Nalanda University : कैसा है नालंदा यूनिवर्सिटी का नया परिसर, जिसका उद्घाटन किया है पीएम मोदी ने…
बिहार। नालंदा यूनिवर्सिटी जिसका नाम इतिहास से लेकर आज नये निर्माण की भूमि तक न केवल दृश्य बल्कि नाम से ही विश्व विख्यात है। जिसके नए कैंपस का उद्घाटन देश की नयी सरकार पीएम के हाथों किया गया । साथ ही बोधि वृक्ष भी लगाया गया। बता दें कि नालंदा यूनिवर्सिटी का इतिहास 1600 साल पुराना है।
नया यूनिवर्सिटी बिहार के राजगीर में निर्मित किया गया है। इससे पहले पीएम मोदी ने यूनिवर्सिटी की धरोहर देखी। जिसमें विदेश मंत्री एस जयशंकर और एशियन देशों के प्रतिनिधियों समेत 17 देशों के राजदूत भी शामिल हुए। विदेश मंत्री का स्वागत जिला मजिस्ट्रेट डॉ. त्यागराजन ने किया। बिहार के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी प्रधानमंत्री के साथ कार्यक्रम में शामिल रहे।
विश्व के लिए अनमोल धरोहर
नालंदा यूनिवर्सिटी पहुंचने के बाद पीएम मोदी ने सबसे पहले प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय का भग्नावशेष देखा साथ ही नालंदा के इतिहास से सम्बंधित विस्तृत जानकरी ली। जो शिक्षा के प्रति भारतीय दृष्टिकोण और इसकी समृद्धि को दर्शाता है। इसका महत्व न केवल भारत के लिए, बल्कि पूरे विश्व के लिए अनमोल धरोहर के रूप में संरक्षित हो गयी है। नालंदा विश्वविद्यालय प्राचीन भारत का एक प्रमुख और ऐतिहासिक शिक्षा केंद्र था।
क्या-क्या सुविधाएं है नये यूनिवर्सिटी में?
राजगीर के अंतरराष्ट्रीय नालंदा विश्वविद्यालय के नए कैंपस में कुल 24 बड़ी इमारतें हैं। जिसके परिसर में 40 कक्षाओं वाले दो शैक्षणिक ब्लॉक हैं, जिनकी कुल बैठने की क्षमता लगभग 1900 है। इसमें 300 सीटों की क्षमता वाले दो सभागार हैं। इसमें लगभग 550 छात्रों की क्षमता वाला एक छात्र छात्रावास है। इसमें अंतरराष्ट्रीय केंद्र, 2000 व्यक्तियों तक की क्षमता वाला एम्फीथिएटर, फैकल्टी क्लब और खेल परिसर सहित कई अन्य सुविधाएं भी शामिल हैं। यह परिसर एक ‘नेट जीरो’ ग्रीन कैंपस है। यह सौर संयंत्र, घरेलू और पेयजल शोधन संयंत्र, अपशिष्ट जल के पुन: उपयोग के लिए जल पुनर्चक्रण संयंत्र, 100 एकड़ जल निकाय और कई अन्य पर्यावरण अनुकूल सुविधाओं के साथ आत्मनिर्भर रूप से कार्य करने को तत्पर है।
विशेष अधिनियम के तहत हुआ विश्वविद्यालय की स्थापना
ऐतिहासिक नालंदा महाविहार से 20 किलोमीटर से भी कम दूरी पर ही मौजूद प्राचीन मगध के शिक्षा केंद्र को पुनर्जीवित करने का फैसला मूल रूप से 2010 में शुरू हुआ था। इस विश्वविद्यालय को संसद द्वारा पारित एक विशेष अधिनियम, नालंदा विश्वविद्यालय अधिनियम के तहत स्थापित किया गया है।
कैंपस में हैं सात डिपार्टमेंट
विश्वविद्यालय को पुनर्जीवित करने के बाद, अब तक पोस्ट ग्रेजुएट और डॉक्टरेट की चाह रखने वाले स्टूडेंट्स के लिए सात स्कूल डिपार्टमेंट बनाए गए हैं। जिसमें इकोनॉमिक्स एंड मैनेजमेंट, इन्फॉर्मेशन साइंस एंड टेक्नोलॉजी, लिंग्विस्टिक एंड लिटरेचर, इंटरनेशनल रिलेशन्स, पीस स्टडीज (शांति अध्ययन) एंड बुद्धिस्ट स्टडीज, फिलॉसफी एंड कंपेरेटिव रिलिजन, इकोलॉजी एंड एनवायर्नमेंट और हिस्टोरिकल स्टडीज शामिल हैं। इसके अलावा दो डिपार्टमेंट और इस एकेडमिक सेशन से शुरू होने वाले हैं।
17 देशों के स्टूडेंट्स कर रहे हैं पढ़ाई
इस समय विश्वविद्यालय में कुल 17 देश के 400 स्टूडेंट पढ़ाई कर रहे हैं। वहीं, डिप्लोमा और सर्टिफिकेट जैसे कोर्स के लिए यहां 10 सब्जेक्ट में पढ़ाई हो रही है। कैंपस में एशिया की सबसे बड़ी लाइब्रेरी भी बनाई जा रही है।
कलाम ने दी थी विश्वविद्यालय को पुर्नजीवित करने की सलाह
पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम 28 मार्च, 2006 को अपने बिहार दौरे पर अंतरराष्ट्रीय पर्यटन स्थल राजगीर आए हुए थे। इसी यात्रा के दौरान उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय को पुर्नजीवित करने की सलाह दी थी। इसके बाद मुख्यमंत्री ने उनकी सलाह पर तत्काल विधानमंडल के संयुक्त अधिवेशन को संबोधित करते हुए इसे पुनर्जीवित करने की घोषणा की।
UNESCO ने 15 जुलाई 2016 को नालंदा विश्वविद्यालय के पुरातात्विक अवशेष को वर्ल्ड हेरिटेज साइट यानी वैश्विक धरोहर स्थल का दर्जा दिया था।
किसने किया है डिजाइन?
