राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने किया, सुप्रीम कोर्ट के नए ध्वज और प्रतीक चिह्न का अनावरण…
नई दिल्ली। राष्ट्रपति मुर्मू ने दिल्ली के भारत मंडपम में आयोजित कार्यक्रम के दौरान सुप्रीम कोर्ट का ध्वज और प्रतीक चिह्न जारी किया। जिसमें अशोक चक्र, सर्वोच्च न्यायालय भवन और भारत के संविधान के प्रतीक को शामिल किया गया हैं। राष्ट्रपति ने कहा – यह हमारे सामाजिक जीवन का एक दुखद पहलू है कि, कुछ मामलों में, साधन-सम्पन्न लोग अपराध करने के बाद भी निर्भीक और स्वच्छंद घूमते रहते हैं। जो लोग उनके अपराधों से पीड़ित होते हैं, वे डरे-सहमे रहते हैं, मानो उन्हीं बेचारों ने कोई अपराध कर दिया हो।
‘सभी न्यायाधीशों की जिम्मेदारी है, न्याय की रक्षा करें’
न्यायालय में स्थगन की संस्कृति को बदलने के लिए सभी संभव प्रयास किए जाने चाहिए। राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि देश के सभी न्यायाधीशों की जिम्मेदारी है कि वे न्याय की रक्षा करें। न्यायालयों में आम लोगों का तनाव स्तर बढ़ जाता है। उन्होंने ‘ब्लैक कोर्ट सिंड्रोम’ का जिक्र किया और सुझाव दिया कि इसका अध्ययन किया जाना चाहिए। राष्ट्रपति ने महिला न्यायिक अधिकारियों की संख्या में वृद्धि पर भी प्रसन्नता व्यक्त की। इस कार्यक्रम में भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और केंद्रीय कानून एवं न्याय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अर्जुन राम मेघवाल शामिल हुए।
जिला स्तर पर केवल 6.7 प्रतिशत अदालतों का बुनियादी ढांचा महिलाओं के अनुकूल
सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि जिला स्तर पर केवल 6.7 % अदालतों का बुनियादी ढांचा महिलाओं के अनुकूल है और इस स्थिति को बदलने की जरूरत है। जिला न्यायपालिका के राष्ट्रीय सम्मेलन में प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि अदालतें समाज के सभी सदस्यों के लिए सुरक्षित और सहज वातावरण प्रदान करें। उन्होंने कहा, हमें बिना किसी सवाल के इस तथ्य को बदलना होगा कि जिला स्तर पर हमारी अदालतों के बुनियादी ढांचे का केवल 6.7 प्रतिशत ही महिलाओं के अनुकूल है। क्या यह आज ऐसे देश में स्वीकार्य है, जहां कुछ राज्यों में भर्ती के बुनियादी स्तर पर 60 या 70 % से अधिक महिलाएं हैं? हमारा ध्यान सुलभता उपायों को बढ़ाने पर है, जिसे बुनियादी ढांचे के ‘ऑडिट’ के माध्यम से समझा जा सकता है।
75वीं वर्षगांठ के अवसर पर किया गया अनावरण
सुप्रीम कोर्ट की स्थापना की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित एक ऐतिहासिक कार्यक्रम में, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने जिला न्यायपालिका के दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन के समापन सत्र के दौरान न्यायालय के नए ध्वज और प्रतीक चिन्ह का अनावरण किया। सर्वोच्च न्यायालय द्वारा न्यायपालिका के साथ जनता के विश्वास और जुड़ाव को बढ़ाने वाले अनेक कार्यक्रमों के आयोजन में किए गए प्रयासों को स्वीकार करने का एक मंच भी था। उन्होंने न्यायिक प्रणाली की छवि को बढ़ाने और नागरिकों के साथ गहरे संबंध को बढ़ावा देने के लिए इन पहलों की सराहना की। राष्ट्रपति मुर्मू ने न्यायपालिका की सराहना की, उन्होंने कहा कि जनता अक्सर न्यायाधीशों को ईश्वरीय न्याय के रूप में मानती है, जिन्हें धर्म, सत्य और निष्पक्षता को बनाए रखने का काम सौंपा गया है। उन्होंने इस संबंध में प्रत्येक न्यायाधीश और और न्यायिक अधिकारी की महत्वपूर्ण नैतिक जिम्मेदारी पर जोर दिया।