17 वर्षीय भारतीय ग्रैंडमास्टर डी गुकेश ने कैंडिडेट्स शतरंज टूर्नामेंट जीतकर रचा इतिहास…
टोरंटो। भारत के 17 वर्षीय ग्रैंडमास्टर डी गुकेश ने कैंडिडेट्स शतरंज टूर्नामेंट में जीत हासिल कर इतिहास रच दिया। साथ ही वह विश्वनाथन आनंद के बाद कैंडिडेट्स टूर्नामेंट जीतने वाले दूसरे भारतीय भी बन गए। उन्होंने टूर्नामेंट के अपने आखिरी मुकाबले में अमेरिका के हिकारू नाकामुरा के खिलाफ ड्रॉ खेला। गुकेश ने टूर्नामेंट में 14 में से 9 अंक हासिल कर खिताब पर कब्जा जमाया ।
सबसे कम उम्र के चैलेंजर बने
भारतीय ग्रैंडमास्टर डी गुकेश ने कैंडिडेट्स शतरंज टूर्नामेंट में अमेरिकी शतरंज खिलाड़ी हिकारू नाकामुरा के खिलाफ महत्वपूर्ण ड्रॉ खेलकर 14 में से नौ अंक हासिल कर विश्व शतरंज का खिताब जीत लिया है। इस जीत के साथ ही गुकेश 40 साल पहले महान गैरी कास्पारोव के रिकॉर्ड को तोड़ते हुए विश्व खिताब के लिए सबसे कम उम्र के चैलेंजर बन गए है। वह कैंडिडेट्स शतरंज टूर्नामेंट जीतने वाले सबसे युवा खिलाड़ी भी बने। 17 वर्षीय गुकेश ने 14वें और अंतिम राउंड में अमेरिकी हिकारू नाकामुरा के साथ आसान ड्रॉ खेला तथा टूर्नामेंट को 14 में से नौ अंकों के साथ समाप्त किया। निर्णायक अंतिम दौर में, गुकेश ने काले मोहरों से नाकामुरा को बराबरी पर रोककर भव्य मंच के लिए अपनी तैयारी दिखाई। क्वीन्स गैम्बिट एक्सेप्टेड में नाकामुरा के प्रयासों के बावजूद, गुकेश ने नियंत्रण बनाए रखा, अंततः जीत हासिल की।
पांच लाख यूरो की मिली पुरस्कार राशि
खिताब जीतने के बाद गुकेश ने कहा, “बहुत राहत महसूस कर रहा हूं और बहुत खुश हूं। मैं यह मजेदार खेल (फाबियो कारूआना और इयान नेपोमनियातची) को फॉलो कर रहा था और फिर मैं अपने दूसरे (ग्रेगोर्ज गेजवीस्की) के साथ टहलने गया। मेरे ख्याल से इससे मदद मिली।” इस खिताब के साथ गुकेश को 88,500 यूरो (लगभग 78.5 लाख रुपये) का नकद पुरस्कार दिया गया। कैंडिडेट्स टूर्नामेंट की कुल पुरस्कार राशि पांच लाख यूरो है। गुकेश इस प्रतिष्ठित टूर्नामेंट को जीतने वाले दूसरे भारतीय है। इससे पहले वर्ष 2014 में पांच बार के विश्व चैंपियन विश्वनाथन आनंद यह खिताब जीता था। जो 1984 में 22 वर्ष की उम्र में विश्व चैंपियनशिप खिताब के सबसे युवा चैलेंजर बने थे।
विश्वनाथन आनंद ने दी बधाई
“सबसे कम उम्र के चैलेंजर बनने के लिए गुकेश को बधाई। आपने जो किया है उस पर वाका चेस परिवार को बहुत गर्व है। आपने जिस तरह से खेला और कठिन तरीके से संभाला,मुझे निजी तौर पर बहुत गर्व है कि आपने किस तरह खेला और मुश्किल स्थिति को संभाला। इस पल का आनंद उठाएं।”
मौजूदा चैंपियन को अब देंगे चुनौती
गुकेश इस जीत के बाद विश्व शतरंज चैंपियनशिप मुकाबले में मौजूदा विश्व चैंपियन चीन के डिंग लिरेन को चुनौती देंगे। वह अब विश्वनाथन आनंद के बाद क्लासिकल विश्व चैम्पियनशिप खिताब के लिए लड़ने वाले दूसरे भारतीय हैं। विश्व चैम्पियनशिप मैच में 14 गेम होते हैं, जो खिलाड़ी पहले 7.5 अंक या अधिक स्कोर करता है वह मैच जीत जाता है। यदि 14 गेम के बाद स्कोर बराबर होता है, तो विजेता का फैसला टाईब्रेक से किया जाता है।
गुकेश को जीत के लिये ड्रॉ की ही जरूरत थी और उन्होंने नाकामुरा के खिलाफ कोई गलती नहीं की और सावधानी पूर्वक खेलकर मैच को ड्रॉ कराया। दोनों का मुकाबला 71 चालों के बाद ड्रॉ पर छूटा। दूसरी ओर कारुआना और नेपोमनियाच्ची का मैच चल रहा था। हालांकि, उनकी बाजी भी ड्रॉ रही। अगर दोनों में से कोई जीतता तो गुकेश को विजेता के साथ टाईब्रेकर खेलना पड़ता।
वह टाईब्रेकर की भी तैयारी कर रहे थे। उन्होंने कहा, ‘मैं टाईब्रेकर की तैयारी कर रहा था। मैं अपने ट्रेनर से बात कर रहा था, लेकिन जैसे ही बातचीत शुरू हुई हमें पता चला कि अब इसकी जरूरत नहीं है।’ भाग्य गुकेश पर मेहरबान था, क्योंकि कारुआना और नेपोमनियाच्ची ने ड्रॉ खेला और गुकेश सबसे ज्यादा नौ अंक लेकर शीर्ष पर आ गए और टूर्नामेंट अपने नाम किया।