एसआई-प्लाटून कमांडर भर्ती पर हाईकोर्ट का आया फैसला, 90 दिन में नियुक्ति के दिए आदेश…
बिलासपुर। छत्तीसगढ़ में एसआई-प्लाटून कमांडर की भर्ती पर हाईकोर्ट ने महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। साथ ही प्लाटून कमांडर के 370 महिला अभ्यर्थियों को हटाकर 370 पुरुष अभ्यर्थियों को लेने के आदेश दिया है। कोर्ट ने मेरिट सूची में शामिल एसआई के उम्मीदवारों को 90 दिन में नियुक्ति देने के आदेश जारी किए हैं। कोर्ट ने 45 दिन के अंदर प्रक्रिया को पूरी करने के लिए आदेश दिए हैं।
कोर्ट ने निर्देश देते हुए कहा है कि अभ्यर्थियों के फिजिकल टेस्ट लेकर मेरिट के आधार पर भर्ती सूची जारी करने कहा है। बिलासपुर हाईकोर्ट में जस्टिस नरेंद्र कुमार व्यास की कोर्ट ने फैसला सुनाया है। बता दें, प्रदेश में SI और प्लाटून कमांडर के करीब 975 पदों पर भर्ती की प्रक्रिया के लिए पुलिस मुख्यालय ने साल 2021 में वैकेंसी निकाली थी। भर्ती की जिम्मेदारी व्यावसायिक परीक्षा मंडल को दी गई। 17 सितंबर, 2021 को आवेदन जमा करने के लिए विज्ञापन जारी किया गया था।
निरस्त की गई थी भर्ती
पुलिस विभाग द्वारा सब इंस्पेक्टर समेत अन्य पदों पर भर्ती के लिए व्यापमं ने प्रक्रिया शुरू की थी। जिसे बाद में निरस्त कर दिया गया। इस वजह से तैयारी करने वाले अभ्यर्थियों में आक्रोश भड़क गया और उन्होंने विरोध प्रदर्शन किया था। राज्य सरकार ने 2021 में भर्ती की प्रक्रिया शुरू की लेकिन वह भी अब तक पूरी नहीं हो पाई है।
प्री एग्जाम के बाद जारी की गई थी मेरिट लिस्ट भर्ती के लिए मेरिट सूची जारी की थी। व्यापमं ने मुख्य परीक्षा के पहले ही आरक्षण रोस्टर का पालन करते हुए कैटेगरी के अनुसार सूची जारी की। जिसके कारण जनरल कैटेगरी के बहुत से उम्मीदवारों का नाम सूची में नहीं आ सका। व्यावसयिक परीक्षा मंडल की ओर से जारी सूची को चुनौती देते हुए जनरल कैटेगरी के उम्मीदवारों ने वकील के जरिए हाईकोर्ट में अलग-अलग याचिकाएं दायर की थी।
प्लाटून कमांडर की भर्ती के लिए मैरिट सूची में महिलाओं के जगह पुरुष उम्मीदवारों को लेने का फैसला
अंतिम प्रक्रिया में इंटरव्यू लेकर मेरिट सूची जारी की गई। फिर चयनित अभ्यर्थियों को नियुक्ति आदेश जारी करने की मांग की। सभी पक्षों को सुनने के बाद जस्टिस एनके व्यास ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। हाईकोर्ट ने इस पूरे मामले पर अपना फैसला सुनाया गया। जिसमें कोर्ट ने कहा कि प्लाटून कमांडर की भर्ती के लिए मैरिट सूची में महिलाओं का नाम शामिल करना गलत है। फिर कहा महिला उम्मीदवारों का नाम हटाकर उनकी जगह पुरुष उम्मीदवारों को शामिल किया जाए। इसके लिए राज्य सरकार को 45 दिनों के भीतर प्रक्रिया पूरी कर वंचित पुरुष उम्मीदवारों का फिजिकल टेस्ट लेकर उनकी मेरिट सूची बनाने का आदेश दिया है। इसके साथ ही कोर्ट ने आगामी तीन महीने के भीतर भर्ती प्रक्रिया में चयनित अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र जारी करने का भी आदेश दिया।
20 गुना उम्मीदवारों का नहीं हुआ चयन
सूची में भर्ती नियमों का पालन नहीं किया गया और नियमों के खिलाफ प्रारंभिक सूची जारी की गई। इस वजह से याचिकाकर्ताओं को मुख्य परीक्षा से वंचित होना पड़ रहा है। याचिका में यह भी बताया गया कि, नियमानुसार प्रारंभिक सूची में खाली पदों के 20 गुना उम्मीदवारों का चयन किया जाना था। लेकिन, कैटेगरी वाइस प्रारंभिक सूची बनाई गई, जिसका खामियाजा जनरल कैटेगरी के उम्मीदवारों को भुगतना पड़ा और उन्हें मुख्य परीक्षा से वंचित होना पड़ रहा है। नियम के विरुद्ध होने के कारण इस सूची को निरस्त कर नए सिरे से मेरिट सूची जारी करने की मांग की गई है।
महिला आरक्षण में भी लगे गड़बड़ी के आरोप
याचिका की सुनवाई के दौरान तर्क दिया गया था कि, छत्तीसगढ़ का मूल निवास प्रमाण पत्र रखने वाली महिला उम्मीदवारों को 30 फीसदी आरक्षण का प्रावधान है। प्लाटून कमांडर के 728 पदों को छोड़कर महिला अभ्यर्थी पात्र हैं। विज्ञापन के अनुसार 728 पदों का 30 प्रतिशत के हिसाब से 218 पद हो जाएंगे। ऐसे में नियम 6 के मुताबिक विज्ञापित खाली पदों की संख्या से 20 गुना अभ्यर्थियों पर मुख्य परीक्षा के लिए विचार किया जाना है। यानी 218 पदों पर मुख्य परीक्षा में शामिल होने वाली महिला उम्मीदवारों की संख्या 4 हजार 368 होगी। लेकिन, मेरिट लिस्ट में 6 हजार 13 महिला उम्मीदवारों को शामिल किया गया है। इसके चलते बड़ी संख्या में पुरुष उम्मीदवार मुख्य परीक्षा के लिए चयनित नहीं हो सके।