भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था 2026 तक हो जाएगी 20 प्रतिशत…

मुंबई। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास के द्वारा जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था 2026 तक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 20 प्रतिशत हो जाएगी। जो कि वर्तमान में जीडीपी का 10 प्रतिशत है। गवर्नर ने 2023-24 के लिए मुद्रा और वित्त (आरबीएफ) पर रिपोर्ट की प्रस्तावना में इस बात पर जोर दिया कि वित्तीय क्षेत्र में डिजिटलीकरण से अगली पीढ़ी की बैंकिंग का रास्ता खुल रहा है। उन्होंने कहा कि इससे सस्ती लागत पर वित्तीय सेवाओं तक पहुंच बेहतर हो रही है। उन्होंने कहा कि ये सभी नवाचार वित्तीय बाजारों को अधिक कुशल और एकीकृत बना रहे हैं।
तीन वर्षों में इंटरनेट यूजर की संख्या में 19.9 करोड़ की वृद्धि हुई
भारत डिजिटल क्रांति में सबसे आगे है। देश ने न केवल डिजिटल भुगतान में तेजी लाकर वित्तीय प्रौद्योगिकी (फिनटेक) को अपनाया है, बल्कि बायोमीट्रिक पहचान, यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई), मोबाइल कनेक्टिविटी, डिजिटल लाकर और सहमति के आधार डाटा भी साझा कर रहे हैं। 2023 में भारत में इंटरनेट की पहुंच 55 प्रतिशत थी, लेकिन हाल के तीन वर्षों में इंटरनेट यूजर की संख्या में 19.9 करोड़ की वृद्धि हुई है। भारत में प्रति गीगाबाइट (जीबी) डेटा की कीमत दुनियाभर में सबसे कम है। यह औसतन 13.32 रुपये प्रति जीबी है।
आरबीआई 90 सालों की यात्रा के बारे में लोगों को बताने के लिए पांच एपिसोड की वेब सीरीज लाने की योजना बना रहा है। यह वेब सीरीज लगभग तीन घंटे की होगी, जिसमें प्रत्येक एपीसोड 25-30 मिनट के होंगे। 1935 में स्थापित आरबीआइ ने इस साल अप्रैल में 90 साल पूरे किए हैं। आरबीआई के 90 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में ई-टेंडरिंग के माध्यम से बोलियां आमंत्रित करने वाले दस्तावेज में कहा गया है, ‘बैंक लगभग 25-30 मिनट के पांच एपिसोड की एक वेब सीरीज बनाने का इच्छुक है, जिसे राष्ट्रीय टीवी चैनलों या ओटीटी प्लेटफार्म पर प्रसारित किया जाएगा। पांच-एपिसोड की यह सीरीज अर्थव्यवस्था में केंद्रीय बैंक की महत्वपूर्ण भूमिका के बारे में लोगों की समझ बढ़ाने का काम करेगी।’
भारत डिजिटल क्रांति के मामले में है सबसे आगे
देश ने डिजिटल भुगतान में तेजी लाकर न केवल वित्तीय प्रौद्योगिकी (फिनटेक) को अपनाया है, बल्कि बायोमेट्रिक पहचान, यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई), मोबाइल कनेक्टिविटी, डिजिटल लॉकर और सहमति-आधारित डेटा साझाकरण के मामले में भी उपलब्धि हासिल की है। डिजिटल क्रांति से बैंकिंग ढांचे और सार्वजनिक वित्त प्रबंधन प्रणालियों को बढ़ावा मिल रहा है जो प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण और कर संग्रह दोनों में मदद करते करते हैं।
