित नेचुरल हिस्ट्री म्यूजियम के अनुसार स्टैग बीटल का वजन 2 से 6 ग्राम के बीच होता है और जिसका औसत जीवनकाल 3 से 7 साल तक होता है। नर स्टैग बीटल 35-75 मिमी लंबे होते हैं और मादा 30-50 मिमी लंबी होती है। ये अपने बढ़े हुए जबड़े और नर बहुरूपता के लिए जाने जाते हैं।
कहां मिलते हैं?
यह उष्णकटिबंधीय वातावरण में पनपते हैं और ठंडे तापमान के प्रति संवेदनशील होते हैं। वे स्वाभाविक रूप से वुडलैंड्स में रहते हैं, लेकिन हेजरो, पारंपरिक बागों और शहरी क्षेत्रों जैसे पार्कों और बगीचों में भी पाए जा सकते हैं, जहां सूखी लकड़ी बड़ी तादाद में पायी जाती है। स्टैग बीटल के लार्वा मृत लकड़ी पर भोजन करते हैं, अपने तीखे जबड़े का उपयोग करके रेशेदार सतह से छींटे निकालते हैं। विशेष रूप से मृत लकड़ी को खाते हैं, इसलिए स्टैग बीटल जीवित पेड़ों या झाड़ियों के लिए कोई खतरा पैदा नहीं करते हैं। इससे वे स्वस्थ वनस्पतियों के लिए अच्छे होते हैं।
इतना महंगा क्यों है ये कीड़ा?
स्टैग बीटल की कीमत की बात करे तो ये सवाल हर किसी के ज़ेहन में आ रहा है। दरअसल इस कीड़े को पालने के लिए कई तरह के अनाजों की जरूरत पड़ती है जिनका खर्च लाखों में आता है। दूसरी वजह ये है कि ये देखने में बेहद खूबसूरत होते हैं इसलिए इनकी मांग बढ़ जाती है जो इसे बेहद कीमती बना देती है।
कितना होता है जीवन चक्र?
इसके जीवन की अवधि सामान्य तौर पर 3 से 7 साल तक की होती हैं। ये जीवन अवधि मुख्य रूप से चार भागों में बंटी होती हैं- अंडा, लार्वा, प्यूपा और व्यसक
अंडा– मादा स्टैग बीटल लकड़ी के अंदर या मृत पेड़ों की छाल में अंडे देती हैं। अंडों से लार्वा निकलने में लगभग कुछ हफ्तों का समय लगता हैं।
लार्वा– लार्वा चरण स्टैग बीटल के जीवन चक्र का सबसे लम्बा हिस्सा होता हैं। जो 1 से 5 साल तक चल सकता हैं। लार्वा मृत लकड़ी पर निर्भर करता हैं और ये लकड़ी को खरोचकर कर खाता हैं, जिससे उसे पोषण मिलता हैं। इस चरण में, लार्वा का आकार धीरे-धीरे बढ़ता हैं और अपनी बढ़ती उम्र के लिए ऊर्जा इकट्ठा करता है।
प्यूपा– जब लार्वा पूरी तरह से बड़ा हो जाता है तो ये प्यूपा बनने के लिए एक कोकून बनाता हैं। इस चरण में लार्वा पूरी तरह स्टैग बीटल के रूप में बदलता है। ये प्रक्रिया कुछ हफ्तों से कुछ महीनों तक चल सकती हैं।
व्यसक– व्यसक स्टैग बीटल का जीवन छोटा होता हैं जो लगभग 6 महीने से 1 साल तक होता हैं। व्यसक स्टैग बीटल मुख्य रूप से भोजन की तलाश में होते हैं। व्यसक स्टैग बीटल अपने जबड़ों का उपयोग दूसरे नर और मादा बीटल से लड़ने और मादा स्टैग बीटल के साथ संयोग करने के लिए करते हैं।
स्टैग बीटल का भोजन क्या है ?
स्टैग बीटल का भोजन उनके पूरे जीवन में बदलता रहता है। इन चरणों में वो अपना भोजन करते हैं।
लार्वा चरण- स्टैग बीटल अपना भोजन लार्वा मुख्य तौर से मृत और सड़ी हुई लकड़ी पर निर्भर करता हैं। वे लकड़ी के छोटे-छोटे टुकड़े खाकर पोषण प्राप्त करते हैं।
व्यसक चरण- व्यसक स्टैग बीटल मीठे तरल पदार्थों पर निर्भर होते हैं। वो पेड़ों से निकलने वाले रस, गले हुए फलों का रस और दूसरे मीठे पदार्थ खाते हैं। व्यसक स्टैग बीटल अपने लार्वा चरण में ऊर्जा का भी उपयोग करते हैं क्योंकि वो बहुत ज्यादा भोजन नहीं करते हैं।
स्टैग बीटल के भोजन की ये आदतें उन्हें परिस्थिति के हिसाब से एक महत्वपुर्ण भूमिका निभाने में मदद करती हैं खासकर मृत लकड़ी के टूटने पर इसे काम में ली जाती हैं।