October 10, 2024

25 साल की नौकरी पर 50% पेंशन, एनपीएस, ओपीएस नहीं अब होगी यूपीएस…

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नई दिल्ली। केन्द्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली के तहत सेवा में शामिल होने वाले 23 लाख कर्मचारियों के लिए सरकार ने यूनीफाइड पेंशन स्कीम (यूपीएस) लागू करने का फैसला किया है जो मौजूदा एनपीएस के साथ ही लागू रहेगा। जिसके तहत वेतन का 50% पेंशन के रूप में  देने के लिए मंजूरी दे दी गयी है। 1 अप्रैल 2004 की राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली के तहत 2004 के बाद सेवा में शामिल होने वाले सरकारी कर्मचारियों के लिए लागू किया जाएगा । यूपीएस के तहत कर्मचारियों को सुनिश्चित पेंशन, परिवार को पेंशन, सुनिश्चित न्यूनतम पेंशन, पेंशन की राशि की महंगाई दर के साथ जोड़ने और सेवानिवृत्ति के समय ग्रेच्यूटी के अलावा भी एक सुनिश्चित राशि के भुगतान की व्यवस्था की गई है।

क्या है पुरानी पेंशन स्कीम?

एक तरह से यह पुरानी पेंशन स्कीम की तरह ही होगी, लेकिन अंतर सिर्फ इतना होगा कि ओपीएस में जहां कर्मचारियों को योगदान नहीं देना होता था, यूपीएस में एनपीएस की तर्ज पर ही 10% योगदान देना होगा। यूपीएस के लिए कर्मचारियों को कोई भी अतिरिक्त योगदान नहीं देना होगा, जबकि केंद्र सरकार की तरफ से पेंशन फंड में योगदान मौजूदा 14 फीसदी से बढ़ा कर 18.5 फीसदी कर दिया गया है। जो साल दर साल महंगाई दर आदि के कारण बढ़ता रहेगा।


  • ओपीएस के रूप में अब सुनिश्चित पेंशन के लिए यूपीएस।
  • पेंशन की न्यूनतम राशि 10 हजार रुपये सुनिश्चित।
  • ग्रेच्यूटी के अलावा छह माह का वेतन भी एकमुश्त सेवानिवृत्ति पर मिलेगा।
  • कर्मचारियों पर कोई बोझ नहीं, सरकार ने अपना योगदान बढ़ा कर 18 फीसद किया।
  • पहले वर्ष में सरकार पर 6250 करोड़ रुपये का बोझ।
  • एनपीएस के तहत सेवानिवृत्त कर्मचारियों को यूपीएस स्वीकार करने का विकल्प।
  • राज्य केंद्र सरकार के माडल को कर सकते हैं स्वीकार।
  • 99 फीसद से ज्यादा सरकारी कर्मचारियों को यूपीएस स्वीकार करने में फायदा ।

कब से किया जाएगा लागू?

सूचना व प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि 01 अप्रैल, 2025 से लागू होगी। इससे सीधे तौर पर 23 लाख केंद्र सरकार के कर्मचारियों को फायदा होगा। क्योंकि सरकार का आकलन है कि अभी कार्यरत 99 फीसद से ज्यादा केंद्रीयकर्मियों के लिए एनपीएस से ज्यादा यूपीएस आर्थिक तौर पर फायदेमंद होगा।

एनपीएस वर्ष 2004 से लागू है और तब से अभी तक जितने सरकारी कर्मचारी सेवानिवृत्ति हुए हैं उनको यूपीएस के तहत पेंशन सुविधा लेने का विकल्प मिलेगा। अगर कर्मचारी ऐसा करते हैं तो उन्हें जो अतिरिक्त राशि व उसका ब्याज बनेगा, उसका भुगतान केंद्र से होगा। ऐसे कर्मचारियों को केंद्र को 800 करोड़ रुपये की अतिरिक्त राशि का भुगतान करना होगा।

एनपीएस में बाजार में निवेशित राशि के हिसाब से पेंशन राशि मिलने की व्यवस्था है।

इस स्कीम का सबसे पहला तथ्य यह है कि इसमें कर्मचारियों को सुनिश्चित पेंशन मिलेगा, जबकि एनपीएस में बाजार में निवेशित राशि के हिसाब से पेंशन राशि मिलने की व्यवस्था है। यूपीएस का फार्मूला के हिसाब से…

  • यूपीएस के हिसाब से कर्मचारी ने 25 वर्षों की सेवा दी है तो उसके अंतिम कार्य-वर्ष के 12 महीनों के औसत मूल वेतन का 50 फीसद राशि बतौर पेंशन दी जाएगी। अगर सेवा काल 10 से 25 वर्षों का है तो पेंशन की राशि समानुपातिक आवंटन के आधार पर तय होगी।
  • यूपीएस का दूसरा अहम पहलू यह है कि सेवानिवृत्त कर्मचारी की मृत्यु होने पर उसके आश्रित (पति या पत्नी) को पेंशन राशि का 60 फीसदी सुनिश्चत पारिवारिक पेंशन के तौर पर दी जाएगी।
  • तीसरी महत्वपूर्ण बात यह है कि कर्मचारी का कार्य-वर्ष चाहे जितना भी हो उनकी पेंशन की न्यूनतम राशि 10 हजार रुपये से कम नहीं होगी। अश्विनी वैष्णव का कहना है कि आज की तारीख में जो न्यूनतम वेतन है उसके आधार पर न्यूनतम पेंशन की राशि 15 हजार रुपये बनती है।
  • चौथी बात यह है कि पेंशन की राशि जो महंगाई के सूचकांक से जोड़ा गया है। यानी खुदरा महंगाई दर बढ़ेगी तो पेंशन की राशि भी बढ़ेगी। महंगाई भत्ता के आधार पर पेंशन, पारिवारिक पेंशन और न्यूनतम पेंशन तीनों का निर्धारण होगा।
  • पांचवी सबसे महत्वपूर्ण बात यह है, सेवा में संपन्न हर छह माह के लिए मूल वेतन का 10 फीसद राशि एकमुश्त मिलेगी जो ग्रेच्यूटी के अलावा होगी।

वित्तीय योगदान की राशि 10 फीसद बढ़ाई गयी है

सूचना व प्रसारण मंत्री के मुताबिक मोटे तौर पर 30 वर्ष की सेवा के लिए एक कर्मचारी को छह माह का वेतन अलग से सेवानिवृत्त होने पर मिलेगा। केंद्र सरकार ने वर्ष 2022 में पूर्व वित्त सचिव टीवी स्वामीनाथन की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया था ताकि एनपीए की समीक्षा की जा सके। इस समिति ने केंद्रीय कर्मचारियों के संघों व दूसरे प्रतिनिधियों, राज्य सरकारों, आरबीआई, विश्व बैंक, राजनीतिक दलों समेत दूसरे श्रम संगठनों के साथ विस्तार से विमर्श के बाद एक रिपोर्ट तैयार की थी।

ओपीएस जहां बगैर किसी वित्तीय योगदान की सुनिश्चित भुगतान योजना थी वहीं यूपीएस के लिए अतिरिक्त संसाधन जुटाने के लिए केंद्र का योगदान बढ़ा दिया गया है। पहले यह योगदान की राशि 10 फीसद थी जिसे वर्ष 2019 में मोदी सरकार ने बढ़ा कर 14 फीसद किया था। अब 18.5 फीसद करने का फैसला किया गया है।

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