छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग द्वारा राज्य सेवा परीक्षा-2021 के घोटाले की जाँच करेगी सीबीआई…
छत्तीसगढ़ पब्लिक सर्विस कमीशन (सीजीपीएससी) जिसका काम राज्य में विभिन्न विभागों में भर्तियां कराने का होता है । इसी में से एक भर्ती राज्य सरकार के प्रशासनिक पदों पर बैठने वालों के लिए आयोजित कराई जाती है। इसके तहत डीएसपी , डिस्ट्रिक्ट एक्साइज ऑफिसर, ट्रांसपोर्ट सब-इंस्पेक्टर, एक्साइज सब-इंस्पेक्टर जैसे पदों के लिए भर्ती होती है। सीजीपीएससी की ऐसी ही एक भर्ती में घोटाले का आरोप लगाया गया है। परीक्षा में धांधली के आरोप लगाए गए । 18 अभ्यर्थियों की भर्ती पर सवाल उठाये हैं।
क्या था 2021 का भर्ती मामला ?
सीजीपीएससी परीक्षा-2021 के तहत 12 विभागों के 170 पदों पर भर्ती के लिए चयन सूची जारी की गई थी । जिसकी भर्ती में गड़बड़ी की शिकायत मिली थी । जिसके पश्चात् परीक्षा के परिणाम आने के बाद परीक्षार्थियों ने बड़ी संख्या मेंअधिकारियों और नेताओं के बच्चों का चयन होने की शिकायत की थी। जहां डिप्टी कलेक्टर और डीएसपी जैसे पदों पर नियुक्ति देने का भी आयोप सामने आया था । जिसको लेकर हाई कोर्ट में याचिका दायर की गयी ।
कौन सा पद किसको मिलेगा ?
साल 2021 में जारी भर्ती के लिए कुल 171 पद के लिए परीक्षा का प्री एग्जाम 13 फरवरी 2022 को कराया गया । जिसमें कुल 2 हजार 565 पास हुए । फिर आई मेंस एग्जाम की बारी जिसको 26, 27, 28 और 29 मई 2022 तक संपन्न करवाई गई थी । जिसमें कुल 509 अभ्यर्थी पास हुए । और फिर अंतिम चरण के लिए इंटरव्यू के लिया गया । जिसका परिणाम 11 मई 2023 को जारी किया गया । जिसमे 170 अभ्यर्थियों का इसमें फाइनल सिलेक्शन हुआ।
इस भर्ती परीक्षा में कथित घोटाले की बात सामने आई है। 18 लोगों की लिस्ट जारी की गई है। आरोप लगाए गये कि मेरिट लिस्ट में पीएससी चेयरमैन के रिश्तेदारों और नेताओं के करीबियों का सिलेक्शन हुआ है। जिसमें कई बड़े पदों के लिए नियुक्त किया गया । और मेधावी और मेहनती बच्चों को दरकिनार कर दिया गया । अफसरों के रिश्तेदारों को अच्छे पद दे दिए गए हैं। जिसका असर दूसरे अभ्यर्थियों पर हुआ और उन्हें निचले पदों के लिए सिलेक्ट किया गया है।” वहीं छत्तीसगढ़ के कुछ बड़े अधिकारियों के बच्चों को भी आबकारी, श्रम विभाग में ऊंचे ओहदों पर नियुक्त कर दिया गया।
हाई कोर्ट में पंहुचा मामला
हाई कोर्ट ने पूछा है कि इस मामले में पीएससी के चेयरमैन को पक्षकार क्यों नहीं बनाया गया है। चीफ जस्टिस रमेश कुमार सिन्हा की बेंच के सवाल का जवाब देते हुए एडवोकेट संजय कुमार अग्रवाल ने बताया कि चेयरमैन का पद एक संवैधानिक पद है, इस कारण उन्हें पक्षकार नहीं बनाया गया है। इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि पीएससी सहित दूसरी संस्था में अधिकारी के बच्चों का चयन होना स्वाभाविक है। लेकिन, पीएससी के चेयरमैन के करीबी रिश्तेदारों का चयन होना कुछ सवाल खड़े करता है। कोर्ट ने मामले की जांच कराने के निर्देश भी दिए हैं ।
सीबीआई करेगी जाँच
पीएससी भर्ती परीक्षा में गड़बड़ी के मामले की सुनवाई कोर्ट में चल रही है। सरकार ने अपना पक्ष कोर्ट के सामने रखा है। सीबीआई को अब इस मामले की जांच की जिम्मेदारी दी जाएगी और उसको कोर्ट के सामने पेश किया जाएगा। जिन कैंडिडेट्स पर आरोप लगे हैं, उनकी नियुक्ति कोर्ट के अगले आदेश तक रोक दी गई है। वहीं जिन कैंडिडेट्स को नियुक्ति मिल गई है, उनकी नियुक्ति कोर्ट के आदेश पर निर्भर करेगी। कोर्ट में मामले की अगली सुनवाई आने वाले हफ्ते में की जाएगी। कोर्ट ने राज्य सरकार और छत्तीसगढ़ पब्लिक सर्विस कमीशन को याचिकाकर्ताओं द्वारा लगाए गए आरोपों की जांच करने को कहा है। इतना ही नहीं, कोर्ट की तरफ से ये भी कहा गया है कि अगर मामले में कोई भी जानकारी तथ्यात्मक नहीं पाई गई, तो याचिकाकर्ता के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी । इसके बाद से अब लोक सेवा आयोग आरोपों के घेरे में है।