कश्मीर को विश्व स्तर पर फिर से जोड़ने का मिलेगा अवसर…
श्रीनगर। भारतीय राष्ट्रीय कला एवं सांस्कृतिक विरासत ट्रस्ट-कश्मीर के प्रमुख सलीम बेग ने इस सम्मान को “कश्मीर के कौशल आधार की नवीनतम मान्यता” बताया। श्रीनगर को विश्व शिल्प परिषद की ओर से विश्व शिल्प शहर का दर्जा मिला। यह एक गैर-सरकारी संगठन है जो कारीगरों को सशक्त बनाने और वैश्विक स्तर पर शिल्प विरासत की रक्षा करने के लिए काम करता है। इससे मध्य एशिया और ईरान के शिल्प केंद्रों के साथ कश्मीर के सदियों पुराने संबंधों के फिर से खुलने की संभावना है।
डब्ल्यूसीसी-विश्व शिल्प शहर की मान्यता
जम्मू-कश्मीर के अधिकारियों को एक औपचारिक पत्र में कहा कि इस वर्ष के प्रारंभ में शिल्प केंद्रों के विस्तृत दौरे के बाद परिषद की उप-समिति के सदस्यों से श्रीनगर शहर को डब्ल्यूसीसी-विश्व शिल्प शहर का दर्जा मिला है। डब्ल्यूसीसी एआईएसबीएल के अध्यक्ष साद अल-कद्दूमी ने कहा, “मैं विश्व शिल्प परिषद (एआईएसबीएल) के अध्यक्ष के रूप में, आपको, आपकी टीम, नागरिकों और श्रीनगर के शिल्पकारों को शहर को “डब्ल्यूसीसी-विश्व शिल्प शहर” के रूप में मान्यता मिलने पर बधाई देना चाहता हूं।”
4,000 साल से अधिक वर्षों का है इतिहास
भारतीय राष्ट्रीय कला एवं सांस्कृतिक विरासत ट्रस्ट-कश्मीर के प्रमुख सलीम बेग ने विश्व शिल्प शहर के टैग को “कश्मीर के कौशल आधार की नवीनतम मान्यता” के रूप में वर्णित किया।
4,000 से भी अधिक वर्षों के लिखित इतिहास वाले इस शहर को नई पहचान मिली। जिसने एक ऐसे स्थान को सुर्खियों में ला दिया है, जिसने विभिन्न कला क्षेत्रों, विशेष रूप से शॉल, कालीन, पेपर माचे आदि में उत्कृष्ट कृतियों का निर्माण किया है। 14वीं शताब्दी में फारसी और मध्य एशियाई प्रचारकों और कारीगरों के आगमन के साथ शिल्प परिदृश्य में एक बड़ा बदलाव आया।
परिषद द्वारा 14 ईरानी शहरों को किया गया है सूचीबद्ध
“परिषद आधुनिक समय का एक ऐसा साधन और माध्यम है, जो उन स्थानों की सदियों से रचनात्मकता और सौंदर्यबोध से अवगत कराता हैं। जिससे कि मध्य एशिया और ईरान के साथ कश्मीर के पारंपरिक संबंधों को सही करने का बढ़ावा देता है। परिषद द्वारा 14 ईरानी शहरों को शिल्प शहरों के रूप में सूचीबद्ध किया गया है और श्रीनगर को शामिल करने से ज्ञान का आदान-प्रदान होगा। पिछली शताब्दी में कश्मीर के पारंपरिक मार्ग धीरे-धीरे बंद होते जा रहे, कश्मीर के कारीगरों को एक नया रास्ता प्रदान किया है, जिससे वे एक नई राह पर आगे बढ़ सकते हैं।”
कश्मीर का शॉल और कालीन उद्योग अतीत में फारसी कारीगरों से काफी प्रभावित रहा है। श्री बेग ने कहा, “हमारे पास कशान और तबरीज़ जैसे ईरानी शहरों के नाम पर कालीन डिज़ाइन हैं।”
शिल्पकारों को मिलेगा बढ़ावा
2021 में श्रीनगर को शिल्प और लोक कला के तहत यूनेस्को क्रिएटिव सिटी का खिताब भी मिला । लेकिन कई दशकों की गुमनामी के बाद कश्मीर के शिल्प परिदृश्य की वजह से फिर से रोशनी पड़ने से इस क्षेत्र में नई ऊर्जा का संचार हुआ है। ” जिससे कि उन गुमनाम शिल्पकारों के लिए एक बहुत जरूरी पहचान बनके उभर रही है जिन्होंने पीढ़ियों से उत्कृष्ट कृतियाँ बनाई हैं।
इससे वास्तविक शिल्प और शिल्पकारों को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी। कश्मीर के शिल्प परिदृश्य में भौगोलिक संकेत टैग, शिल्प पर्यटन और हस्तशिल्प और हथकरघा विभाग की नीतियों के साथ पुनरुद्धार देखने को मिल रहा है।”
पिछले पांच वर्षों में बढ़ा है आय
कश्मीर के हस्तशिल्प क्षेत्र में बड़ी आर्थिक वृद्धि देखी जा रही है, पिछले पांच वर्षों में निर्यात 1,000 करोड़ रुपये से बढ़कर 2,000 करोड़ रुपये हो गया है। शिल्प क्षेत्र में इस बढ़ती गतिशीलता का लाभ कारीगरों को भी मिल रहा है।
मी एंड के लेबल के मालिक और शिल्प पुनरुत्थानवादी ने कहा, “श्रीनगर के लिए विश्व शिल्प परिषद का टैग हमारे हस्तशिल्प के लिए वैश्विक मान्यता और मांग को बढ़ाकर कारीगरों को दीर्घ अवधि में मदद करेगा। यह बढ़ी हुई बिक्री और पर्यटन के माध्यम से स्थायी आय के अवसर प्रदान करेगा। यह कौशल संरक्षण, सांस्कृतिक विरासत, सहयोग और विकास के लिए नेटवर्क तक पहुंच का समर्थन करेगा।