जानिए अयोध्या राम मंदिर का इतिहास, मूर्ति और मंदिर की लागत की पूरी जानकारी…
राम मंदिर एक महत्वपूर्ण हिंदू मंदिर है जो वर्तमान में भारत के उत्तर प्रदेश के अयोध्या में निर्माणाधीन है। बता दे कि यह मंदिर उस स्थान पर स्थित है जिसे हिंदू धर्म के प्रमुख देवता राम का जन्मस्थान माना जाता है। पहले, इस स्थान पर बाबरी मस्जिद थी, जिसका निर्माण एक मौजूदा गैर-इस्लामी ढांचे को ध्वस्त करने के बाद किया गया था, जिसे बाद में ध्वस्त कर दिया गया था। 2019 में, भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने विवादित भूमि पर फैसला सुनाया, जिसमें कहा गया कि यह भूमि हिंदुओं की है, जो इस पर राम मंदिर का निर्माण कर सकते हैं। मुसलमानों को मस्जिद बनाने के लिए ज़मीन का एक अलग टुकड़ा दिया जाएगा। जिसमें ध्वस्त की गई बाबरी मस्जिद के नीचे एक गैर-इस्लामिक संरचना की मौजूदगी का सुझाव देने वाले सबूत दिए गए थे।
जानिए अयोध्या का इतिहास
बता दे कि आज के उत्तर प्रदेश राज्य का अयोध्या शहर पहले अवध के नाम से जाना जाता था। ये तब की कौशल प्रदेश की प्राचीन राजधानी हुआ करती थी बौद्धकाल में इसी जगह को साकेत के नाम से जाना गया । इस शहर को भगवान सूर्य के पुत्र वैवस्वतु मनु ने बसाया था । सूर्यवंशी बृहद्बल यहां के आखिरी राजा थे। जिसके बाद से अवध उजड़ने लगी । इसके बाद राजा विक्रमादित्य ने इस जगह का उद्धार किया और श्री राम की जन्मभूमि पर एक भव्य मंदिर का निर्माण कराया। 84 स्तंभों पर उन्होंने एक विशाल मंदिर का निर्माण कराया। उनके बाद के भी कई राजओं ने इस मंदिर की देखभाल की । गुप्त वंश के चन्द्रगुप्त द्वितीय के समय और उनके बाद भी काफी समय तक अयोध्या गुप्त साम्राज्य की राजधानी रही। महाकवि कालिदास ने इसका उल्लेख रघुवंश में कई बार किया है।
पानीपत की युद्ध में देश के कई धार्मिक स्थानों को छति पहुंचाई गई लेकिन 14वीं सदी तक भी अयोध्या में राम मंदिर बिल्कुल सुरक्षित था। लेकिन 1527 से 1528 के बीच मंदिर को तोड़कर बाबरी मस्जिद का ढांचा बनाया गया। इस समय तक मुगलों का साशन शुरू हो गया था। इस साशन के बाबर के एक सेनापति ने बिहार अभियान के समय इसे तुड़वाया था। बाबरनामा में इसका उल्लेख भी मिलता है।
तीन चरण में होगा राम मंदिर का निर्माण
राम मंदिर ट्रस्ट की ओर से निर्माणाधीन मंदिर की तस्वीरें लगातार जारी किया जाता रहा है । जिसमे मंदिर का फ्रंट लुक दिखाया गया था। कुछ अंदर के दृश्य भी दिखाए गए थे । मंदिर इतना भव्य बन रहा है कि वो 1000 साल तक खड़ा रहेगा राम मंदिर कई चरणों में बन रहा है। पहले चरण का काम दिसंबर 2023 तक पूरा हो जाएगा। वहीं, दूसरे चरण का काम दिसंबर 2024 और तीसरे चरण का काम दिसंबर 2025 में पूरा होगा। यानी मंदिर का फाइनल निर्माण करीब ढाई साल में पूरा कर लिया जाएगा।