विश्व प्रसिद्ध विश्वविद्यालय को प्रसिद्ध वास्तुकार पद्म विभूषण स्वर्गीय बी.वी. दोशी ने डिजाइन किया है। इसके बुनियादी ढांचे को नेट जीरो यानी शून्य कार्बन उत्सर्जन वाले कैंपस के रूप में बनाया गया है। जो आज के समय में विश्व विख्यात धरोहर के रूप में शामिल किया गया है।
1190 के दशक में क्यों जलाया था बख्तियार खिलजी ने
1193 ई. में तुर्की के शासक कुतुबुद्दीन ऐबक के सेनापति बख्तियार खिलजी के नेतृत्व में आक्रमणकारियों की सैन्य टुकड़ी ने विश्वविद्यालय को जलाकर खत्म कर दिया था। नालंदा यूनिवर्सिटी का परिसर इतना विशाल था कि कहा जाता है कि हमलावरों के आग लगाने के बाद परिसर तीन महीने तक जलता ही रहा। आज नजर आने वाली 23 हेक्टेयर की साइट मूल यूनिवर्सिटी कैंपस का एक हिस्सा भर है।
विश्वविद्यालय को कहा जाता है ज्ञान का भंडार
दुनिया भर में प्रसिद्ध नालंदा विश्वविद्यालय को ज्ञान का भंडार कहा जाता रहा है। इस विश्वविद्यालय में धार्मिक ग्रंथ, लिट्रेचर, थियोलॉजी,लॉजिक, मेडिसिन, फिलोसॉफी, एस्ट्रोनॉमी जैसे कई विषयों की पढ़ाई होती थी। उस समय जिन विषयों की पढ़ाई यहां पर होती थी, वो कहीं भी नहीं पढ़ाए जाते थे। 700 साल तक यह विश्वविद्यालय दुनिया के लिए ज्ञान का मार्ग था। लेकिन 700 साल की लंबी यात्रा के बाद 12वीं शताब्दी में बख्तियार खिलजी ने इसे जला दिया था।
नये परिसर की विशेषता
ग्लोबल फैकल्टी और स्टूडेंट्स: नए नालंदा विश्वविद्यालय में विभिन्न देशों से प्रतिष्ठित शिक्षकों और छात्रों को आकर्षित किया जा रहा है, जिससे यह एक अंतरराष्ट्रीय शैक्षिक केंद्र बन गया है।
बहुसांस्कृतिक वातावरण: यह विश्वविद्यालय एक बहुसांस्कृतिक वातावरण प्रदान करता है, जो छात्रों को विभिन्न संस्कृतियों और परंपराओं से परिचित होने का अवसर देता है।
अंतरविषयक पाठ्यक्रम: नए नालंदा विश्वविद्यालय में पढ़ाए जाने वाले पाठ्यक्रम अंतरविषयक हैं, जो विज्ञान , मानविकी, और सामाजिक विज्ञान के बीच एक सेतु का काम करते हैं।
अनुसंधान केंद्र: विश्वविद्यालय में कई अनुसंधान केंद्र हैं, जो विविध क्षेत्रों में अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा देते हैं।
ग्रीन कैंपस: नए नालंदा विश्वविद्यालय का परिसर पर्यावरणीय स्थिरता को ध्यान में रखते हुए डिजाइन किया गया है। इसमें ग्रीन बिल्डिंग्स, सोलर एनर्जी और जल संरक्षण की सुविधाएं शामिल है
सस्टेनेबिलिटी स्टडीज: विश्वविद्यालय में पर्यावरणीय स्थिरता और सतत विकास पर विशेष ध्यान दिया जाता है, जिससे छात्र इन क्षेत्रों में विशेषज्ञता हासिल कर सकें।
लाइब्रेरी और रिसोर्स सेंटर: विश्वविद्यालय में आधुनिक तकनीक से सुसज्जित एक बड़ी लाइब्रेरी और रिसोर्स सेंटर है, जिसमें डिजिटल और प्रिंटेड संसाधनों की व्यापक संग्रहण है।
टेक्नोलॉजी-इनेबल्ड क्लासरूम्स: यहां के कक्षाओं में अत्याधुनिक तकनीक का उपयोग किया गया है, जिससे शिक्षण और सीखने की प्रक्रिया को और अधिक प्रभावी बनाया जा सके।
प्राचीन नालंदा की विरासत धार्मिक और सांस्कृतिक अध्ययन: विश्वविद्यालय में बौद्ध धर्म और अन्य धार्मिक व सांस्कृतिक अध्ययन के लिए विशेष विभाग हैं, जो प्राचीन नालंदा की विरासत को आगे बढ़ाते हैं।
इतिहास और पुरातत्व
प्राचीन नालंदा की धरोहर को समझने और संरक्षित करने के लिए इतिहास और पुरातत्व के अध्ययन पर विशेष जोर दिया गया है। नया नालंदा विश्वविद्यालय प्राचीन नालंदा की महान धरोहर को संजोते हुए आधुनिक शिक्षा और अनुसंधान का एक महत्वपूर्ण केंद्र बनने की दिशा में अग्रसर है। इसका उद्देश्य न केवल छात्रों को उच्च शिक्षा प्रदान करना है, बल्कि उन्हें वैश्विक नागरिक बनने के लिए तैयार करना भी है।