बैचलर ऑफ होम्योपैथी मेडिसिन एंड सर्जरी में नेशनल एग्जिट टेस्ट देना होगाअनिवार्य…
होम्योपैथी, जिसे होम्योपैथिक चिकित्सा के रूप में भी जाना जाता है, एक चिकित्सा प्रणाली है जिसे 200 साल से भी पहले जर्मनी में विकसित किया गया था। होम्योपैथिक उत्पाद पौधों (जैसे लाल प्याज, अर्निका [पहाड़ी जड़ी बूटी], ज़हर आइवी, बेलाडोना [घातक नाइटशेड], और चुभने वाली बिछुआ), खनिज (जैसे सफेद आर्सेनिक), या जानवरों (जैसे कुचली हुई पूरी मधुमक्खियाँ) से आते हैं। होम्योपैथिक उत्पाद अक्सर जीभ के नीचे रखने के लिए चीनी की गोलियों के रूप में बनाए जाते हैं; वे अन्य रूपों में भी हो सकते हैं, जैसे मलहम, जैल, ड्रॉप्स, क्रीम और टैबलेट। उपचार “व्यक्तिगत” होते हैं या प्रत्येक व्यक्ति के अनुरूप होते हैं , एक ही स्थिति वाले अलग-अलग लोगों के लिए अलग-अलग उपचार प्राप्त करना आम बात है। होम्योपैथी व्यक्तियों को उपचार निर्दिष्ट करने के लिए एक अलग निदान प्रणाली का उपयोग करती है और संकेतों और लक्षणों के नैदानिक पैटर्न को पहचानती है जो पारंपरिक चिकित्सा से भिन्न होते हैं।
बैचलर ऑफ होम्योपैथी मेडिसिन एंड सर्जरी में दाखिला लेने वालों को अब नेशनल एग्जिट टेस्ट देना अनिवार्य होगा। इस संबंध में नेशनल कमीशन ऑफ होम्योपैथी ने नए एक्ट में इसका प्रावधान किया है। हाल में आयोग ने नेशनल कमीशन ऑफ होम्योपैथी कमीशन (नेशनल एग्जामिनेशन ऑफ होम्योपैथी) रेग्युलेशंस-2023 जारी किए हैं। हर साल फ़रवरी व अगस्त में यह परीक्षा आयोजित की जाती है। नेशनल एग्जामिनेशन ऑफ होम्योपैथी का पेपर क्लिनिकल कॉम्पिटेंसी पर ही आधारित होगा ।
इंटर्नशिप होगी अनिवार्य
वो ही छात्र नेशनल एग्जिट एग्जाम दे पाएंगे,जो 270 दिनों की इंटर्नशिप पूरी कर ली हो । इंटर्नशिप की अवधि नेक्स्ट का एप्लीकेशन फॉर्म भरने तक पूरी हो जानी चाहिए ।
क्लिनिकल कॉम्पिटेंसी आधारित होगी परीक्षा
नेक्स्ट का पेपर क्लिनिकल कॉम्पिटेंसी पर ही आधारित होगा । प्रॉब्लम साल्विंग सवाल पेपर में पूछे जायेंगे । परीक्षा पास करने के लिए कैंडिडेट को कम से कम 50 % अंक हासिल करने होंगे । पास होने वाले उम्मीदवारों की सूची नेशनल कमीशन ऑफ होम्योपैथी की वेबसाइट पर जारी की जाएगी । जिसमें इस एग्जाम को क्वालीफाई करने पर ही उन्हें डिग्री मिलेगी और उनका पंजीयन होगा ।