जीपीएआई : ग्लोबल पार्टनरशिप ऑन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस शिखर सम्मेलन का हुआ आयोजन…
जीपीएआई : भारत ने सोमवार को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर ग्लोबल पार्टनरशिप (जीपीआईए) की अध्यक्षता ग्रहण की है। जीपीआईए, मानव केंद्रित विकास और एआई के उपयोग को सपोर्ट करने की इंटरनेशनल इनिशिएटिव है । शिखर सम्मेलन का तीन दिवसीय आयोजन 12 दिसम्बर से 14 दिसम्बर गुरुवार को हुआ ।
जीपीआईए समिट केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी, जल शक्ति और कौशल विकास एवं उद्यमिता राज्यमंत्री राजीव चंद्रशेखर ने कहा कि कृत्रिम बुद्धिमता यानी एआई के भविष्य को आकार देने में भारत अहम भूमिका निभाएगा। आईटी राज्यमंत्री यहां भारत मंडपम में आयोजित ग्लोबल पार्टनरशिप ऑन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (जीपीएआई) शिखर सम्मेलन के समापन पर शिखर सम्मेलन में शामिल हुए सभी 29 सदस्य देशों के प्रतिनिधियों ने एआई के लिए भविष्य को निर्धारित करने के लिए साथ मिलकर काम करने पर अपनी समहति जताई।
क्या है जीपीएआई?
जीपीआईए अमेरिका, ब्रिटेन, यूरोपीय संघ, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, मैक्सिको, न्यूजीलैंड, कोरिया गणराज्य और सिंगापुर सहित 25 सदस्य देशों का एक समूह है। भारत 2020 में एक संस्थापक सदस्य के रूप में समूह में शामिल हुआ था। एआई के आसपास चुनौतियों और अवसरों की बेहतर समझ विकसित करने के लिए यह अपनी तरह की पहली पहल है। इस बार भारत ने जीपीआईए की अध्यक्षता संभाली है। 11 दिसंबर को एक वर्चुअल मीटिंग में भारत ने फ्रांस से अध्यक्षता की कमान हासिल की है।
अध्यक्षता ग्रहण करने के बाद राजीव चंद्रशेखर ने कहा कि हम सदस्य देशों के साथ घनिष्ठ सहयोग में काम करेंगे ताकि एक ऐसा ढांचा तैयार किया जा सके जिसके चारों ओर दुनिया भर के नागरिकों और उपभोक्ताओं की भलाई के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की शक्ति का पूर्ण उपयोग किया जा सके। साथ ही यह सुनिश्चित किया जा सके कि दुरुपयोग और उपयोगकर्ता के नुकसान को रोकने के लिए पर्याप्त इंतजाम हैं। उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी और इनोवेशन में वर्तमान निवेश को आगे बढ़ाने के लिए एआई एक बड़ा कारक है। उन्होंने कहा कि भारत आधुनिक साइबर कानूनों और ढांचे का एक इकोसिस्टम बना रहा है जो खुलेपन, सुरक्षा और विश्वास और जवाबदेही की तीन सीमा शर्तों से प्रेरित है।
ग्लोबल साउथ के देशों को भी शामिल होना चाहिए
केंद्रीय राज्यमंत्री राजीव चंद्रशेखर ने कहा हमने हेल्थकेयर और एग्रीकल्चर के लिए एक साथ मिलकर अपडेटेड, एडवांस और फ्रेंडली प्लेटफार्म बनाने का निर्णय लिया है जिससे दुनियाभर के लोगों को लाभ मिल सके। और सबसे महत्वपूर्ण बात जो कल तय हुई वह यह है कि एआई का भविष्य समावेशी होना चाहिए। इसे सिर्फ एक या दो देशों पर नहीं छोड़ देना चाहिए। हमें इसमें ग्लोबल साउथ के देशों को भी शामिल करना चाहिए। आप एक्सपो में देख सकते हैं भारत से सैकड़ों स्टार्टअप हैं जो पहले से ही दुनिया को यह बता रहा है कि भारतीय एआई कितना परिपक्व है। एआई के भविष्य को आकार देने में भारत महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
एआई पर राष्ट्रीय कार्यक्रम और एक राष्ट्रीय डेटा गवर्नेंस फ्रेमवर्क पॉलिसी और दुनिया के सबसे बड़े सार्वजनिक रूप से सुलभ डेटा सेट कार्यक्रमों में से एक के साथ, मंत्री ने एआई के चारों ओर इनोवेशन ईकोसिस्टम को मजबूत करने के लिए एआई के कुशल उपयोग के लिए भारत की प्रतिबद्धता को दोहराया जिससे बड़े पैमाने पर हमारे नागरिकों और दुनिया के लिए अच्छा और विश्वसनीय एप्लीकेशन्स बनाए जा सकते हैं।
एनडीजीएफपी का यह है उद्देश्य
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि एआई से 2035 तक भारतीय अर्थव्यवस्था में $967 बिलियन और 2025 तक भारत की जीडीपी में $450-500 बिलियन के योगदान की उम्मीद है जो देश के $5 ट्रिलियन जीडीपी लक्ष्य का 10 प्रतिशत है। एनडीजीएफपी का उद्देश्य नॉन-पर्सनल डेटा तक समान पहुंच सुनिश्चित करना और सरकारी डेटा साझा करने के लिए संस्थागत ढांचे में सुधार करने, डिजाइन द्वारा गोपनीयता और सुरक्षा के सिद्धांतों को बढ़ावा देने और गुमनामी उपकरण के उपयोग को प्रोत्साहित करने पर ध्यान केंद्रित करना है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारतीय डेटा प्रबंधन ऑफिस आईडीएमओ के साथ एनडीजीएफपी के एआई और डेटा-आधारित अनुसंधान और स्टार्टअप इकोसिस्टम को उत्प्रेरित करेगा।
इस कार्यक्रम में आंतरिक मामलों और संचार के लिए जापानी राज्य मंत्री त्सुगे योशिफुमी, जापानी संसदीय उप-अर्थव्यवस्था, व्यापार और उद्योग मंत्री मकोतो नागामाइन, डिजिटल ट्रांसमिशन और टेलीकॉम्युनिकेशन मंत्री जीन-नोएल बरोट भी शामिल हुए।