हरित क्रांति के जनक और पूर्व प्रधानमंत्री को भारत रत्न से किया जायेगा सम्मानित…
बता दे कि केंद्र सरकार ने घोषणा की कि पूर्व प्रधानमंत्रियों चौधरी चरण सिंह और पीवी नरसिम्हा राव को भारत रत्न से सम्मानित किया जाएगा। साथ ही हरित क्रांति के जनक कहे जाने वाले एमएस स्वामीनाथन को भी देश के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। इसके पहले सरकार ने पहले बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर, पिछड़े सशक्तिकरण के चैंपियन, और लालकृष्ण आडवाणी, एक संस्थापक भाजपा सदस्य को देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान के लिए नामित किया था, जिन्हें 1990 के दशक के दौरान इसके उत्थान की दिशा तय करने का श्रेय दिया जाता है।
भारत रत्न पाने वालो में अब तक कुल 53 लोग शामिल है
2014 में सत्ता संभालने के बाद से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा दिया गया यह दसवां भारत रत्न है। इससे पहले 3 फरवरी को भाजपा के वयोवृद्ध नेता लालकृष्ण आडवाणी और 23 जनवरी को बिहार के पूर्व CM कर्पूरी ठाकुर (मरणोपरांत) को भारत रत्न देने का ऐलान किया गया । इस तरह इस साल 5 हस्तियों को यह सम्मान देने का ऐलान हो चुका है। इनके अलावा मदन मोहन मालवीय, अटल बिहारी वाजपेयी, प्रणब मुखर्जी, भूपेन हजारिका और नानाजी देशमुख को यह सम्मान मिल चुका है। आज की तीन हस्तियों को मिलाकर इस सम्मान को हासिल करने वालों में अब तक कुल 53 लोग शामिल हो चुके हैं।
भारत रत्न प्रदान करने का नियम
भारत रत्न सम्मान एक कैटेगरी में एक साथ तीन से ज्यादा शख्सियतों को नहीं दिया जा सकता । भारत रत्न देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान है जो किसी क्षेत्र में असाधारण और सर्वोच्च सेवा को मान्यता देने के लिये दिया जाता है। भारत रत्न सम्मान राजनीति, कला, साहित्य, विज्ञान के क्षेत्र में किसी विचारक, वैज्ञानिक, उद्योगपति, लेखक और समाजसेवी को दिया जाता है ।
कब से हुई भारत रत्न की शुरूआत
‘भारत रत्न‘ सम्मान की शुरूआत तत्कालीन राष्ट्रपति डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद ने 2 जनवरी 1954 को की थी । स्वतंत्र भारत के पहले गवर्नर जनरल चक्रवर्ती राजगोपालाचारी, पूर्व राष्ट्रपति डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन और वैज्ञानिक डॉक्टर चंद्रशेखर वेंकट रमन को 1954 में पहली बार इस सम्मान से नवाजा गया था ।
- भारत रत्न देने की शुरुआत 2 जनवरी, 1954 को तत्कालीन राष्ट्रपति डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद ने की थी।
- जाति, व्यवसाय, पद या लिंग के भेदभाव के बिना कोई भी व्यक्ति इस सम्मान के लिए पात्र है।
- यह मानव प्रयास के किसी भी क्षेत्र में उच्चतम स्तर की असाधारण सेवा/प्रदर्शन की मान्यता के लिए प्रदान किया जाता है।
- भारत रत्न के लिए सिफारिशें स्वयं प्रधानमंत्री द्वारा राष्ट्रपति को किया जाता है। इसके लिए किसी औपचारिक अनुशंसा की आवश्यकता नहीं होती है।
- पुरस्कार प्रदान किए जाने पर, प्राप्तकर्ता को राष्ट्रपति द्वारा हस्ताक्षरित एक सनद (प्रमाण पत्र) और एक पदक प्राप्त होता है। पुरस्कार में कोई मौद्रिक अनुदान नहीं है।
चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न
उन्होंने कहा कि देश के पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न से सम्मानित किया जा रहा है। यह सम्मान देश के लिए उनके अतुलनीय योगदान को समर्पित है। उन्होंने किसानों के अधिकार और उनके कल्याण के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया था। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे हों या देश के गृहमंत्री और यहां तक कि एक विधायक के रूप में भी, उन्होंने हमेशा राष्ट्र निर्माण को गति प्रदान की। वे आपातकाल के विरोध में भी डटकर खड़े रहे। हमारे किसान भाई-बहनों के लिए उनका समर्पण भाव और इमरजेंसी के दौरान लोकतंत्र के लिए उनकी प्रतिबद्धता पूरे देश को प्रेरित करने वाली है।
डॉ. एमएस स्वामीनाथन को भारत रत्न
हरित क्रांति के जनक को भारत सरकार कृषि और किसानों के कल्याण में उल्लेखनीय योगदान के लिए भारत रत्न से सम्मानित कर रही है। उन्होंने चुनौती भरे समय में भारत को कृषि में आत्मनिर्भरता हासिल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और भारतीय कृषि को आधुनिक बनाने की दिशा में उत्कृष्ट प्रयास किए। हम उनके अमूल्य कामों को भी पहचानते हैं। डॉ. स्वामीनाथन के दूरदर्शी नेतृत्व ने न केवल भारतीय कृषि को बदला, बल्कि देश की खाद्य सुरक्षा और समृद्धि भी सुनिश्चित की। वह ऐसे व्यक्ति थे, जिन्हें मैं करीब से जानता था और मैं हमेशा उनकी अंतर्दृष्टि और इनपुट को महत्व देता था।’
पूर्व पीएम पीवी नरसिम्हा राव को भारत रत्न
पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव को भारत रत्न से सम्मानित किया जाएगा। एक प्रतिष्ठित विद्वान और राजनेता के रूप में नरसिम्हा राव ने देश की बड़े पैमाने पर सेवा की। उन्हें आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्री और कई वर्षों तक संसद और विधानसभा सदस्य के रूप में किए गए कार्यों को आज भी याद किया जाता है। उनका दूरदर्शी नेतृत्व भारत को आर्थिक रूप से उन्नत बनाने, देश की समृद्धि और विकास के लिए एक ठोस नींव रखने में सहायक था।’ प्रधानमंत्री के रूप में नरसिम्हा राव का कार्यकाल महत्वपूर्ण उपायों द्वारा चिह्नित किया गया था, जिसने भारत को वैश्विक बाजारों के लिए खोल दिया, जिससे आर्थिक विकास के एक नए युग को बढ़ावा मिला।
इसके अलावा, भारत की विदेश नीति, भाषा और शिक्षा क्षेत्रों में उनका योगदान एक ऐसे नेता के रूप में उनकी बहुमुखी विरासत को रेखांकित करता है, जिन्होंने न केवल महत्वपूर्ण परिवर्तनों के माध्यम से भारत को आगे बढ़ाया बल्कि इसकी सांस्कृतिक और बौद्धिक विरासत को भी समृद्ध किया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के रूप में नरसिम्हा राव के कार्यकाल ने भारत को वैश्विक बाजारों के लिए खोल दिया, जिससे आर्थिक विकास के एक नए युग को बढ़ावा मिला। इसके अलावा भारत की विदेश नीति, भाषा और शिक्षा क्षेत्रों में उनका योगदान एक ऐसे नेता के रूप में उनकी याद किया जाता है, जिन्होंने न केवल महत्वपूर्ण परिवर्तनों के माध्यम से भारत को आगे बढ़ाया, बल्कि इसकी सांस्कृतिक और बौद्धिक विरासत को भी समृद्ध किया।