चक्रवात रेमल के गंभीर चक्रवाती तूफान के लिये जारी की चेतावनी…
चक्रवात रेमल नामक संभावित गंभीर चक्रवाती तूफान के लिये चेतावनी जारी की गयी है, जो पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश के तटों को प्रभावित कर सकता है। उष्णकटिबंधीय चक्रवातों की सूची में ‘रेमल’ नाम ओमान द्वारा दिया गया है। इस वर्ष प्री-मॉनसून सीज़न में इस क्षेत्र में आने वाला यह पहला चक्रवात होगा। जिसका अरबी में ‘रेमल’ का मतलब ‘रेत’ होता है।
जिसका उद्गम स्थल बंगाल की खाड़ी से हुआ है।
चक्रवात रेमल की उत्पत्ति के कारण
मध्य बंगाल की खाड़ी के ऊपर एक डिप्रेशन (परिचालित हवाओं और वायुमंडलीय अस्थिरता की विशेषता वाला कम दबाव का क्षेत्र) बन गया है, जो चक्रवात रेमल की उत्पत्ति के रूप में कार्य कर रहा है। बंगाल की खाड़ी में जल का तापमान औसत से अधिक (2-3 डिग्री सेल्सियस) गर्म होता है। यह गर्म जल चक्रवातों के बनने और तीव्र होने के लिये आवश्यक ऊर्जा प्रदान करता है। मैडेन जूलियन ऑसिलेशन हवाओं और गर्म समुद्री जल के साथ पूर्व की ओर बढ़ने वाले बादल, वर्तमान में बंगाल की खाड़ी के दक्षिण की ओर बढ़ रहे हैं। ये हवाएँ अपने घूर्णन प्रभाव के कारण चक्रवातों को आरंभ करने में प्रभावी भूमिका निभाती हैं।
पश्चिम बंगाल तथा सुंदरबन को होगा अत्यधिक नुकसान
यदि उच्च ज्वार के दौरान तूफान भारतीय तट पर पहुँचता है तो यह सुंदरबन क्षेत्र को प्रभावित कर सकता है, जिससे संवेदनशील पर्यावरण को हानि हो सकती है। उत्तरी बंगाल की खाड़ी का उथला बाथिमेट्री और कीप के आकार का भूगोल चक्रवात की तीव्रता को बढ़ा सकता है क्योंकि जैसे ही यह तट के पास पहुँचता है, जिससे तूफान और बाढ़ का खतरा बढ़ जाता है। यह चक्रवात पिछले वर्षों में आए विनाशकारी तूफानों के समान है, जिन्होंने यास (वर्ष 2021), अम्फान (वर्ष 2020), चक्रवात फानी (वर्ष 2019), और आइला (वर्ष 2009) सहित पश्चिम बंगाल तथा सुंदरबन को अत्यधिक नुकसान पहुँचाया है।
हिंद महासागर द्विध्रुव का सकारात्मक चरण और मानव-प्रेरित जलवायु परिवर्तन में योगदान दे रहे
राज्य के आपदा प्रबंधन अधिकारी एवं स्थानीय समुदाय चक्रवात रेमल के संभावित प्रभाव के लिये बेहतर प्रबंधन करने और उसके प्रभाव को न्यूनतम करने के लिये पिछले अनुभवों से सीख ले रहे हैं। बंगाल की खाड़ी में अरब सागर की तुलना में लगभग 4:1 के अनुपात से अधिक चक्रवात आते हैं। हालाँकि, वर्ष 2022 के एक अध्ययन में पाया गया कि वर्ष 2001-2019 तक अरब सागर में चक्रवातों की आवृत्ति 52% बढ़ गई है, जबकि बंगाल की खाड़ी की आवृत्ति थोड़ी कम हुई है। बंगाल की खाड़ी की गहराई अरब सागर की तुलना में अपेक्षाकृत कम है। बंगाल की खाड़ी के विस्तृत सतही क्षेत्र के कारण इसका तीव्र ऊष्मण होता है जिससे उच्च वाष्पीकरण होता है।
अरब सागर उच्च लवणता, कम समुद्री सतह के तापमान और हानिकारक पवन प्रणालियों के कारण सामान्यतः चक्रवातों की संख्या में कमी आई है। समुद्र एवं वायुमंडल के गर्म होने के पैटर्न में बदलाव के कारण अरब सागर में अधिक बार और गंभीर उष्णकटिबंधीय चक्रवात आ रहे हैं। हिंद महासागर द्विध्रुव का सकारात्मक चरण और मानव-प्रेरित जलवायु परिवर्तन अरब सागर में चक्रवातों की तीव्रता एवं उच्च आवृत्ति में योगदान दे रहे हैं।
पश्चिम बंगाल तथा सुंदरबन को अत्यधिक नुकसान पहुँचाया
उत्तरी बंगाल की खाड़ी का उथला बाथिमेट्री और कीप के आकार का भूगोल चक्रवात की तीव्रता को बढ़ा सकता है क्योंकि जैसे ही यह तट के पास पहुँचता है, जिससे तूफान और बाढ़ का खतरा बढ़ जाता है। यह चक्रवात पिछले वर्षों में आए विनाशकारी तूफानों के समान है, जिन्होंने यास (वर्ष 2021), अम्फान (वर्ष 2020), चक्रवात फानी (वर्ष 2019), और आइला (वर्ष 2009) सहित पश्चिम बंगाल तथा सुंदरबन को अत्यधिक नुकसान पहुँचाया है। राज्य के आपदा प्रबंधन अधिकारी एवं स्थानीय समुदाय चक्रवात रेमल के संभावित प्रभाव के लिये बेहतर प्रबंधन करने और उसके प्रभाव को न्यूनतम करने के लिये पिछले अनुभवों से सीख ले रहे हैं।