World Homeopathy Day : इस दिन को मनाने का क्या है उद्देश्य ?
होम्योपैथी का नाम सुनते ही दिमाग में आता है कि यह एक ऐसी चिकित्सा प्रणाली है, जो शरीर खुद को ठीक कर सकता है। होम्योपैथी दवाओं द्वारा काफी सालों से बीमारियों का उपचार किया जा रहा है, लेकिन कोरोना के बाद से लोग उपचार को और ज्यादा अपना रहे हैं। इसकी एक वजह यह है कि इसमें किसी तरह के साइड इफेक्ट की संभावना कम होती है। दुनियाभर में किसी बीमारी के इलाज के लिए एलोपैथी, होम्योपैथी, आयुर्वेद, नेचुरोपैथी ये चार तरह की चिकित्सा पद्धति अपनाई जाती है। 1700 के अंत में जर्मनी में इस चिकित्सा को विकसित किया गया था, जिसे आज भी कई यूरोपीय देश देखा जा सकता हैं। भारत में भी होम्योपैथी दवाओं से कई लोगों को बीमारियों को ठीक करने में मदद मिली है।
10 अप्रैल को ही क्यों मनाने का क्या उद्देश्य है ?
हर साल 10 अप्रैल को वैश्विक स्तर पर विश्व होम्योपैथी दिवस मनाने का उद्देश्य है जर्मन चिकित्सक और होम्योपैथी के संस्थापक जनक डॉ. क्रिश्चियन फ्रेडरिक सैमुअल हैनिमैन के योगदान और उपलब्धियों को याद करना है। यह एक विशेष दिन है जिसे यह दिन होम्योपैथी के संस्थापक डॉ. सैमुअल हैनिमैन की जयंती के रूप में भी मनाया जाता है। इसलिए वैश्विक स्तर पर 10 अप्रैल को विश्व होम्योपैथी दिवस मनाया जाने लगा।
विश्व होम्योपैथी दिवस का इतिहास
बता दें कि होम्योपैथी के संस्थापक और जर्मन चिकित्सक डॉ. क्रिश्चियन फ्रेडरिक सैमुअल हैनिमैन का जन्म 10 अप्रैल 1755 में हुआ था। जो कि एक प्रशंसनीय वैज्ञानिक थे जिन्हें होम्योपैथी की खोज करने का श्रेय दिया गया। उन्होंने 2 जुलाई, 1843 को अपनी मृत्यु तक अपना पूरा जीवन होम्योपैथी के विकास के लिए समर्पित कर दिया था। ऐसे में उनके सम्मान में ही हर साल यह दिवस मनाया जाता है। इस दिन को विश्व स्तर पर मनाने का मकसद लोगों को होम्योपैथी के बारे में जागरुक करना है। पहली बार इसे साल 2005 में मनाया गया था। होम्योपैथी को बिना कोई साइड इफेक्ट वाला उपचार माना जाता है।
विश्व होम्योपैथी दिवस 2024 की थीम
इस दिन को एक खास थीम के साथ सेलिब्रेट किया जाता है। साल 2024 के लिए थीम है- “होम्योपरिवार: एक स्वास्थ्य, एक परिवार” (Homeoparivar: One Health, One Family) साल 2023 में इसकी थीम – ‘होम्योपैथी: पीपल्स च्वॉइस फॉर वेलनेस’ थी ।