जीवन की शुरुआत और अंत को देखने वाला पहला और आखिरी व्यक्ति बनाना वास्तव में एक बड़ा आशीर्वाद है : डॉ. अनिल कुमार श्रीवास्तव…
अंतर्राष्ट्रीय नर्सिंग दिवस : “नर्स नवजात शिशु की आंखें खोलती है और मरते हुए आदमी की आंखें धीरे से बंद कर देती है । जीवन की शुरुआत और अंत को देखने वाला पहला और आखिरी व्यक्ति बनाना वास्तव में एक बड़ा आशीर्वाद है ।”
12 मई फ्लोरेंस नाइटिंगेल का जन्मदिन है जिसे हम अंतर्राष्ट्रीय नर्स दिवस के रूप में मनाते हैं । फ्लोरेंस नाइटिंगेल ब्रिटेन की एक सुशिक्षित महिला, आधुनिक नर्सिंग की संस्थापक हैं । नाइटिंगेल ने नर्स बनकर सामाजिक मानदंडों – और अपने धनी माता-पिता – को चुनौती दी । उस समय, जनता ने महिलाओं द्वारा अजनबियों की देखभाल करने के विचार पर आपत्ति जताई थी । लेकिन नाइटिंगेल ने नर्सिंग को महिलाओं के लिए एक असाधारण अवसर के रूप में देखा । उनका मानना था कि वे अपनी शिक्षा और वैज्ञानिक ज्ञान का उपयोग व्यक्तिगत स्वतंत्रता प्राप्त करते हुए रोगी की देखभाल में सुधार के लिए कर सकती हैं ।
नर्स हमारी स्वास्थ्य प्रणाली की रीढ़ का हिस्सा हैं
नर्सिंग 150 से ज़्यादा सालों से उच्च मानकों और सार्वजनिक सेवा की मज़बूत भावना वाला पेशा रहा है । नर्सें हमारे सभी पेशों में सबसे सम्मानित हैं। ऐसे बहुत कम नागरिक होंगे जिनके जीवन में नर्सों द्वारा दिन के हर घंटे, साल के हर दिन दी जाने वाली देखभाल और आश्वासन का असर न हुआ हो । नर्सें हमारी स्वास्थ्य प्रणाली की रीढ़ का हिस्सा हैं । कोविड-19 के समय नर्सों ने अपने एवं अपने परिवार की चिंता न करते हुए मरीजों के प्रति अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन किया एवं अनेक लोगो को मृत्यु के मुंह से बहार निकाला । यह सदैव स्मरणीय एवं वन्दनीय रहेगा ।
समाज में शिक्षा और स्वास्थ्य का विशेष महत्व है । नर्सिंग केवल इन दोनों का मिश्रण नहीं है, यह शिक्षा, स्वास्थ्य और सेवा भावना का समिश्रण है । नर्सिंग पेशे के रूप में दृढ़ संकल्प, करुणा और लोगों की सेवा करने की गहरी प्रतिबद्धता की आवश्यकता होती है । नर्सों का पेशा दूसरों से अलग है क्योंकि उनमें तकनीकी कौशल और मानवीय स्पर्श का अनोखा मिश्रण होता है । उनका समर्पण, करुणा और सेवा भावना सचमुच प्रेरणादायक है, यही
नर्स होना कितने गर्व की बात है
हमारी इन बहनों को याद रखना चाहिए कि जो लोग उनके पास आते हैं वे अक्सर दुखी, परेशान और बीमारी से पीड़ित होते हैं । उन्हें धैर्य, मुस्कुराहट और शांति के साथ उनका स्वागत करना चाहिए । उन्हें हमेशा अपने ज्ञान और कौशल को विकसित करने का प्रयास करना चाहिए ताकि वे अपनी जिम्मेदारियों को बेहतर तरीके से निभा सकें । नर्सों के लिए सेवा शर्ते, सुविधाएँ एवं वेतन (विशेषकर निजी चिकित्सालयों में) उनके कार्य, जिम्मेदारी के अनुरूप नहीं है। यही कारण है की कुछ लोग इसे शौक या इच्छा के लिए नहीं बल्कि मज़बूरी में करते है । शासन, प्रशासन एवं चिकित्सालयों के प्रबंधन को इस पर ध्यान देने एवं कारगर कदम उठाने की आवश्यकता है । साथ ही नर्सिंग शिक्षा की गुणवत्ता में किसी भी प्रकार की समझौता या लापरवाही न हो इसका भी ध्यान जिम्मेदार लोगो को रखना होगा ।
“नर्स होने का मतलब है अपने सारे आँसू रोकना और लोगों के चेहरों पर मुस्कान लाना शुरू करना ।”
डॉ. अनिल कुमार श्रीवास्तव
निदेशक – रविशंकर इंस्टीट्यूट ऑफ़ नर्सिंग