December 8, 2024

अपनी डेली रूटीन में बदलाव करके मानसिक रूप से करे खुद को मजबूत…

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शारीरिक के साथ – साथ मानसिक रूप से स्ट्रॉन्ग होना भी जरूरी है जिसमे अपने रोज की कुछ आदतों में बदलाव करके मानसिक तौर पर स्वस्थ रह सकते है। अगर आप भी रोज की आपाधापी से थका और ऊबा हुआ अनुभव करते हैं, तो आप अकेले नहीं हैं। इस भागमभाग भरी जिंदगी में बहुत से लोगों को इस तरह की स्थिति का सामना करना पड़ता है। अक्सर लोग खुद को मानसिक रूप से कमजोर अनुभव करने लगते हैं।

लेकिन, रोजाना की छोटी-छोटी आदतो में बदलाव करके इस समस्या से निजात पा सकते हैं।  जिन्हें अपनाकर आप मानसिक रूप से मजबूत अनुभव कर सकते हैं। मानसिक स्वास्थ्य और व्यवहार विज्ञान के प्रमुख मनोचिकित्सक के अनुसार से किन आदतों को शामिल करने से आप मेंटली स्ट्रॉन्ग हो सकते हैं।


आभार जताना और धन्यवाद करना सीखें

अधिकतर लोगों में आदत होती है जीवन की नकारात्मकता पर ध्यान देने की। इससे बचना जरुरी है। जीवन में जो कुछ भी मिला है, उसके लिए आभार जताना और धन्यवाद करना सीखिए। हर रात जब आप सोने जाते हैं, उस समय दिनभर की अच्छी बातों को याद कीजिए और अपने मन में उन सभी का धन्यवाद कीजिए, जिनके कारण आपको वो अच्छे पल मिले। हर सुबह के लिए ईश्वर का आभार व्यक्त करना कि आपको एक नई सुबह मिली है।

कंफर्ट जोन से बाहर निकलना भी है जरुरी

जीवन में कंफर्ट जोन का होना भी निराशा में बहुत बड़ा योगदान देता है। कंफर्ट जोन में बने रहकर करने के कारण ही कुछ नया नहीं कर पाते साथ ही मन में यह डर बना रहता है कि अभी जो है, कहीं वह भी न चला जाए। यह कंफर्ट जोन किसी के भी विकास में बाधक है। कंफर्ट जोन से बाहर निककर खुद पर भरोसा कीजिए और हिम्मत के साथ कदम आगे बढ़ाने से मानसिक संतुष्टि का अनुभव होता है।

खुद के लिए समय निकालिए

जीवन में हमारे सबसे करीब हम ही होते हैं, लेकिन आश्चर्य की बात है कि हम स्वयं के साथ ही सबसे कम समय बिताते हैं। यह सही नहीं है। रोज थोड़ा सा समय खुद को दीजिए और अपने मन में आने वाले विचारों पर मंथन कीजिए। खुद से एक अच्छे दोस्त की तरह बात कीजिए। हर बात के लिए खुद को कोसना बंद कीजिए। ऐसा करने से न केवल आपका आत्मविश्वास बढ़ेगा, बल्कि आप मानसिक रूप से बहुत मजबूत भी अनुभव करेंगे।

अपनी ताकत पर रखे विश्वास

आपकी क्षमता या कमजोरी को आपसे बेहतर कोई नहीं समझ सकता है। इसके लिए स्वयं के साथ ईमानदार होने की आवश्यकता होती है। न तो किसी के कहने भर से कुछ नया शुरू करना चाहिए और न ही किसी के कहने से कोई काम छोड़ देना चाहिए। आपको अपनी ताकत का आकलन पूरी ईमानदारी से करना चाहिए। उसके बाद ही निर्णय लेना चाहिए। एक बार अगर आप अपनी ताकत पहचान गए, तो कुछ भी मुश्किल नहीं रह जाएगा।

अपने भावनात्मक व्यक्तित्व को समझिए और उसे ध्यान में रखकर निर्णय लीजिए। हम लोग अक्सर अपनी भावनाओं की अनदेखी कर देते हैं। इससे दूसरों को हम पर हावी होने का मौका मिल जाता है। किसी को भी ऐसा मौका मत दीजिए। साथ ही, अपनी मानसिक ऊर्जा का सकारात्मक तरीके से प्रयोग कीजिए। इन छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखकर और इन्हें अपनी आदत का हिस्सा बनाकर आप खुद को मानसिक रूप से सुदृढ़ व्यक्ति के रूप में तैयार कर सकते हैं।

योग और मेडिटेशन को डेली रूटीन में करे शामिल

अगर आप ख़ुद पर विश्वास रखें तो शारीरिक और मानसिक रूप से मज़बूत बन सकते हैं। आत्मविश्वास ख़ुद को प्रेरित करने में मदद करता है और इसका सकारात्मक असर होता है। इससे एपिनेफ्राइन, एड्रिनालिन और नोराएड्रिनालिन हार्मोन के स्तर में भारी इजाफा होता है, जो ताक़त का अहसास बढ़ाने के लिए जाने जाते हैं। अगर पूरे आत्मविश्वास के साथ करसत करें तो मांसपेशियों की ताक़त काफ़ी ज़्यादा बढ़ाई जा सकती है। एथलीटों की ताक़त का असली राज़ यही है।

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