Never Let Go Review: हॉरर फिल्मों के दीवानों के लिए आ गयी है हैली बेरी की एक और अवॉर्ड विनिंग फिल्म…
Never Let Go Review: अंग्रेजी में हॉरर फिल्मों के दीवानों के लिए ‘हिल्स हैव आईज’, ‘मिरर्स’, ‘पिरान्हा थ्रीडी’, और ‘क्रॉल’ जैसी फिल्में देने के बाद अब शॉन लेवी अपनी पिछली फिल्म ‘डेडपूल एंड वूल्वरिन’ से अंग्रेजी फिल्मों के दर्शकों के दिलो दिमाग पर अभी हावी ही हैं और इन्हीं शॉन लेवी की फिल्म निर्माण कंपनी 21 लैप्स एंटरटेनमेंट की नई फिल्म है ‘नेवर लेट गो’। इन्हें बनाने वाले निर्देशक अलेक्जान्ड्रे अजा हॉरर श्रेणी की फिल्मों के समर्पित निर्देशक रहे हैं और अपनी पहली फिल्म ‘हॉते टेंशन’ (2003) से इसी श्रेणी की फिल्मों पर डटे रहे हैं। शॉन और अलेक्जान्ड्रे की सोच से निर्मित फिल्म में ऑस्कर विजेता अभिनेत्री हैली बेरी के इस फिल्म में शीर्ष नायिका के रोल के साथ साथ बतौर निर्माता भी काम किये है।
इस फिल्म में कलाकार हैली बेरी, पर्सी डैग्स फोर्थ, एथंनी बी जेनकिन्स, मैथ्यू केविन एंडरसन, क्रिस्टिन पार्क और स्टीफैनी लैविग्ने है जिसके लेखक केविन कफलिन और रयान ग्रासबी, अलेक्जान्ड्रे अजा के द्वारा निर्देशक के रूप में काम किया गया है। जिसके निर्माता
शॉन लेवी, डान कोहेन, अलेक्जान्ड्रे अजा और डैन लेवाइन है इन सब के सोच से बनी यह फिल्म 20 सितंबर 2024 को रिलीज हुई है । जानिए इसमें फिल्म से जुड़ी सभी चीजों के बारे में ।
सर्वाइवल ड्रामा पर आधारित है फिल्म
फिल्म ‘नेवर लेट गो’ डरावनी फिल्मों की श्रेणी की उस उप श्रेणी की फिल्म है जिसे अंग्रेजी में सर्वाइवल ड्रामा कहा जाता है। इस तरह के सिनेमा में किसी एक व्यक्ति, समूह या समाज को किसी जानी पहचानी या अनजान शक्ति से बचना होता है। खुद को उस परिस्थिति में जीवित रखने का ये संघर्ष आसपास के वातावरण से प्रेरित होता है और इसके किरदार हालात के हिसाब से अपने रंग बदलते रहते हैं। फिल्म ‘नेवर लेट गो’ दरअसल फिल्म ‘मदर लैंड’ के नाम से बननी शुरू हुई थी।
इस कहानी ये एक ऐसी मां की है जो दुनिया तबाह होने के बाद एक ऐसे जंगल में बने घर में अपने जुड़वा बच्चों के साथ पनाह लिए हुए है, जहां भूतों के साये उसे नजर आते हैं। तीनों घर से बाहर निकलते हैं तो घर की नींव से बंधी रस्सी से अपनी कमर कसे रहते हैं और हर बार बाहर निकलने से पहले एक दूसरे से वादा करते हैं, ‘नेवर लेट गो’, मतलब रस्सी को छोड़ना नहीं है।
जो कुछ दिखता है, वह हमेशा सत्य नहीं होता
केविन कफलिन और रयान ग्रासबी की फिल्म ‘नेवर लेट गो’ के हॉरर फिल्म में मां है। जिसके दो बेटे हैं। दोनों रोज खाने की तलाश में निकलते हैं। जो कुछ भी जीवित उनको नजर आता है। पकड़ कर जिंदा या भूनकर या तलकर खा जाते हैं। जंगल भले विशाल है। जानवर वहां भी सीमित है। नौबत पेड़ों की छाल तक खाने की आती है। लेकिन, इससे काम बनता नहीं। घर में तीन इंसानों के अलावा चौथा, एक जानवर भी है। ये कुत्ता दोनों बेटों में से एक का जिगरी है। तय होता है कि अब इसे खाना पड़ेगा। जिसका ये पालतू है, वह विद्रोह कर देता है। दूसरा बेटा और मां के वोट निर्णायक बन जाते हैं।
