हरदा के पटाखा फैक्ट्री में हुआ भीषण हादसा, सुरक्षा व्यवस्था की कमी बनी हादसे की वजह…
भोपाल : मध्य प्रदेश के हरदा जिले के बैरागढ़ गांव में 6 फ़रवरी को पटाखा फैक्ट्री में हुए भयानक विस्फोट से अफरा-तफरी मच गयी । इस हादसे में अब तक 11 लोगों की जान चली गयी है, तो 204 से अधिक लोग घायल हुए है । घायलों का इलाज प्रदेश के अलग-अलग जिलों के अस्पतालों में किया जा रहा है। वहीं, गंभीर रूप से घायल 51 लोगों को प्रदेश के बड़े अस्पतालों में रेफर किया गया है । विस्फोट के बाद इस फैक्ट्री के संचालन पर सवाल उठने लगे हैं । जांच-पड़ताल करने पर पटाखा फैक्ट्री के संचालन से संबंधित बेहद ही हैरान करने वाले तथ्य सामने आए हैं।
घटना की जांच के लिए गठित की समिति
राज्य सरकार ने हरदा के ग्राम बैरागढ़ थाना सिविल लाइन में पटाखा फैक्ट्री में विस्फोट की घटना की जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति गठित की है। प्रमुख सचिव गृह संजय दुबे की अध्यक्षता में गठित समिति के दो सदस्यों में अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक गुप्तवार्ता जयदीप प्रसाद और लोक निर्माण विभाग के सचिव आर के मेहरा हैं। समिति को घटना के कारण की विस्तृत जांच, आयुध अधिनियम के तहत विस्फोटकों का संधारण एवं मध्य प्रदेश औद्योगिक नियोजन संशोधन अधिनियम 1961 में निहित प्रावधानों के पालन की समुचित कार्यवाही के संबंध में जांच कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा है।
हादसे में हुए नुकसान की भरपाई करेगी सरकार
हादसे की तस्वीर ने सबको झकझोर कर रख दिया है । जिसे किसी भी तरीके से मिटाया तो नही जा सकता, लेकिन एम पी की सरकार ने इस हादसे के शिकार हुए परिवार वालो को 4 -4 लाख की राशि मृतक के परिवार को और गंभीर घायल व्यक्ति को 2 -2 लाख की राशि और साधारण रूप से घायल व्यक्ति के लिए 50 हजार की राशि सहायता स्वरुप देने का निर्णय लिया है । साथ ही यह हुए गंभीर घटनाओ को देखते हुए मेडिकल सुविधा और एम्बुलेंस को बढ़ाने की प्लानिंग की जा रही है ।
हरदा की पटाखा फैक्ट्री में हुए विस्फोट के बाद इस हादसे की परतें खुलती जा रही हैं। इसका अलावा फैक्ट्री में फायर सेफ्टी की कोई व्यवस्था नहीं थी। इतना बड़ा कारोबार चल रहा था और इन छोटी-छोटी लापरवाहियों ने एक बड़े हादसे का रुप ले लिया।
सुरक्षा की इंतजाम में कमी बनी वजह
इस पटाखा फैक्ट्री से लगी रहवासियों की कलोनी बनी थी, जहां लोग रहते थे। इनको पीएम आवास भी सरकार द्वारा दिया गया था, जो मजदूर यहां काम करने आते थे। उनके पास कोई किट नहीं थी। मजदूर जो कपड़ा पहन कर आते थे, उसी को पहन कर पटाखा फैक्ट्री में काम करते थे। सुरक्षा की दृष्टि से यहां पर वाटर टैंक होना था, लेकिन उसकी भी कोई व्यवस्था नहीं की गई थी। हरदा की पटाखा फैक्ट्री में हुए विस्फोट के बाद इस हादसे की परतें खुलती जा रही हैं । राजेश अग्रवाल की पटाखा फैक्ट्री में जो भीषण हादसा हुआ है, वह पांच खामियों की वजह से हुआ है ।
इन लापरवाहियों में पटाखा फैक्ट्री में क्षमता से अधिक मात्रा में बारुद रखना भी एक बड़ी वजह थी। इसका अलावा फैक्ट्री में फायर सेफ्टी की कोई व्यवस्था नहीं थी। इतना बड़ा कारोबार चल रहा था और इन छोटी-छोटी लापरवाहियों ने एक बड़े हादसे का रुप ले लिया। समिति को किन परिस्थितियों में घटना घटित हुई, घटना के लिए प्रत्यक्ष व परोक्ष रूप से दोषी अधिकारी/ कर्मचारी की जिम्मेदारी तय करना और इस प्रकार की घटना की पुनरावृत्ति न होने के संबंध में अनुसंशाएं करने का निर्देश दिया गया है।