October 14, 2024

कांगेर घाटी लैंडस्केप आधारित पुनर्स्थापना योजना पर आयोजित हुई कार्यशाला…

0

जगदलपुर : कांगेर घाटी लैंडस्केप आधारित पुनर्स्थापना योजना के लिए कार्यशाला आयोजन किया गया, जिसमें विभिन्न विभाग के अधिकारी, समुदाय के सदस्य और नागरिक सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधि उपस्थित रहे।  इस संवाद सह कार्यशाला में कांगेर घाटी और उसके आसपास के वन क्षेत्र में आबादी वृद्धि से प्राकृतिक संसाधनों पर बढ़ते दबाव, जैसे रासायनिक खेती का प्रभाव, वनोपज संग्रहण, बढ़ती संसाधनों पर निर्भरता और किस प्रकार से बाहरी क्षेत्रों में ही प्राकृतिक संसाधनों को पुनर्जीवित करते हुए दबाव को रोकने सम्बन्धी विस्तृत चर्चा हुई।

200 से अधिक गांव हैं शामिल


कार्यशाला में ग्रामीणों की क्या जरूरत है और संसाधनों का वर्तमान में उपयोग करते हुए भावी पीढ़ी के लिए इस स्थिति में प्राकृतिक संसाधनों की उपलब्धता कैसे सुनिश्चित करना जरूरी है इस संबंध में भी समुदाय के सदस्यों ने अपने विचार रखे।  इस कार्यक्रम में अलग-अलग स्तर पर कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसमें योजना के बारे में विस्तार से बताया गया। इसके बाद समूह गतिविधि कराया गया । जिसमें कामनलैंड फाउंडेशन से शेखर कोलीपका के द्वारा खेल गतिविधि के माध्यम से  समुदाय के सदस्यों व विभागीय अधिकारी एवं नागरिक तथा सामाजिक संगठन के प्रतिनिधियों को आपसी सामंजस्य कितना कठिन है और उसे कैसे बनाया जा सकता है इस संबंध में बताया।

कांगेर घाटी लैंडस्केप योजना बनाने पर दिया जोर

सामूहिक चर्चा में उद्यानिकी विभाग, पशुपालन विभाग, जिला पंचायत और कृषि विभाग के अधिकारियों द्वारा अपने विभागीय योजनाओं के बारे में अवगत कराया गया साथ ही इन योजनाओं का लाभ किस प्रकार से उक्त लैंडस्केप में हो सकता है इस संबंध में अपने विचार रखे। समुदाय के प्रतिनिधियों के द्वारा कांगेर घाटी लैंडस्केप योजना बनाने में समुदाय की क्या भूमिका हो सकती है साथ में योजना बनाने में समुदाय के सुझाव और अभिमत को सम्मिलित करने पर जोर दिया गया। सभी प्रतिभागियों  द्वारा कार्यशाला के अंत में निर्णय लिया गया कि सभी समुदाय के सदस्य अपने गांव स्तर पर जाकर ग्रामीणों के साथ बैठक लेकर  इस लैंडस्केप को पुनर्स्थापित करने हेतु ग्राम स्तर पर योजना बनाने में सहभागिता निभाएंगे।

 लगभग 1800 वर्ग किलोमीटर के भूभाग में होगा कार्य

कांगेर घाटी नेशनल पार्क के निदेशक धम्मशील गणवीर ने बताया कि इस कार्ययोजना से वर्तमान पीढ़ी के साथ -साथ भावी पीढ़ी को भी प्रकृतिक संसाधानों का कैसे लाभ मिल सके इस उद्देश्य से तैयार किया जा रहा  है। साथ ही  ग्रामीण परिस्थितियों में प्राकृतिक संसाधनों को पुनर्जीवित कर ग्रामीणों की संसाधनों पर निर्भर आवश्यकताओं को कैसे गांव में ही पूर्ति की जा सकती है, इस संबंध में कार्ययोजना बनाई जा रही है जिसमें विभिन्न विभाग, नागरिक, सामाजिक संगठन और समुदाय के साथ समन्वय स्थापित किया जा रहा है।

कार्यशाला में राष्ट्रीय उद्यान के निदेशक धम्मशील गणवीर सहित कॉमनलेंड के हरमा रेडमेकर, टाॅम डेविस, शेखर कोलिपका, दीपक सिंह, आओ हाथ बढ़ाएं के शेखर गजीर, प्रदान के प्रीतम गुप्ता, अनएक्सप्लोर्ड बस्तर के जीत सिंह आर्य, इनरूट बस्तर के मोहित भंजदेव और  कृषि, उद्यानिकी, पशुपालन, वन विभाग के अधिकारी-कर्मचारी तथा समुदाय के सदस्य एवं इको विकास समिति के सदस्य उपस्थित थे ।

_Advertisement_
_Advertisement_

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

इन्हें भी पढ़े