मैक्सिको के इतिहास में पहली बार महिला राष्ट्रपति बनीं क्लाउडिया शीनबाम…
मैक्सिको। जलवायु वैज्ञानिक क्लाउडिया शीनबाम ने मेक्सिको के इतिहास में चुनीवों में बड़ी जीत हासिल करते हुए इतिहास रचा है। क्लाउडिया शीनबाम ने इसी के साथ मेक्सिको की पहली महिला राष्ट्रपति बनने का गौरव हासिल कर लिया। साथ ही 61 साल की शीनबाम ने मेक्सिको के लोकतंत्र के इतिहास में सबसे अधिक वोट प्रतिशत जीतकर रिकॉर्ड बनाया है। क्लाउडिया शीनबाम ने इसी के साथ मेक्सिको की पहली महिला राष्ट्रपति बनने का गौरव हासिल कर लिया।उन्हें 82% मतों की गिनती के बाद 58.8 फीसदी वोट मिले। शीनबाम इससे पहले मेक्सिको सिटी की मेयर रह चुकी हैं।
हमने एक विविधता भरे लोकतांत्रिक मैक्सिको को फतह किया
मेक्सिको के आम चुनाव में भारी प्रतिशत के साथ जीत हासिल करने के बाद क्लाउडिया शीनबाम ने जनता का आभार व्यक्त करते हुए कहा है कि “देश के गणतंत्र के 200 सालों के इतिहास में पहली बार मैं मैक्सिको की पहली महिला राष्ट्रपति बनूंगी। हमने एक विविधता भरे लोकतांत्रिक मैक्सिको को फतह किया है। हमें एक निष्पक्ष और समृद्ध मैक्सिको बनाने के लिए शांति और सद्भाव के साथ चलना होगा।”
कौन है मैक्सिको का चुनाव जीतने वाली शीनबाम ?
क्लाउडिया शीनबाम संयुक्त राष्ट्र जलवायु वैज्ञानिकों के उस पैनल का हिस्सा रह चुकी हैं, जिसे साल 2007 में नोबेल शांति पुरस्कार मिला था। रविवार की रात को अपने विजय भाषण में शीनबाम ने वर्तमान राश्ट्रपति एन्ड्रेस मैनुअल लोपेज ओब्रेडोर को धन्यवाद दिया और उन्हें एक असाधारण-अद्वितीय शख्स करार दिया। उन्होंने कहा कि लोपेज ने मेक्सिको की बेहतरी के लिए काम किया है।
रविवार को ऐतिहासिक दो महिलाओं के बीच हुए राष्ट्रपति चुनाव के लिए मतदान किया। दरअसल, मेक्सिको का इतिहास जेंडर बायस और डिस्क्रिमिनेशन वाला रहा है और ऐसे में यह मेक्सिको के लिए एक ऐतिहासिक क्षण है, जहां पहली बार दो महिलाएं राष्ट्रपति चुनाव में खड़ी हुई हैं। राष्ट्रपति पद के लिए दो प्रमुख महिला उम्मीदवार वामपंथी मोरेना पार्टी से क्लाउडिया शिनबाम और रूढ़िवादी पीएएन पार्टी से ज़ोचिटल गाल्वेज़, जो विपक्षी दलों के गठबंधन का प्रतिनिधित्व कर रही हैं। तीसरी उम्मीदवार जॉर्ज अल्वारेज़ मायनेज़ हैं, जो इस दौड़ में सबसे युवा हैं और केंद्र-वाम नागरिक आंदोलन का प्रतिनिधित्व कर रही हैं।
ऐसा रहा चुनाव का परिणाम
यह चुनाव मैक्सिको के इतिहास का सबसे बड़ा इलेक्शन रहा. ऐसा इसलिए क्योंकि मेक्सिको में 98 मिलियन वोटर्स ने अपना वोट किया है और 1.4 मिलियन मेक्सिन ऐसे हैं, जो विदेश से भी अपना वोट कास्ट कर सकते हैं। 20,000 से अधिक पदों पर नियुक्ति की जानी है, जिनमें से अनुमानतः 70,000 उम्मीदवार सीनेटर, मेयर और गवर्नर बनने की होड़ में हैं। इस चुनाव में हिंसा का बोलबाला रहा है, जो मेक्सिको के इतिहास में सबसे खूनी चुनाव है। सत्ता में आने वालों को प्रभावित करने की कोशिश कर रहे आपराधिक संगठनों ने दर्जनों राजनीतिक उम्मीदवारों और आवेदकों की हत्या की है। दो महिलाओं का राष्ट्रपति चुनाव में खड़ा होना 1988 से देश में हुई प्रोग्रेस को दिखाता है। बता दें कि 1988 में मेक्सिको में पहले चुनाव हुए थे। रविवार को हुए चुनाव मेक्सिको के लोकतंत्र को अधिक मजबूत बनाने में अहम भूमिका निभाएगा।
क्लाउडिया शिनबाम के बारे में
61 साल की उम्र में, शीनबाम अपना काफी सारा अनुभव लेकर आई हैं, जो मेक्सिको सिटी के मेयर के रूप में काम किया है और खुद वह पेशे से जलवायु वैज्ञानिक हैं। मौजूदा राष्ट्रपति एंड्रेस मैनुअल लोपेज़ ओब्रेडोर की एक कट्टर सहयोगी, शीनबाम की उम्मीदवारी सामाजिक कल्याण, शिक्षा और पर्यावरणीय स्थिरता पर ध्यान केंद्रित करने वाली उनकी नीतियों की निरंतरता का प्रतिनिधित्व करती है। यदि वह निर्वाचित होती हैं, तो वह न केवल मेक्सिको की पहली महिला राष्ट्रपति होंगी, बल्कि CNN की रिपोर्ट के अनुसार, यहूदी विरासत की पहली नेता भी होंगी।
वरिष्ठ नागरिकों के लिए लोपेज़ ओब्रेडोर के पेंशन कार्यक्रम को जारी रखना छात्रों के लिए छात्रवृत्ति का विस्तार करना छोटे पैमाने के किसानों के लिए मुफ्त उर्वरक प्रदान करना। राष्ट्रीय रक्षक और न्यायिक सुधारों के एकीकरण सहित व्यापक सुरक्षा सुधारों को लागू करना रहेगा ।
यह होगी मुख्य चुनौतियां
राष्ट्रपति पद के उम्मीदवारों के व्यक्तित्व और नीतियों से परे, मेक्सिको का चुनाव, सुरक्षा और प्रवासन जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों से प्रभावित होता है। बढ़ती अपराध दर और अपनी सीमाओं पर चल रही चुनौतियों के साथ, मेक्सिको जटिल और परस्पर जुड़ी चुनौतियों का सामना कर रहा है, जिसके लिए विचारशील नेतृत्व और रणनीतिक समाधान की आवश्यकता है। मतदाताओं के लिए सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता बनी हुई है, राजनीतिक हिंसा और संगठित अपराध की चिंताएं चुनावी प्रक्रिया पर प्रभाव डाल रही हैं। मेक्सिको में आज भी हिंसा बहुत अधिक प्रभावशाली है और इसकी वजह से नागरिकों की सुरक्षा हमेशा खतरे में बनी रहती है। ऐसे में नागरिकों के सुरक्षा राष्ट्रपति के लिए सबसे अहम चुनौती में से एक रहेगी।