जबकि गर्भ गृह और उसके आसपास नक्काशीदार बलुआ पत्थरों का उपयोग हुआ है। इसके लिए लगभग 4.70 लाख क्यूबिक फिट नक्काशी दार पत्थरों को लाया गया है। वहीं, मंदिर के प्रांगण क्षेत्र समेत कुल 8 एकड़ भूमि में एक आयताकार दो मंजिला परिक्रमा मार्ग परकोटे का भी निर्माण हो रहा है। यह भीतरी भूतल से 18 फीट ऊंचा होगी जन्मभूमि परिसर में एक राम कथा कुञ्ज की भी स्थापना होगी ।
कितने एकड़ में बन रहा राम मंदिर
अयोध्या में भगवान श्री राम के मंदिर का निर्माण 2.7 एकड़ की जमीन में हो रहा है, जिसमें 54, 700 वर्ग फुट की जमीन शामिल है और इस मंदिर का पूरा परिसर तकरीबन 70 एकड़ में फैला हुआ है। लगभग 1,20,000 स्क्वायर फीट क्षेत्र में अभी 4 परत बिछाई गईं। कुल 40-45 ऐसी ही परत बिछाई जाएंगी। मंदिर निर्माण का कार्य लगातार चल रहा है। मंदिर में इतनी जगह है कि, लाखों भक्त एक साथ भगवान श्री राम के दर्शन कर सकेंगे। इस मंदिर का निर्माण करने की जिम्मेदारी मंदिर निर्माण कमेटी के द्वारा लार्सन ऐंड टुब्रो कंपनी को दी गई है।
अयोध्या राम मंदिर विवाद पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला
सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच के द्वारा साल 2019 में एक फैसला सुनाया गया, जिसके अंतर्गत विवादित जगह को गवर्नमेंट ने एक ट्रस्ट को सौंपने के लिए कहा। इसके बाद श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट का गठन किया गया और यह जमीन इसी ट्रस्ट को सौंप दी गई। इसके पश्चात साल 2020 के मार्च महीने से राम मंदिर के निर्माण का काम चालू किया गया
आखिर 22 जनवरी का दिन ही क्यों चुना गया है
भगवान श्री राम को राम मंदिर में विराजमान करने के लिए 22 जनवरी 2024 का दिन चुना गया है। बता दें कि इस दिन रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के लिए 84 सेकेंड का अत्यंत शुभ मुहूर्त रहेगा । हिंदू कैलेंडर के अनुसार 22 जनवरी को पौष मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि है। नक्षत्र मृगशिरा व योग ब्रह्म सुबह 8 बजकर 47 मिनट तक है, इसके बाद इन्द्र योग लगेगा। ज्योतिषियों के अनुसार 22 जनवरी को कर्म द्वादशी है। यह द्वादशी तिथि भगवान विष्णु को समर्पित है। इस दिन भगवान विष्णु ने कछुए का रूप धारण किया था। धर्म ग्रंथों के अनुसार इसी दिन भगवान विष्णु ने कछुए का अवतार लेकर समुद्र मंथन में सहायता की थी। भगवान श्री राम भगवान विष्णु के अवतार हैं, इसलिए इस दिन को राम मंदिर के उद्घाटन के लिए बेहद शुभ माना गया है और इसी दिन को चुना गया है।
टाइम कैप्सूल का भी किया गया है उपयोग
