बिहार राज्य के जन-नायक पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर को दिया जाएगा देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न….
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर को देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न दिया जाएगा। कर्पूरी ठाकुर की पहचान स्वतंत्रता सेनानी, शिक्षक और राजनीतिज्ञ के रूप में रही है। वह बिहार के दूसरे उपमुख्यमंत्री और दो बार मुख्यमंत्री रहे थे। लोकप्रियता के कारण उन्हें जन-नायक कहा जाता था।
जानिए कौन थे कर्पूरी ठाकुर?
कर्पूरी ठाकुर को बिहार की सियासत में सामाजिक न्याय की अलख जगाने वाला नेता माना जाता है। कर्पूरी ठाकुर साधारण नाई परिवार में जन्मे थे। साथ ही पूरी जिंदगी उन्होंने कांग्रेस विरोधी राजनीति की और अपना सियासी मुकाम हासिल किया। यहां तक कि आपातकाल के दौरान तमाम कोशिशों के बावजूद इंदिरा गांधी उन्हें गिरफ्तार नहीं करवा सकी थीं।
जीवनी
कर्पूरी ठाकुर का जन्म भारत में ब्रिटिश शासन काल के दौरान समस्तीपुर के एक गांव पितौंझिया, जिसे अब कर्पूरीग्राम कहा जाता है, जहां की नाई जाति में हुआ था। जननायक के पिता का नाम गोकुल ठाकुर तथा माता का नाम रामदुलारी देवी था। इनके पिता गांव के सीमांत किसान थे तथा अपने पारंपरिक पेशा बाल काटने का काम करते थे। कर्पूरी ठाकुर (24 जनवरी 1924 – 17 फरवरी 1988) भारत के स्वतंत्रता सेनानी, शिक्षक, राजनीतिज्ञ तथा बिहार राज्य के दूसरे उपमुख्यमंत्री तथा दो बार मुख्यमंत्री थे। पिछड़े और दलितों के नेता लोकप्रियता के कारण उन्हें ‘जननायक’ कहा जाता था। वह 22 दिसंबर 1970 से 2 जून 1971 तथा 24 जून 1977 से 21 अप्रैल 1979 के दौरान दो बार बिहार के मुख्यमंत्री पद पर रहे। 26 जनवरी, 2024 को उन्हें मरणोपरांत भारत सरकार द्वारा भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान, भारत रत्न से सम्मानित किया जाएगा।
उनका प्रसिद्ध नारा था-
सो में नब्बे शोषित हैं,शोषितों ने ललकारा है।
धन, धरती और राजपाट में नब्बे भाग हमारा है ।
निधन
कर्पूरी ठाकुर का निधन 64 साल की उम्र में 17 फरवरी, 1988 को दिल का दौरा पड़ने से हुआ था।
कर्पूरी ठाकुर से जुड़ी अहम बातें
24 जनवरी 1924 को समस्तीपुर में जन्मे कर्पूरी ठाकुर दो बार बिहार के सीएम रहे पर एक भी बार अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए।
कर्पूरी ठाकुर जब मुख्यमंत्री बने तो बिहार में पिछड़े वर्गों के लिए मुंगेरी लाल आयोग की अनुशंसा लागू कर आरक्षण का रास्ता खोल दिया। उन्हें अपनी सरकार की कुर्बानी देनी पड़ी, लेकिन जननायक अपने संकल्प से विचलित नहीं हुए।
कर्पूरी ने ही बिहार बोर्ड की मैट्रिक परीक्षा में अंग्रेजी पास करने की अनिवार्यता को खत्म किया। उन्होंने ही सबसे पहले बिहार में शराबबंदी लागू की। सरकार गिरने पर राज्य में फिर से शराब के व्यवसाय को मान्यता मिल गई।
24 जनवरी को कर्पूरी ठाकुर की 100वीं जयंती है। केंद्र सरकार ने 100वीं जयंती पर जननायक कर्पूरी ठाकुर को मरणोपरांत भारत रत्न देने का ऐलान किया है। दलितों के उत्थान के लिए अटूट प्रतिबद्धता और उनके दूरदर्शी नेतृत्व ने भारत पर अमित छाप छोड़ी है