जीवंत ई-बाजार उभर रहे हैं और अपनी पहुंच का विस्तार कर रहे हैं। यह अनुमान लगाया गया है कि डिजिटल अर्थव्यवस्था वर्तमान में भारत के सकल घरेलू उत्पाद का दसवां हिस्सा है; पिछले एक दशक में देखी गई वृद्धि दर को देखते हुए, यह 2026 तक जीडीपी का पांचवां हिस्सा बनने के लिए तैयार है। इस क्रांति को सक्रिय करने के लिए अनेक सबल शक्तियां एक साथ आ गई हैं। हालांकि 2023 में भारत में इंटरनेट की पहुंच 55 प्रतिशत थी, लेकिन हाल के तीन वर्षों में इंटरनेट उपयोगकर्ता आधार में 199 मिलियन की वृद्धि हुई है।
भारत में प्रति जीबी डेटा खपत की लागत वैश्विक स्तर पर सबसे कम 13.32 रुपये (0.16 डॉलर) प्रति जीबी के औसत के साथ है। भारत 2023 में प्रति उपयोगकर्ता प्रति माह औसतन 24.1 जीबी की खपत के साथ दुनिया में सबसे अधिक मोबाइल डेटा खपत वाले देशों में एक है। आरबीआई गवर्नर ने यह भी कहा कि यूपीआई ने अंतिम उपयोगकर्ताओं के लिए खुदरा भुगतान अनुभव मामले में क्रांति ला दी है, जिससे लेनदेन तेज और अधिक सुविधाजनक हो गया है। डिजिटल मुद्रा क्षेत्र में, भारतीय रिजर्व बैंक ई-रुपया, केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (सीबीडीसी) के पायलट रन के साथ सबसे आगे है। डिजिटल लेंडिंग इकोसिस्टम ओपन क्रेडिट एनेबलमेंट नेटवर्क, ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स और फ्रिक्शनलेस क्रेडिट के लिए पब्लिक टेक प्लेटफॉर्म जैसी पहलों के साथ जीवंत होता जा रहा है।
वित्तीय डिजिटलीकरण की पूरी क्षमता के दोहन की आवश्यकता
फिनटेक बैंक और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) के साथ ऋण सेवा प्रदाताओं के रूप में सहयोग कर रहे हैं। वे डिजिटल क्रेडिट की सुविधा के लिए प्लेटफॉर्म भी संचालित कर रहे हैं। बिगटेक तीसरे पक्ष के सेवा प्रदाताओं के रूप में भुगतान ऐप और ऋण उत्पादों को समर्थन प्रदान कर रहे हैं। डिजिटलीकरण अगली पीढ़ी की बैंकिंग का मार्ग प्रशस्त कर रहा है। यह सस्ती लागत पर वित्तीय सेवाओं तक पहुंच में सुधार; और लागत प्रभावी तरीके से लाभार्थियों को लक्षित करके प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण के प्रभाव को बढ़ा रहा है। साथ ही कहा कि खुदरा क्षेत्र में ऋण को ऑनलाइन भुगतान और तत्काल वितरण के साथ नए क्रेडिट मूल्यांकन मॉडल द्वारा सक्षम किया जा रहा है।
साथ ही, एम्बेडेड फाइनेंस के माध्यम से ई-कॉमर्स को बढ़ावा दिया जा रहा है। गवर्नर ने कहा, “ये सभी नवाचार वित्तीय बाजारों को अधिक कुशल और एकीकृत बना रहे हैं।” दास ने कहा कि डिजिटलीकरण साइबर सुरक्षा, डेटा गोपनीयता, डेटा पूर्वाग्रह, विक्रेता और तीसरे पक्ष के जोखिम और ग्राहक संरक्षण से संबंधित चुनौतियां भी पेश करता है।”
‘भारत की डिजिटल क्रांति’ विषय पर रिपोर्ट में कहा गया है कि डिजिटलीकरण वित्तीय संस्थानों के संचालन और अपने ग्राहकों के साथ बातचीत करने और वित्तीय उत्पाद और सेवाएं प्रदान करने के तरीके को बदलकर भारत के वित्तीय क्षेत्र को बदल रहा है। कई लाभों के बीच, डिजिटलीकरण जटिल वित्तीय उत्पादों, अधिक परस्पर संबंध, साइबर सुरक्षा जोखिम, वित्तीय धोखाधड़ी और ग्राहक सुरक्षा के संदर्भ में नई चुनौतियां भी लाता है। वित्तीय डिजिटलीकरण की पूरी क्षमता का दोहन करने के लिए इन मुद्दों को संबोधित करने की आवश्यकता है। केंद्रीय बैंक ने कहा कि रिपोर्ट योगदानकर्ताओं के विचारों को दर्शाती है, न कि रिजर्व बैंक की।