बता दे कि की राम मंदिर के निर्माण के समय में एक टाइम कैप्सूल भी लगाया गया है । जिसे विशेष प्रकार के तांबे (कॉपर) से बनाया जा रहा है और इसकी लंबाई करीब तीन फुट है । इसमें मौजूद सभी दस्तावेज पूरी तरह से सुरक्षित होंगे। टाइम कैप्सूल एक कंटेनर की तरह होता है। ये एक ऐसा डिवाइस होता है जिसकी मदद से आप वर्तमान दुनिया से जुड़ी सारी जानकारी आने वाले भविष्य में निकाल सकते हैं। इसमें 100 साल से भी ज्यादा पुराना डाटा रिकॉर्ड किया जाता है। लेकिन इसे ऐसी जगह दबाना होता है ताकि जब जमीन में खुदाई हो तो आसानी से उसे निकाला जा सके। आपको बता दें कि ये लंबा और बेलनाकार का होता है। इससे इसे जमीन में दबाने में आसानी होती है, इसलिए राम मंदिर के निर्माण की शुरुआत में ही इसे नींव में 200 फीट नीचे डाला गया है।
और कहाँ-कहाँ लगाया गया है टाइम कैप्सूल
अयोध्या का राम मंदिर पहला ऐसा स्थान नहीं है जहां इस कैप्सूल को दबाया गया है। इससे पहले भी देश के कई सारे ऐसे मशहूर जगहें हैं जहां इसे लगाया गया है। जिसमे से लाल किला, कानपुर का आईआईटी कॉलेज जैसे अन्य जगहें शामिल हैं। यहां पर भी इसे इसलिए दबाया गया है ताकि इतिहास का जानकारी जानी जा सके।
राम मंदिर निर्माण की अनुमानित लागत
राम मंदिर को जिस प्रकार से निर्माण किया जा रहा उसके लिए जो पैसा लग रहा है, उसे बजरंग दल, विश्व हिंदू परिषद और दुर्गा वाहिनी के द्वारा देश के करोड़ों हिंदुओं से दान के तौर पर इकट्ठा किया गया है। मंदिर के लिए जो भी पैसा जनता ने दिया है, उसका सारा लेखा-जोखा राम मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष ”चंपत राय” के पास मौजूद है। अयोध्या राम मंदिर में भगवान राम के अलावा माता सीता, लक्ष्मण जी और हनुमान जी की सोने की मूर्तियां लगाई जाएगी। अयोध्या में निर्मित हो रहे विशाल राम मंदिर के निर्माण में 1800 करोड रुपए खर्च होने का अनुमान लगाया गया है। मंदिर निर्माण के लिए जो कमेटी बनाई गई है, उस कमेटी के द्वारा इस जानकारी को प्रस्तुत किया गया है।
भव्य राम मंदिर में राम के मूर्ति किसके द्वारा बनाया गया है
राम मंदिर में विराजित होने वाली मूर्ति को कर्नाटक के प्रसिद्ध मूर्तिकार अरुण योगीराज द्वारा बनाई गई है, यही मूर्ति भव्य राम मंदिर की शोभा बढ़ाएगी । कर्नाटक के अरुण योगीराज की मूर्ति का चुनाव कर लियांग्य हैं 37 वर्षीय अरुण योगी राज केदारनाथ में आदि शंकराचार्य की 12 फीट ऊंची प्रतिमा बनाई थी जिसके बाद अरुण योगीराज चर्चा में आए। मूर्ति 51 इंच की है, काले पत्थर की है, और बहुत ही आकर्षक बनी है लंबाई (पूर्व से पश्चिम) 380 फीट, चौड़ाई 250 फीट तथा ऊंचाई 161 फीट होगी और यह सब बिना किसी लोहे के हो रहा है।
कई सालों तक विवादों में रहने वाला अयोध्या मंदिर अब आखिरकार 22 जनवरी 2024 को इसका भव्य रूप से उद्घाटन किया जाएगा। मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास के अनुसार 15 से 24 जनवरी के बीच पूजा अनुष्ठान किया जाएगा। उद्घाटन के दिन स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पधारेंगे और उसी दिन रामलाल की प्राण प्रतिष्ठा होगी । 24 जनवरी से आम लोगों के लिए अयोध्या के इस नए भव्य मंदिर का द्वार खोल दिया जाएगा ।