‘सिंघम अगेन’ मूवी रिव्यु : अजय देवगन की फिल्म सिंघम अगेन का 13 साल पहले बोया गया यह बीज बन चुका है पूरा वटवृक्ष…
‘सिंघम अगेन’ मूवी रिव्यु : डायरेक्टर रोहित शेट्टी ने हिंदी सिनेमा को एक से बढ़कर एक मूवी दिया है, जो एक्शन से भरपूर रहता है ऐसी ही फिल्म साल 2011 में कड़क उसूलों का पक्का पुलिसवाला दिया था, जो मिसाल बन गया। हालांकि, रोहित की यह ‘सिंघम’ असल में साउथ की इसी नाम की फिल्म से प्रेरित थी, लेकिन एक्टर अजय देवगन ने खुद को खाकी वर्दी में ऐसा उतारा कि वह आइकॉनिक बन गया। यही वजह रही कि ‘सिंघम’ की सफलता को देखते हुए रोहित शेट्टी ने एक पूरा ‘कॉप यूनिवर्स’ खड़ा कर दिया। वहीं, अब उनकी नई फिल्म ‘सिंघम अगेन’ के साथ 13 साल पहले बोया गया यह बीज पूरा वटवृक्ष बन चुका है, जिसमें सिम्बा (रणवीर सिंह), सूर्यवंशी (अक्षय कुमार) के बाद लेडी सिंघम शक्ति शेट्टी (दीपिका पादुकोण) और सत्या (टाइगर श्रॉफ) की भी एंट्री हो चुकी है।
क्या है कहानी ‘सिंघम अगेन’ की ?
फिल्म की कहानी का आधार महाकाव्य रामायण को बनाया गया है, जिसमें सिंघम (अजय देवगन) की पत्नी, अवनि (करीना कपूर खान) को कहानी का रावण यानी जुबैर हफीज (अर्जुन कपूर) अगवा करके श्रीलंका ले जाता है। डेंजर लंका के नाम से मशहूर जुबैर आतंकवादी ओमार हफीज (जैकी श्रॉफ) का पोता है, जिसे बाजीराव सिंघम फिल्म की शुरुआत में ही अपनी गिरफ्त में ले लेता है। वह उसके बेटों को जन्नत नसीब करवा चुके हैं। जिसमे सिंघम से अपने खानदान का बदला लेना जुबैर का मकसद रहता है।
अब इस कलयुगी रामायण में राम जीतेगा या रावण? लेकिन बड़ी बात है इस जंग को लड़ने के लिए फिल्म में जमा हुए बड़े-बड़े सितारे। कहानी कश्मीर से शुरू होती है, जहां बाजीराव सिंघम आतंकी गतिविधियां रोकने के साथ यूथ को भी रिफॉर्म कर रहे हैं। यहां से कहानी मदुरै पहुंचती हैं, जहां लेडी सिंघम दीपिका पादुकोण की एंट्री होती है, और फिर रामेश्वरम में लक्ष्मण रूपी सत्या, टाइगर श्रॉफ प्रकट होते हैं। बाद में सिम्बा और वीर सूर्यवंशी भी आ मिलते हैं।
मूवी का रिव्यू
अजय देवगन जब भी पर्दे पर आते हैं, थप्पड़ पर थप्पड़ रसीद कर विलेन को सबक सिखाते हैं। वैसे, एक्शन फिल्म की जान है। पर्दे पर सुनिल रॉर्डिक्स के कोरियोग्राफ किए एक्शन सीक्वेंस आकर्षक दिखते हैं, लेकिन रोहित शेट्टी के गाड़ियां उड़ाने, चॉपर से कूदने वाले एक्शन और कलरफुल मेले या त्योहार के बीच गुंडे के पीछे स्लो मोशन में दौड़ने या जीप घुमाकर उतरने वाले वाले हीरो की एंट्री सीन दोहराव भरे हो चुके हैं। अब उनमें रोमांच या ताजगी महसूस नहीं होती। फिल्म की एक बड़ी कमजोरी कहानी के साथ-साथ रामलीला के ट्रैक को चलाना है, जिससे कहानी का फ्लो बार-बार टूटता है।
एक्टिंग की बात करें, तो सिंघम के रूप में अजय देवगन का कोई सानी नहीं है। अक्षय, दीपिका, टाइगर पर्दे पर अच्छे लगते हैं पर उनकी भूमिका एक्सटेंडेड कैमियो वाली ही है। करीना ठीकठाक लगी हैं। हां, सिम्बा के रूप में रणवीर सिंह महफिल लूट लेते हैं। वह जितनी देर स्क्रीन पर रहते हैं, खूब एंटरटेन करते हैं। अर्जुन कपूर ने विलेन के रूप में अपने किरदार के साथ ईमानदारी तो बरती है, लेकिन दर्शकों तक उनका वो खौफ पहुंच नहीं पाता। यह कमी इसलिए भी खलती है कि कहानी में उनका किरदार रावण की तर्ज पर है, ऐसे में यहां विलेन के तौर पर उनका कद और बड़ा होना चाहिए था।