इंपेला डिवाइस : हार्ट से जुड़ी बीमारियों के इलाज करने के लिए नई तकनीक…
इंपेला डिवाइस : हार्ट से जुड़ी बीमारियों के इलाज को लेकर नए-नए तरीके अपनाए जा रहे हैं। इसी में से एक है सूक्ष्म पंप इम्पेला । यह पंप बेहद कारगर साबित हो रहा है। हार्ट से जुड़ी सर्जरी के वक्त इम्पेला रक्त की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करता है । इस सूक्ष्म उपकरण के जरिए हाल ही में मुंबई में मैसिव हार्ट अटैक के एक मरीज की जान बचाई जा सकी है । हार्ट से जुड़ी बीमारियों के इलाज करने के लिए नई तकनीक जो हार्ट को बैकअप देता है इम्पेला ।
बता दे कि यह एक छोटा सा पंप होता है, दिल की बीमारियों से जूझ रहे मरीजों के जीवन को बचा सकता है, यूनाइटेड स्टेट्स फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन ने हाल ही में अपने पोस्ट-अप्रूवल स्टडी में कहा है। यह उपकरण दिल की बीमारियों के इलाज के तरीके में बड़े बदलाव ला सकता है और हाल ही में भारत के कई अस्पतालों में इसका इस्तेमाल किया गया है ।
इम्पेला देता है हार्ट को बैकअप
बता दें कि जिस प्रकार इन्वेटर लाइट जाने पर स्पलाई जारी रखता है। उसी प्रकार इम्पेला भी जब हार्ट का ऑपरेशन होता है उस दौरान हार्ट को बैकअप देता रहता है। जिससे शरीर के सभी अंग काम करते रहते है। ताकि उस समय आराम से ऑपरेशन किया जा सके। इस टेक्निक से वैसे तो देशभर में कई ऑपरेशन हो चुके हैं। लेकिन सरकारी संस्थान में ये ऑपरेशन पहली बार छत्तीसगढ़ के रायपुर में हुआ है।
हृदय में एक बार स्थापित होने के बाद, इम्पेला हृदय पंप चालू हो जाता है, जो बाएं वेंट्रिकल से रक्त खींचता है और इसे महाधमनी में छोड़ता है। बाएं वेंट्रिकल की यह सक्रिय ‘अनलोडिंग’ मस्तिष्क और अन्य महत्वपूर्ण अंगों में रक्त के प्रवाह को बढ़ाती है और मरीजों के दिल को आराम देते हुए किडनी को गंभीर चोट से बचाती है।
भारत में हो रहा इम्पेला का उपयोग
इम्पेला डिवाइस से मुंबई के एक 68 वर्षीय व्यक्ति की जान बचाई गई, जिसे तीन कार्डियक अरेस्ट का सामना करना पड़ा था । इसी साल जुलाई में चंडीगढ़ के पीजीआई के एडवांस्ड कार्डिएक सेंटर में इसका इस्तेमाल 90 साल के एक बुजुर्ग इंसान पर किया गया था, जिनका ओपन हार्ट सर्जरी करना काफी जोखिम भरा हो सकता था ।
छत्तीसगढ़ के एक सरकारी अस्पताल के डॉक्टरों ने वह कर दिखाया जो अच्छे, अच्छों के बस की बात नहीं है। उन्होंने इम्पेला टेक्निक से हार्ट पेशेंट की 100 प्रतिशत ब्लॉक नसों को खोलकर उन्हें नया जीवनदान दिया। प्रोसीजर के बाद काफी इंप्रूवमेंट दिखा। इस पंप की सहायता से प्रोसीजर के दौरान वाइटल ऑर्गन कम्प्लीटली परफ्यूज्ड रहता है यानी चालू रहता है। हार्ट के प्रोसीजर के बाद 90 दिनों के अंदर जो कॉम्प्लीकेशन आते हैं उनके आने की संभावना कम हो जाती है।