मां कुत्ते को मारने के लिए ले जाती है और बेटा मां की कमर में बंधी रस्सी काट देता है। फिल्म ‘नेवर लेट गो’ यहां से अपनी असली पहचान पाती है और बताती चलती है कि जो कुछ दिखता है, वह हमेशा सत्य नहीं होता है। सत्य वह भी नहीं होता जिसे सुन सुनकर हम बड़े होते हैं या फिर जिसे हमें सत्य मानकर घुट्टी में पिलाने की कोशिश होती है।
स्वयं, समूह और समाज की डरावनी समझ
फिल्म ‘नेवर लेट गो’ की अंतर्धारा भीतर तक हिला देने वाली है। इंसान के लिए सबसे जरूरी वह खुद है। अपने स्वार्थ के लिए वह रिश्ते, नाते, वफादारी कुछ नहीं देखता। और, रिश्तों में सबसे अहम होता है विश्वास। ये टूटा तो फिर रिश्ता, रिश्ता नहीं रहता। और, जब रिश्तों की मजबूती नहीं होती तो फिर सामने होता है जमाना। जिसकी हकीकत को झेल पाना अकेले अकेले किसी के बस की बात नहीं। निर्माता शॉन लेवी ने शायद इस कहानी की इसी अंतर्धारा पर अपना दांव लगाया और इसी अंतर्धारा को मजबूती देने हैली बेरी भी बतौर निर्माता इस फिल्म से जुड़ीं। साथ ही लॉयन्सगेट जैसी ऐसी कंपनियां भी चाहिए जो इस तरह की कम बजट मे बनी फिल्मों को सिनेमाघरों तक पहुंचा सकें।
हैली बेरी का अभिनय अवार्ड विनिंग परफॉर्मेंस है।
हिंदी में हॉरर को मजबूती देने के छिटपुट प्रयास पहले भी होते रहे हैं। ‘शैतान’, ‘स्त्री 2’ और री रिलीज पर ‘तुम्बाड’ की सफलता ये बताती है कि हिंदी में भी हॉरर फिल्में देखने वाले दर्शकों का एक बड़ा वर्ग ऐसी फिल्मों के लिए बेकरार बैठा है। और, फिल्म ‘नेवर लेट गो’ जैसी फिल्मों से अपनी आस पूरी करने की कोशिश करता है। इस फिल्म की असल जान हैं इसकी नायिका हैली बेरी। वह दर्शकों को फिल्म के लिए आकर्षित करने का काम तो करती ही हैं, बतौर अभिनेत्री भी उन्होंने फिल्म में एक बेबस मां का जो अभिनय किया है, वह अवार्ड विनिंग परफॉर्मेंस है।
बेटों के भटकते ही उनकी गर्दन के पास छुरा लेकर उनसे मंत्र पढ़वाना, आत्मा की शुद्धिकरण के लिए तहखाने में कैद करना, ये सब एक मां की मजबूरी की निशानियां हैं। और, इसे हैली ने बहुत ही शानदार तरीके से कैमरे के सामने जीया है। असल जिंदगी में भी तो मां ऐसी ही होती हैं। बच्चों की सुरक्षा के लिए कुछ भी कर गुजरती हैं। हैली बेरी के बच्चे बने पर्सी डैग्स फोर्थ, एथंनी बी जेनकिन्स ने भी सराहनीय अभिनय इस फिल्म में किया है।
माहौल की महत्ता बताती फिल्म
‘नेवर लेट गो’ सिनेमा में वातावरण की महत्ता को भी दर्शाने वाली फिल्म है। वैंकूवर के पास के जंगलों में शूट की गई इस फिल्म के लिए कयामत के बाद का जैसा वातावरण कहानी के अनुसार चाहिए था, वैसा तलाशने में और उसके बीच बने घर को परदे पर इकलौती शरणस्थली के रूप में प्रदर्शित करने में ही फिल्म की पहली जीत है। ये जंगल, इसके बाशिंदे, इसमें बना कुआं, इसकी रस्सियां, रस्सियों को थामे खड़ा घर, सब इस कहानी के किरदार हैं।
फिल्म के लिए ये माहौल रचने में इसकी टीम ने अद्भुत काम किया है। प्रोडक्शन डिजाइनिंग में तो फिल्म एक नंबर है ही, मैक्साइम अलेक्जान्ड्रे की सिनेमैटोग्राफी फिल्म की रूह है। इसे स्पंदन देने का काम किया है फिल्म के पार्श्वसंगीत ने जिसे रॉबिन कोउडर्ट ने बहुत ही इत्मीनान से रचा है। हॉरर फिल्मों के शौकीनों के लिए ये एक अच्छी टाइम पास फिल्म हो सकती है।